महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बातचीत बेनतीजा रहने के बावजूद, कांग्रेस पार्टी बुधवार को दिल्ली के इंदिरा भवन में अपनी केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक की तैयारी कर रही है. एक वरिष्ठ नेता ने पुष्टि की है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बिहार स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन और राज्य के अन्य नेताओं के साथ 50 से ज्यादा सीटों पर विचार-विमर्श करेगा.
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इस बैठक में बिहार के नेता, जिनमें राज्य के कांग्रेस प्रभारी, कांग्रेस विधायक दल के नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम शामिल मौजूद रहेंगे. इस कदम को कांग्रेस की दबाव की रणनीति और अपनी स्थिति का प्रदर्शन माना जा रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह चुनावी जंग के लिए पूरी तरह तैयार है और गठबंधन में खुद को कमजोर पक्ष के रूप में देखने से इनकार करती है.
पीछे मुड़कर नहीं देखेगी कांग्रेस- पार्टी सूत्र
एक सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि गठबंधन में चल रही बातचीत में आ रही बाधाओं के बीच कांग्रेस अंतिम दौर में किसी भी तरह खामियाजा नहीं चाहती है. सूत्र ने कहा, 'सीटों के बंटवारे को लेकर असमंजस के बावजूद, दिल्ली में अपनी प्रमुख बैठक आयोजित करने का कांग्रेस का फैसला उसके सहयोगियों को साफ संदेश देता है.' पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'सीईसी की इस तरह की कार्यवाही में किसी तरह की दिखावे की बात नहीं है. समिति जितनी सीटें तय करेगी उसी पर हम चुनाव लड़ेंगे और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखेंगी.'
VIP ने पेश किया अपना दावा
एक बैठक पटना में तेजस्वी यादव के आवास पर हुई जो मंगलवार आधी रात के बाद भी जारी रही. इस बैठक में राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और माकपा के प्रतिनिधि मौजूद थे. गठबंधन पर तीसरे दौर की चर्चा हुई. इसमें नेताओं ने सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा की, लेकिन एक बार फिर आम सहमति नहीं बन पाई.
VIP की डिमांड-40+ सीटें
बातचीत में शामिल एक नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि वीआईपी 40 से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि कांग्रेस को अपनी जमीनी पकड़ के बावजूद 60 सीटों की जरूरत क्यों है? नेता ने कहा, 'सहानी ने तर्क दिया कि मल्लाह समुदाय उनके साथ मजबूती से खड़ा है और मल्लाह वोटों के जरिए इंडिया ब्लॉक को सत्ता में लाने के लिए उनका समर्थन बेहद जरूरी होगा. उन्हें मान्यता मिलनी चाहिए. कांग्रेस को इतना बड़ा दावा क्यों करना चाहिए?'
वीआईपी और कांग्रेस के प्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस हुई. कांग्रेस नेताओं ने जोर देकर कहा कि उनके हालिया प्रदर्शन और राहुल गांधी की 'मतदाता अधिकार यात्रा' ने पिछले छह महीनों में विपक्ष को ऊर्जा दी है.
सीट-बंटवारा: रणनीतिक सौदेबाजी?
एक कांग्रेस नेता के अनुसार, "माना जा रहा है कि राजद की इनमें से कुछ छोटी पार्टियों के साथ सहमति हो सकती है, जिससे उन्हें कांग्रेस के दावे को कम करने के लिए ज्यादा हिस्सेदारी के लिए दबाव बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके."
वीआईपी जैसी पार्टियों के पास कम ही उम्मीदवार होते हैं और आरजेडी अपने नेताओं को उन सीटों पर चुनाव लड़ाने की कोशिश कर सकती है जिनकी वीआईपी के सहनी मांग कर रहे हैं. फिर भी कांग्रेस अपने रुख पर अड़ी हुई है. अपने नए सहयोगी को शामिल करने के लिए तैयार होने के बावजूद, पार्टी इस बात पर जोर दे रही है कि आरजेडी और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदारी बराबर-बराबर बांटनी चाहिए.
सीईसी के जरिए अपनी उम्मीदवार चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के अलावा, पार्टी का आत्मविश्वास एक व्यापक स्क्रीनिंग तंत्र से भी जुड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप 70 से ज्यादा सीटों के लिए उम्मीदवारों की एक तैयार सूची तैयार हो गई है.
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