वाल्मीकिनगर विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2020 में जनता दल यूनाइटेड ने जीत दर्ज की थी। इस बार वाल्मीकिनगर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है. वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट बिहार विधानसभा में क्रम संख्या 1 के रूप में दर्ज है. यह विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले में आती है. साथ ही यह विधानसभा क्षेत्र वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र का एक हिस्सा है. बिहार में 2020 का पिछला विधानसभा चुनाव करोना काल में हुआ था. जिसमें जेडीयू ने जीत हासिल की थी.
ADVERTISEMENT
रामायण कालीन धरोहर से विकास की दौड़ तक
वाल्मीकि नगर सिर्फ एक राजनीतिक क्षेत्र नहीं, बल्कि इसका रामायणकालीन इतिहास से गहरा संबंध है! यह महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि मानी जाती है, जहां उन्होंने रामायण की रचना की थी! वाल्मीकि आश्रम भगवान राम के पुत्र लव-कुश की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है.
हालांकि, यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है और हर चुनाव में इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा किया जाता है! इतना ही नहीं वाल्मीकि नगर , वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का घर भी है जो, बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है. वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद बनी थी! तब से तीन बार चुनाव हुए हैं.
चुनावी इतिहास और समीकरण
2008 में परिसीमन के बाद बनी इस विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हो चुके हैं:
2010 में जेडीयू के राजेश सिंह चुनाव जीते
2015 में निर्दलीय धीरेंद्र प्रताप सिंह चुनाव जीते
2020 में जेडीयू के धीरेंद्र प्रताप सिंह चुनाव जीते
एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई
वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट पर राजेश सिंह जहां 2010 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े तो वहीं 2020 में कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे. वाल्मीकि नगर लोकसभा की सीट पर भी जेडीयू का कब्जा है. 2008 में बने वाल्मीकिनगर विधानसभा में राजनीतिक लड़ाई इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच है.
जातीय गणित का खेल
वाल्मीकि नगर में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं ! यहां लगभग 4 लाख वोटर हैं. 4 लाख वोटर वाले इस सीटर पर दलित और आदिवासी वोटर के साथ- साथ यादव और कुशवाहा वोटरों पर सबकी नजर होती है. इतना ही नहीं मल्लाह और बिंद वोटर भी इस सीच पर पैंतीस हजार से ज्यादा हैं. थारू और उरांव वोटरों की संख्या 55 हजार के पास है जिसकी वजह से यह भी कहा जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में इस जाति का उम्मीदवार भी किसी पार्टी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ सकता है.
महागठबंधन इस बार इस सीट पर जातीय गठबंधन के बदौलत ही खेला कर सकती है. तो वहीं दूसरी पार्टियां भी जातिय समीकरण के जरिए यहां उम्मीदवारों पर दांव लगा सकती है.
यहां देखें वीडियो:
ADVERTISEMENT