बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है. सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुटी है. मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार की काफी महत्वपूर्ण सीट है, जिस पर फिलहाल कांग्रेस यानी महागठबंधन का कब्जा है. पांच लाख की आबादी वाले इस विधानसभा सीट पर लगभग साढ़े तीन लाख मतदाता हैं. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी के अलावा क्षेत्रीय और निर्दलीयों का भी खाता खुलता रहता है. कांग्रेस का सूखा 30 साल के बाद 2020 में टूटा.
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मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र साठ के दशक से ही अप्रत्याशित परिणाम के लिए जाना जाता रहा है. मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1952 में हुआ था. शिव नंदा पहले विधायक थे. दूसरे चुनाव में 1957 में सारण के महामाया प्रसाद यादव चुनाव जीते थे और 1967 में तो वह पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे.
चुनावी इतिहास
- 2005 में निर्दलीय विजेंद्र चौधरी चुनाव जीते
- 2010 में बीजेपी के सुरेश कुमार शर्मा चुनाव जीते
- 2015- सुरेश कुमार शर्मा बीजेपी के चुनाव जीते
- 2020- कांग्रेस से विजेंद्र चौधरी चुनाव जीते
दो दिग्गजों की टक्कर
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा विजेंद्र चौधरी पांच बार विधानसभा का चुनाव जीते. सबसे दिलचस्प बात यह है कि 1995 में विजेंद्र चौधरी जनता दल से तो 2000 में आरजेडी से और 2005 में निर्दलीय चुनाव जीते. वहीं 2020 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विजेंद्र चौधरी फिर चुनाव जीतने में सफल रहे. बीजेपी नेता सुरेश कुमार शर्मा और विजेंद्र चौधरी चार बार आमने- सामने चुनाव लड़ चुके हैं.
जातीय समीकरण और सियासी समीकरण
मुजफ्फरपुर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार निर्णायक संख्या में हैं. वहीं ब्राह्मण, कुर्मी,रविदास, पासवान और यादव मतदाताओं की भी यहां बड़ी भूमिका है. बीजेपी जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगाने के लिए उतरेगी तो वहीं कांग्रेस भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहेगी.
दोनों गठबंधन एनडीए और महागठबंधन की ओर से इस बार कई प्रत्याशी अभी से मैदान में अपनी तैयारी कर रहे हैं. तो वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारेगी. ऐसे में इस बार का विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने वाला है.
यहां देखें वीडियो:
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