देश के चर्चित बिजनेसमैन अनिल अंबानी पर बड़ा आरोप लगा है. ईडी, सीबीआई की जांच में घिरे अनिल अंबानी की कंपनियों पर न्यूज पोर्टल कोबरा पोस्ट ने 28 हजार 874 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है. पत्रकार अनिरुद्ध बहल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और कोबरा पोस्ट पर प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया है कि अनिल अंबानी के ADA ग्रुप ने सरकारी बैंकों, आईपीओ और इन्वेस्टर्स के पैसे गलत तरीके से ट्रांसफर करके निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किए.
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करीब 12 हजार करोड़ की रकम विदेशी कंपनियों में पहुंचाई गई. कोबरा पोस्ट ने दावा किया कि शेल कंपनियों, डमी ट्रांजैक्शन, फर्जी विदेश निवेश के जरिए ये घोटाला किया गया. कोबरा पोस्ट का दावा है कि गलत तरीके से डायवर्ट की गई रकम 41 हजार करोड़ से ज्यादा है.
कोबरा पोस्ट के खुलासे वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही अनिल अंबानी के एडीए ग्रुप की कंपनियों रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा ने स्टॉक एक्सचेंजेस को बताया कि कोबरा पोस्ट का कथित खुलासा सिर्फ पहले से मौजूद जानकारियों को तोड़-मरोड़कर पेश करने से ज्यादा कुछ नहीं है.
ये सभी चीजें पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं और सेबी, ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां इसकी जांच कर चुकी हैं. कंपनी ने ब्लैकमेलिंग कैंपेन बताते हुए आरोप लगाया कि ये एक सुनियोजित साजिश है जिससे शेयर बाजार में घबराहट फैलाई जा सके और रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिराकर उनकी एसेट्स को सस्ते में खरीदा जा सके.
2019 से निष्क्रिय कोबरापोस्ट जो अचानक फिर से एक्टिव हुआ है और अब यह पूरी तरह फंडेड कैंपेन चला रहा है. इसके पीछे ऐसे कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वी हैं जो रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की एसेट्स को डिस्ट्रेस्ड वैल्यू यानी बहुत कम कीमत पर हासिल करना चाहते हैं. मैन्युपुलेटेड ट्रेडिंग के कारण रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों के मार्केट कैप में 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की गिरावट आई है.
रिलायंस का कारोबार धीरूभाई अंबानी ने खड़ा किया था. उनके रहते दोनों बेटे मुकेश और अनिल अंबानी ने रिलायंस की कमान संभाली. 2006 तक सब ठीक चलता रहा. अचानक भाइयों में तकरार हुई. रिलायंस के कारोबार के बंटवारे की नौबत आ गई. बड़े भाई मुकेश अंबानी से अलग होने के बाद अनिल अंबानी ने अलग बिजनेस साम्राज्य खड़ा किया. मुकेश अंबानी के पास रिलायंस इंडस्ट्रीज रही. अनिल अंबानी ने पिता के नाम पर Anil Dhirubhai Ambani Group ADA खड़ा किया. रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंफ्रा जैसी 8 कंपनियां ADA के पोर्टफोलियो में शामिल हैं. अनिल अंबानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में शामिल हो गए.
रिलायंस पावर का आईपीओ शेयर मार्केट में ऐसा इतिहास रच गया जो आज तक नहीं टूटा. 2008 में रिलायंस पावर का आईपीओ खरीदने के लिए 7.12 लाख करोड़ रुपये की बोलियां लगी लेकिन वही रिलायंस पावर कुछ साल बाद ढेर हो गया. 2020 में रिलायंस पावर का शेयर एक रूपया का हो गया. अनिल अंबानी भाई से अलग तो हो गए लेकिन उनका ग्रुप बढ़ने की बजाय बिखरने लगा. बेतहाशा कर्ज, बिजनेस के एक्सपेंशन का उल्टा असर ये हुआ कि धीरे-धीरे बिजनेस डूबने लगा. अनिल अंबानी कंगाल, दिवालिया हो गए. 2020 में उन्होंने लंदन की अदालत में खुद कहा कि मैं दिवालिया हूं. इतने पैसे भी नहीं कि अपना खर्च उठा सकूं और वकील का फीस दे सकूं.
कुछ वक्त से अनिल अंबानी का बिजनेस एंपायर उनके बेटे अनमोल अंबानी और अंशुल अंबानी ने संभाला तो चर्चा तेज होने लगी कि कंपनियां रिवाइव होने वाली हैं. रिलायंस इन्फ्रा और रिलायंस पावर कर्ज मुक्त हो गईं. एक रूपये वाले रिलायंस पावर के शेयर अचानक 75 पार हो गए. रिलायंस इंफ्रा भी प्रॉफिट में आ गई. ग्रुप की कई और कंपनियों में तेजी दिखने लगी. इस बीच अनिल अंबानी मुकेश अंबानी के घर में अनंत अंबानी की शादी में भी देखे गए. अनुमान लगने कि अनिल अंबानी के लिए चीजें ठीक हो रही है. एडीए जोरदार वापसी कर लेगा.
ये सब बातें हो ही रही थी कि अचानक फिर बुरी खबरें आने लगीं. ईडी, सीबीआई ने अनिल अंबानी पर शिकंजा कस दिया. अगस्त में ईडी ने अनिल अंबानी को समन कर दिया. 35 से ज्यादा ठिकानों पर ईडी की रेड हो गई.
आरोप है कि अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों ने हज़ारों करोड़ रुपये के बैंक लोन को शेल कंपनियों के ज़रिये ट्रांसफर किया. सीबीआई ने चार्जशीट में खुलासा किया कि अनिल अंबानी की कंपनियों में निवेश से यस बैंक को 2,700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी भी जांच के घेरे में आ गए. यस बैंक के चीफ रहे राणा कपूर भी आरोपों के घेरे में हैं.
कोबरा पोस्ट का कथित खुलासा सिर्फ पहले से मौजूद जानकारियों को तोड़-मरोड़कर पेश करने से ज्यादा कुछ नहीं है। ये सभी चीजें पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं और सेबी, ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां इसकी जांच कर चुकी हैं। ये एक सुनियोजित साजिश है जिससे शेयर बाजार में घबराहट फैलाई जा सके और रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिराकर उनकी एसेट्स को सस्ते में खरीदा जा सके. 2019 से निष्क्रिय कोबरापोस्ट जो अचानक फिर से एक्टिव हुआ है और अब यह पूरी तरह फंडेड कैंपेन चला रहा है. इसके पीछे ऐसे कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वी हैं जो रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की एसेट्स को डिस्ट्रेस्ड वैल्यू यानी बहुत कम कीमत पर हासिल करना चाहते हैं.मैन्युपुलेटेड ट्रेडिंग के कारण रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस पावर के शेयरों के मार्केट कैप में 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की गिरावट आई है.
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