सरकार में नौकरियां कम होने लगीं. तरक्की के मौके तो पहले से सीमित रहे. नौकरियों से पेंशन खत्म होकर आधा-अधूरा वापस आ रहा है. बहुत कुछ बदलता रहा सरकारी नौकरी में लेकिन बस एक चीज कभी नहीं बदली वो है केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना यानी CGHS से मिलने इलाज कराने की जबरदस्त सुविधा.
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पिछले कुछ सालों में CGHS को लेकर चीजें अच्छी और मजबूत होती रहीं, लेकिन क्या ये सुविधा जैसी है क्या वैसी ही आगे रहेगी? आठवें वेतन आयोग में CGHS को लेकर क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं जो करीब एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की जिंदगी पर असर डालेंगे. Personal Finance की इस सीरीज में हम इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या बदलने जा रही है स्वास्थ्य सुविधा?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने आठवें वेतन आयोग को लेकर चल रहे अनुमानों के बीच CGHS को लेकर बड़ा दावा किया है. दावा ये है कि हो सकता है CGHS जैसा है वैसा न रहे. आठवें वेतन आयोग में सरकार इंश्योरेंस बेस्ड किसी स्वास्थ्य योजना की शुरूआत कर सकती है. स्वास्थ्य सुविधाएं खत्म तो नहीं होगी लेकिन सुविधाएं लेने-देने का तरीका बदल सकता है.
अगर ऐसा हुआ तो सैलरी से बहुत मामूली डिडक्शन के साथ मिलने वाली लाखों रुपए की स्वास्थ्य सुविधा पर बड़ा असर पड़ सकता है. इससे प्रभावित सरकारी कर्मचारियों, उनके परिवार के साथ पेंशनर्स भी होंगे. अभी क्लियर नहीं कि अगर इंश्योरेंस बेस्ड कोई स्कीम आएगी तो इसके नियम कानून होंगे.
क्या है CGHS ?
1954 से चली आ रही CGHS ऐसी एक सुविधा है जिसका फायदा भारत सरकार के चपरासी से लेकर आईएएस, आईपीएस, सांसद, जज, राज्यपाल तक उठा सकते हैं. सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है. अगर सरकारी अस्पताल में इलाज की पूरी सुविधा नहीं मिलती तो प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करा सकते हैं. वो भी CGHS के रेट पर.
CGHS की सबसे बड़ी सुविधा है कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है. अस्पताल में एडमिट होने, सर्जरी से लेकर रूम रेंट, दवा तक कैशलेस मिलता है. अगर किसी इमरजेंसी में कैशलेस सुविधा नहीं मिल पाती तो रिइन्बर्समेंट क्लेम से पैसे लिए जा सकते हैं.
कब से मिलती है CGHS की सुविधा
सरकारी नौकरी ज्वाइन करते ही कर्मचारी CGHS की सुविधा का फायदा उठा सकते हैं. सरकार ने अब नियम बनाया है कि जैसे ही ज्वाइनिंग होगी वैसे ही CGHS सुविधा मिलेगी. इससे फर्क नहीं पड़ता है कि कर्मचारी का CGHS कार्ड बना या नहीं. अस्पताल में इलाज कराने के लिए CGHS कार्ड ही सबसे बड़ी आईडी का काम करती है. सरकार ने CGHS की सारी सुविधाएं ऑनलाइन कर दी हैं तो किसी अस्पताल या ऑफिस में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती. CGHS की सुविधा लेने के लिए सैलरी से डिडक्शन होती है.
CGHS के लिए सैलरी से बहुत कम कटता है जो कर्मचारी के बेसिक के हिसाब से तय होता है. 47600 तक बेसिक है तो जनरल वार्ड में एडमिट होकर इलाज करा सकते हैं. बेसिक 63 हजार से ज्यादा है तो प्राइवेट वार्ड लेकर इलाज करा सकते हैं. सातवें वेतन आयोग में भी CGHS को लेकर बड़े बदलाव किए गए थे. उससे CGHS की सुविधाएं बेहतर हुईं. अब ये संभावना है कि इंश्योरेंस बेस्ड स्कीम के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकती हैं.
CGHS को लेकर कई नए नियम भी
इसी महीने सरकार ने CGHS को लेकर कई नए नियम बनाए हैं, ताकि कोई भी कर्मचारी सुविधा का दुरूपयोग न करे. नियम ये बना था कि अस्पताल में एडमिट होने के बाद हर दिन जियो टैग फोटो पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी था.
इससे अस्पतालों और मरीजों दोनों को दिक्कतें होनी लगी. सरकार ने नया नियम ये है कि अब किसी जियो-टैग्ड फोटो की जरूरत नहीं है. रेफरल वैलिड होना चाहिए और एनएचए पोर्टल पर अपलोड होना चाहिए. लेकिन पूरी तरह फोटो अपलोडिंग का नियम खत्म नहीं हुआ है. नॉन रेफरल केसेस में एडमिशन और डिस्चार्ज वाले दिन अस्पताल के वार्ड या आईसीयू से फोटो अपलोड करनी होगी. अगर 7 दिन से ज्यादा एडमिट हैं तो हर सातवें दिन ऐसा करना होगा. फोटो में सीजीएचएस कार्ड दिखाना जरूरी नहीं है.
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