फ्रेजर रोड का एक गैराज, कार में शिल्पी और गौतम का अर्धनग्न शव, 26 साल पुराने हाई प्रोफाइल केस की इतनी चर्चा क्यों है?

शिल्पी जैन गौतम सिंह केस पर प्रशांत किशोर के दावे ने सियासी हलचल तेज कर दी है. जानिए इस केस की पूरी कहानी और बिहार चुनाव से पहले डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर PK द्वारा लगाए आरोप का पूरा मामला.

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बिहार में 1999 में शिल्पी और गौतम के साथ क्या हुआ था?

न्यूज तक डेस्क

03 Oct 2025 (अपडेटेड: 03 Oct 2025, 02:03 PM)

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बिहार चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही 26 साल पुराने एक हाई प्रोफाइल केस की चर्चा फिर शुरू हो गई है. वजह है जनसुराज पार्टी के फाउंडर प्रशांत किशोर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस. प्रशांत किशोर कहते हैं- 'बिहार में पुराने समय से पत्रकारिता करने वाले...आपलोगों ने शिल्पी-गौतम रेप और हत्याकांड की कहानी सुनी होगी. आपने सुना होगा- जब लालू जी के जंगलराज का चरम सीमा था...तब ऐसा आरोप लगा था कि शिल्पी जैन का सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर शिल्पी और गौतम दोनों की हत्या की दी गई. साधु यादव पर उसका आरोप लगा था. बड़ी हंगामा हुआ...CBI में केस गया.'

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प्रशांत किशोर ने आगे कहा- 'मैं आपके जरिए पूछ रहा हूं कि क्या अभी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार उर्फ सम्राट कुमार मौर्य उस केस में संदिग्ध अभियुक्त के तौर पर नामजद थे या नहीं थे. ये प्रेस में वो बता दें, इसके बाद वो डॉक्यूमेंट हम आपको जारी करेंगे. CBI ने अभियुक्त के तौर पर इनकी जांच की थी कि नहीं. ये पूरा केस तब के भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने उठाया था. तब सम्राट चौधरी राजद के साथ और साधु यादव गैंग के हिस्सा थे. गांधी जी ने कहा है...गलती हो गई तो आकर माफी मांग लो.' 

PTI SHORTS | Samrat Choudhary must clarify if he was a suspect in Shilpi Gautam case: Prashant Kishor

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प्रशांत किशोर ने जैसे ही इस केस के जरिए सम्राट चौधरी पर सवाल उठाए, सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा काफी तेज हो गई है. अब सवाल ये है कि साल 1999 में ऐसा क्या हुआ था कि पूरा बिहार हिल गया था. ये केस कैसे बंद हो गया. इस केस को लेकर आज भी सवाल क्यों उठाए जाते हैं? इस Explainer में हम अपको बता रहे हैं. 

ये कहानी 3 जुलाई 1999 की है. पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र की पुलिस की टीम रात करीब साढ़े आठ बजे फ्रेजर रोड के एक क्वार्टर में पहुंचती है. यहां एक गैराज का शटर बाहर से बंद मिलता है. शटर खोलने पर सफेद रंग की मारुति जेन कार खड़ी मिलती है. कार में एक युवक और युवती की लाश होती है. युवती ने महज एक टीशर्ट पहन रखा है और युवक ने केवल पैंट. युवक की टीशर्ट युवती ने पहना है. बाकी के कपड़े इधर-उधर पड़े हैं. पुलिस के पहुंचने के तुरंत बाद साधु यादव अपने समर्थकों के साथ वहां तुरंत पहुंच जाते हैं. 

तब सरकार राबड़ी देवी की थी 

इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले सरकारी तंत्र पर एक नजर डाल लेते हैं. उस वक्त लालू यादव चारा घोटाले में जेल में बंद थे और सरकार राबड़ी देवी चला रही थीं. मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव MLC थे. 

पुलिस ने की जल्दबाजी किया सबको हैरान, उठे सवाल 

इधर पुलिस जल्दबाजी में खुद सफेद रंग की मारुति जेन खुद कार चलाकर दोनों शवों को ले गई और रात में ही पोस्टमार्टम कराकर आनन-फानन में शिल्पी और गौतम का अंतिम संस्कार भी कर दिया. इस दौरान मृतक गौतम के परिवार का कोई भी वहां मौजूद नहीं था. गौतम का परिवार NRI था और वे सभी विदेश में थे. पुलिस ने जब खुद कार ड्राइव की तो उसपर लगे फिंगर प्रिंट बदल गए. 

बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के पुलिस से सुसाइड बता दिया 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोस्टमार्टम से पहले ही पुलिस इस मामले को आत्महत्या करार देने लगी. कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस को कारण मौत बताया गया. जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पुलिस के दावे फेल हो गए. शिल्पी जैन और गौतम सिंह की बॉडी में लेथल एल्युमिनियम जहर मिला. 

पुलिस पर आरोप लगे- CM के भाई को बचाने की कोशिश कर रही 

पुलिस पर आरोप लगने लगे कि वो मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव को बचाने की कोशिश कर रही है. विपक्ष ने मामले पर सरकार को जमकर घेरा. मामला बढ़ता देख सीएम राबड़ी देवी ने सितंबर 1999 में केस CBI को ट्रांसफर कर दिया. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या मिला? 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सबके होश उड़ा दिए. गौतम और शिल्पी का पोस्टमार्टम पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) पटना में हुआ था. घटना के 25 दिन बाद रिपोर्ट आई. पता चला कि दोनों की बॉडी में एल्युमीनियम फॉस्फाइड यानि (सल्फास) की गोली के अंश थे. 

कुछ सैंपल्स को हैदराबाद स्थित Centre of DNA Fingerprinting and Diagnosis (CDFD) भेजा गया था. पता चला कि शिल्पी के अडरगारमेंट पर एक से ज्यादा लोगों के सीमेन के स्ट्रेन थे. यानी उसके साथ एक से ज्यादा ने संबंध बनाए थे. सीबीआई ने इन साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू की. 

ब्लड सैंपल देने से साधु यादव का इनकार 

इधर साधु यादव से जब सीबीआई ने DNA जांच के लिए ब्लड सैंपल मांगा तो उन्होंने उसे देने से इनकार कर दिया. कहा कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. यदि ब्लड सैंपल दिया तो उनके साथ बड़ा गेम हो जाएगा. सीबीआई ने इस कोशिश को बंद किया और साल 2004 में मामले को सुसाइड बताकर क्लोजर रिपोर्ट दे दी. 

CBI की क्लोजर रिपोर्ट में क्या था? 

लल्लन टॉप में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक फोरेंसिक जांच में शिल्पी के इनरवियर पर दो सीमन स्ट्रेन में से एक गौतम का था. दूसरा किसका था ये पता नहीं चल पाया. फॉरेंसिक एक्सपर्ट के मुताबिक सेमिनल स्ट्रेन की एज आइडेंटिफाई नहीं की जा सकती. यानी ये दोनों स्ट्रेन एक ही समय के थे या अलग-अलग ये पता लगाना नामुमकिन था.

CBI ने क्लोजर रिपोर्ट में कहा- वैज्ञानिक साक्ष्य और घटनाओं का क्रम स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि यह आत्महत्या का मामला है और मौत एल्युमिनियम फॉस्फाइड जहर के कारण हुई है. जांच से संकेत मिलता है कि यह आत्महत्या का मामला है, फिर भी CrPC की धारा 173 के तहत यह अंतिम रिपोर्ट माननीय न्यायालय के समक्ष दायर की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि कृपया इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया जाए और मामले को बंद करने की अनुमति दी जाए. 

ये तर्क भी: मामले पर इंडियन इंटरनेट जर्नल ऑफ फोरेंसिक मेडिसिन ऑफ टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया गया है कि शरीर में सल्फास की अच्छी खासी मात्रा थी. माना गया कि यदि इसे जबरदस्ती खिलाया गया होता तो शिल्पी और गौतम इतने वयस्क थे कि इसके लिए विरोध कर सकते थे. विरोध के दौरान शरीर और चेहरे पर चोट के निशान होते जो नहीं थे. यदि ये किसी पेय पदार्थ के साथ पिलाया गया होता तो सल्फास से इतनी तेज दुर्गंध आती है कि उसे भी अनजाने में पीना संभव नहीं था. 

कौन थी शिल्पी जैन और गौतम सिंह? 

तब 23 साल की शिल्पी जैन पटना के कपड़ा कारोबारी उज्जवल कुमार जैन की बेटी थी. वो पटना के वुमेंस कॉलेज में पढ़ चुकी थी और  मिस पटना का खिताब जीत चुकी थी. वो खूबसूरत होने के साथ स्टाइलिश गर्ल थी. 28 साल का गौतम सिंह  NRI बीएन सिंह का बेटा था. बीएन सिंह पूरे परिवार के साथ विदेश में रहते थे जबकि बेटा गौतम पटना में रहकर राजनीति में एंट्री की तैयारी में जुटा था. 

3 जुलाई 1999 को हुआ क्या था?

ये कहानी...ऐसा कहा जाता है के आधार पर है. ये तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे ही प्रकाशित है. हम आपको इसी अंदाज में बता रहे हैं...
शिल्पी रोज की तरह रिक्शे से कम्प्युटर की क्लास के लिए जा रही थी. रास्ते में गौतम का दोस्त कार से मिला. गौतमऔर शिल्पी दोनों दोस्त थे. बताया जाता है कि दोनों में अफेयर था. गौतम के दोस्त को शिल्पी जानती थी. उसने कहा- चलो तुम्हे कार से छोड़ देता हूं. शिल्पी उसकी कार में सवार हो गई. वो कार लेकर उसकी कोचिंग की तरफ नहीं बल्कि दूसरी तरफ जाने लगा. शिल्पी हड़बड़ाई तो उसने बताया कि वो वाल्मी गेस्ट हाउस लेकर जा रहा है. वहीं गौतम भी है. 

कहा जाता है कि गौतम को पता चला कि शिल्पी को वाल्मी गेस्ट हाउस ले जाया गया है तो वो भागे-भागे आया. आरोप लगाया जाता है कि यहां शिल्पी के साथ गैंगरेप हुआ और फिर दोनों की हत्या कर दी गई. इधर जब बेटी घर नहीं पहुंची तो परिजन परेशान हो गए. उन्होंने थाने में जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. अचानक उसी रात शिल्पी की मौत की खबर आई जिसने परिवार को तोड़कर रख दिया. 

शिल्पी के भाई प्रशांत की हुई किडनैपिंग?

शिल्पी के भाई प्रशांत जैन CBI के फैसले के खिलाफ थे. वो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते थे. साल 2006 में प्रशांत का अपहरण हो गया. पुलिस में रिपोर्ट भी लिखी गई. 2 दिन बाद वो घर वापस आ गए. इसके बाद उन्होंने इस केस की कभी चर्चा नहीं की. फिर ये केस हमेशा के लिए क्लोज हो गया. 

सवाल जो अनसुलझे रह गए

  • शिल्पी को ले जाने वाला गौतम का वो दोस्त कौन था?
  • गैराज में कार में शव है...पुलिस को ये किसने खबर दी?
  • पुलिस के पहुंचते ही अचानक साधु यादव वहां कैसे पहुंच गए? उन्हें किसने बताया?
  • सवाल-कोई सुसाइड कपड़े खोलकर भला क्यों करेगा?
  • पुलिस इतनी हड़बड़ी में क्यों थी? 
  • क्राइम सीन से कार को कॉन्स्टेबल ने ड्राइव क्यों किया? उसे पता नहीं था कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ होगी?
  • पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले इसे सुसाइड कैसे करार दे दिया?
  • पुलिस इतनी जल्दबाजी में क्यों थी, क्योंकि गौतम के परिजनों के आने से पहले उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया?
  • शिल्पी के भाई को किसने किडनैप किया था और वो मामले में चुप क्यों हो गए?  

इस पूरे मामले में ये कई सवाल उठे जो आज भी अनसुलझे रह गए. इन अनसुलझे सवालों के साथ इस केस पर ताला लग गया और जवाब मिला- 'नो वन किल्ड शिल्पी एंड गौतम'. 

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