8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हर दस साल पर आने वाले 'होली-दिवाली' जैसे आठवें वेतन आयोग का इंतजार लंबा होता जा रहा है. सरकार द्वारा जनवरी 2025 में इसके गठन की घोषणा के बावजूद, अब तक न तो वेतन आयोग का गठन हुआ है और न ही इसके प्रशासनिक ढांचे के लिए जरूरी नियुक्तियां पूरी हो पाई हैं. ताजा जानकारी के अनुसार, वेतन आयोग के लिए अंडर सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों की भर्ती में लगातार देरी हो रही है, जिससे 1 जनवरी, 2026 से सिफारिशें लागू होने की संभावना कम होती जा रही है.
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नियुक्तियों में लगातार देरी
आठवें वेतन आयोग के प्रशासनिक सेटअप के लिए अंडर सेक्रेटरी स्तर के चार पदों पर भर्ती के लिए सरकार ने आवेदन की समय सीमा को तीसरी बार बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया है. इससे पहले 10 जून और 30 जून की समय सीमा भी गुजर चुकी है. ये पद प्रतिनियुक्ति (डेप्यूटेशन) के आधार पर भरे जाने हैं. लगातार हो रही देरी से यह अटकलें तेज हो गई हैं कि या तो इन पदों के लिए पर्याप्त आवेदन नहीं आ रहे हैं, या अधिकारी वेतन आयोग में पोस्टिंग में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इन पदों के लिए ऐसे काबिल अफसरों की तलाश है जो स्टाफिंग और सैलरी के मामलों में माहिर हों.
कर्मचारियों में बेचैनी
वेतन आयोग के गठन और नियुक्तियों में हो रही इस अप्रत्याशित देरी से केंद्रीय कर्मचारी संगठनों में बेचैनी बढ़ती जा रही है. पहले उन्होंने कैबिनेट सचिव से मिलकर इस मामले में तेजी लाने की मांग की थी, और अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जल्द कार्रवाई का आग्रह किया है.
वेतन आयोग बनाने का एलान जनवरी 2025 में हुआ था. फरवरी में वेतन आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की भर्ती की जानी थी लेकिन जुलाई शुरू हो चुका है सरकार वेतन आयोग में एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्टिंग भी नहीं कर पाई. एक जनवरी 2026 से सैलरी रीविजन नामुमकिन बन गया है.
कर्मचारी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भले ही आयोग के गठन में देरी हो रही हो, लेकिन जिस दिन वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार होगी, उसकी सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से ही लागू मानी जाएंगी. इससे कर्मचारियों को बढ़ा हुआ पैसा एरियर के रूप में वापस मिलेगा और उन्हें वित्तीय नुकसान नहीं होगा. हालांकि, वेतन आयोग की घोषणा के बाद भी अब तक कोई प्रगति न होने पर सवाल उठ रहे हैं.
बढ़ेगी सैलरी, बदलेगी किस्मत!
आठवां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़े वेतन वृद्धि का रास्ता साफ करेगा. ऐसी उम्मीद है कि इस बार 'छप्पर फाड़' इंक्रीमेंट हो सकता है. अनुमान है कि सबसे कम वेतन पाने वाले (18,000 रुपये मासिक) कर्मचारियों का वेतन भी बढ़कर 50,000 रुपये प्रति माह के पार जा सकता है.
वेतन आयोग द्वारा निर्धारित फिटमेंट फैक्टर एक अहम भूमिका निभाता है, जिससे यह तय होता है कि कर्मचारियों की सैलरी कितने गुना बढ़ेगी. सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसका अर्थ है कि कर्मचारियों की सैलरी ढाई गुना से अधिक बढ़ी थी. इस बार फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने का अनुमान है, जिससे सैलरी लगभग तीन गुना तक बढ़ सकती है. यह कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी और अगले दस साल के लिए उनके वित्तीय भविष्य को आकार देगी.
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