बिहार की बदली तस्वीर: स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांति, अब हर गांव तक पहुंची बेहतर सेहत

बिहार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बीते दो दशकों में बड़ी कामयाबी हासिल की है, जहां संस्थागत प्रसव और सम्पूर्ण टीकाकरण में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बदलाव सरकारी योजनाओं, जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच का नतीजा है.

Bihari Women
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News Tak Desk

• 12:13 PM • 07 Jul 2025

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बिहार में पिछले दो दशकों में जो बदलाव देखने को मिला है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं. कभी मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर को लेकर चर्चा में रहने वाला बिहार आज पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है. खासतौर पर संस्थागत प्रसव और बच्चों के सम्पूर्ण टीकाकरण में जो प्रगति हुई है, वह बताती है कि सही दिशा में किए गए प्रयास कैसे जनजीवन को बेहतर बना सकते हैं.

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घर से अस्पताल की ओर बढ़ा भरोसा

एक समय था जब राज्य की अधिकतर महिलाएं घर पर ही बच्चे को जन्म देती थीं. साल 2005 तक केवल 20 फीसदी महिलाएं अस्पताल जाकर प्रसव करवा रही थीं. लेकिन आज हालात बिल्कुल बदल चुके हैं. सरकारी योजनाओं, जागरूकता अभियानों और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच के चलते अब लगभग 76 फीसदी प्रसव अस्पतालों में हो रहे हैं. इससे न केवल मां और बच्चे दोनों की जान को खतरे से बचाया जा सका है, बल्कि सुरक्षित मातृत्व को भी बढ़ावा मिला है.

टीकाकरण बना हर घर की प्राथमिकता

बच्चों के सम्पूर्ण टीकाकरण के मामले में भी बिहार ने लंबी छलांग लगाई है. 2002 में जहां सिर्फ 18 फीसदी बच्चों को जरूरी टीके मिलते थे, वहीं 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 90 फीसदी हो चुका है. इस उपलब्धि के पीछे मिशन इंद्रधनुष, आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत, और नियमित टीकाकरण शिविरों का बड़ा योगदान है. अब हर माता-पिता समझने लगे हैं कि समय पर टीका लगवाना उनके बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए कितना जरूरी है.

गांव-गांव तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

बिहार सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सिर्फ योजनाएं नहीं बनाई, बल्कि जमीन पर काम भी किया. नई डिस्पेंसरियों, हेल्थ सब-सेंटर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती से लेकर टेलीमेडिसिन और जांच सुविधाओं को गांवों तक पहुंचाने तक, हर पहलू पर ध्यान दिया गया है.

महिलाओं की भूमिका बनी बदलाव की धुरी

बदलते स्वास्थ्य मॉडल में महिला स्वास्थ्य कर्मियों का भी बड़ा योगदान रहा है. आज हजारों महिलाएं आशा कार्यकर्ता बनकर गांव-गांव जाकर माताओं और बच्चों की देखभाल कर रही हैं. मातृत्व सहायता योजनाओं का लाभ भी लाखों महिलाओं को मिल रहा है, जिससे गर्भावस्था के दौरान जरूरी पोषण और देखभाल सुनिश्चित हो पाती है.

आंकड़े जो बदलाव की कहानी कहते हैं:

संस्थागत प्रसव

  • 2005: 19.9%
  • 2019-20: 76.2%

संपूर्ण टीकाकरण

  • 2002: 18%
  • 2024: 90%

अब बिहार बना पूरे देश के लिए उदाहरण

बिहार की यह सफलता सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की नहीं, बल्कि उन लाखों परिवारों की जीत है जिन्होंने बेहतर जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया. सुरक्षित प्रसव और पूर्ण टीकाकरण ने न जाने कितनी जिंदगियों को नया जीवन दिया है. आज बिहार एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है – जहां हर मां को सुरक्षा और हर बच्चे को सेहतमंद बचपन का अधिकार मिल रहा है.

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