बिहार की बेटी सुहानी बनीं प्रेरणा, साइक्लिंग में रच रही हैं सफलता की नई इबारत

सुहानी को मुख्यमंत्री खेल छात्रवृत्ति योजना के 'प्रेरणा श्रेणी' में चुना गया है, जिसके तहत उन्हें प्रतिवर्ष ₹3 लाख की सहायता प्राप्त होती है

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तस्वीर- बिहार तक

News Tak Desk

• 05:00 PM • 12 May 2025

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कभी खेलों के क्षेत्र में पिछड़ेपन का सामना करने वाला बिहार अब तेजी से देश की खेल महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं छपरा की साइक्लिस्ट सुहानी कुमारी, जिन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए इंडिविजुअल परस्यूट साइक्लिंग स्पर्धा में पदक जीतकर राज्य का नाम रौशन किया।

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मुख्यमंत्री खेल छात्रवृत्ति योजना से मिली उड़ान

सुहानी को मुख्यमंत्री खेल छात्रवृत्ति योजना के 'प्रेरणा श्रेणी' में चुना गया है, जिसके तहत उन्हें प्रतिवर्ष ₹3 लाख की सहायता प्राप्त होती है। उनकी असाधारण प्रतिभा को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें विशेष रूप से ₹11 लाख की उच्चस्तरीय साइकिल भी भेंट की। यह न सिर्फ उनकी मेहनत की सराहना है, बल्कि बिहार सरकार की खेलों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।

राजगीर में तैयार हो रहा अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग ट्रैक

बिहार सरकार द्वारा खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में भी बड़ी पहल की जा रही है। राजगीर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का साइक्लिंग ट्रैक अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले समय में खिलाड़ियों के लिए एक मजबूत मंच साबित होगा।

बिहार की बेटियों के लिए बनीं रोल मॉडल

सुहानी की सफलता महज एक पदक जीतने की कहानी नहीं है, बल्कि यह हर उस बेटी के लिए उम्मीद की किरण है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखती है। सुहानी ने यह साबित किया है कि अगर प्रतिभा को उचित अवसर, मार्गदर्शन और समर्थन मिले तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी परचम लहरा सकती है।

खेलो इंडिया: बिहार की दमदार भागीदारी

खेलो इंडिया यूथ गेम्स जैसे आयोजनों में बिहार की सक्रिय भागीदारी और खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में खेल संस्कृति को लेकर नई ऊर्जा और जागरूकता आई है। अब बिहार के खिलाड़ी सिर्फ मैदान में नहीं, बल्कि देश और दुनिया के खेल मानचित्र पर भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं।

'मेडल लाओ, नौकरी पाओ' जैसी योजनाओं से खिलाड़ियों को संबल

राज्य सरकार ने खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेडल लाओ, नौकरी पाओ’, प्रतिभा खोज ‘मशाल’ अभियान, और खेल भवन व व्यायामशाला निर्माण जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं। अब तक 367 से अधिक खिलाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा नौकरी दी जा चुकी है।

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