केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी (GST) दरों में बड़े बदलावों का ऐलान किया है, जिसमें कई प्रोडेक्ट पर GST को कम या ज्यादा किया गया है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा एक फैसले को लेकर हो रही है, सिगरेट और तंबाकू जैसे उत्पादों पर 40% जीएसटी लगाने के बावजूद, बीड़ी पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है. इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि जहां लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बीड़ी कम हानिकारक है?
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क्यों उठा विवाद?
सिगरेट और तंबाकू पर जीएसटी बढ़ने से ये उत्पाद महंगे होंगे. वहीं बीड़ी सस्ती हो जाएगी. सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर सिगरेट हानिकारक है तो बीड़ी को क्यों छूट दी गई? कुछ यूजर्स ने इसे बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़ा, जहां बीड़ी उद्योग से लाखों लोग जुड़े हैं.
वहीं, केरल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की लेकिन उनका एक ट्वीट उल्टा पड़ गया. ट्वीट में बिहार की तुलना बीड़ी से करने पर सियासी बवाल मच गया. बिहार में विपक्षी दलों ने इसे अपमानजनक बताकर सरकार पर निशाना साधा.
बीड़ी पर GST क्यों घटाया गया?
सरकार के इस कदम के पीछे बीड़ी उद्योग को सहारा देना एक बड़ा कारण माना जा रहा है. ट्रेड यूनियनों के अनुसार, बीड़ी उद्योग में 60-70 लाख लोग काम करते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. श्रम और रोजगार मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 40 लाख लोग इस उद्योग से सीधे जुड़े हैं.
स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर बीड़ी पर जीएसटी कम करने की मांग की थी. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि 28% जीएसटी के कारण रजिस्टर्ड बीड़ी निर्माताओं को नुकसान हो रहा है और अनरजिस्टर्ड यूनिट्स में काम बढ़ रहा है, जिससे मजदूरों को परेशानी हो रही है. पहले बीड़ी पर कम टैक्स लगता था और कई राज्यों में सेल्स टैक्स भी नहीं था, जिससे उद्योग को स्थिरता मिलती थी.
कितना बड़ा है भारत में बीड़ी का कारोबार?
भारत में बीड़ी का कारोबार अनुमानित 20 हजार करोड़ से अधिक का है. डेटा इन ब्रीफ (2024) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.19 ट्रिलियन बीड़ियां बनाई जाती हैं. खास बात यह है कि इस उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा लगभग 31%, बिना टैक्स दिए ही बिक जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बीड़ी को एक कुटीर उद्योग का दर्जा मिला हुआ है, जिससे बड़ी कंपनियां भी छोटी-छोटी इकाइयां बनाकर टैक्स से बच जाती हैं. यह स्थिति एक बड़ी "शैडो इकोनॉमी" को जन्म देती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती है.
बीड़ी उत्पादन में एमपी टॉप पर
बीड़ी उत्पादन में मध्यप्रदेश नंबर-1 पर है. एमपी तेंदू पत्ते का सबसे बड़ा उत्पादक है, यह पूरे देश का करीब 25 प्रतिशत तेंदू पत्ते का उत्पादन करता है. इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है जो करीब 20 प्रतिशत तेंदु पत्ता उत्पादन करता है. इसके अलावा ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड़ भी प्रमुख रूप से बीड़ी उद्योग से जुड़े हैं.
वहीं तंबाकू उत्पादन के मामला में 41% के साथ गुजरात टॉप पर आता है, सौराष्ट्र में सबसे अधिक तंबाकू पैदा की जाती है. है. वहीं दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहां देश का 22% तंबाकू उत्पादन होता है. इसके अलावा कर्नाटक 16% हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर पर है.
बीड़ी के सबसे बड़े उपभोक्ता उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं. जमुई, मुंगेर और भागलपुर जिले बीड़ी निर्माण व खपत के बड़े केंद्र हैं. NFHS और GATS की 2022-23 की रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में बीड़ी पीने वालों की संख्या सबसे अधिक है.
बीड़ी कारोबार से जुड़े हैं कई नेता
बीड़ी उद्योग राजनीति से भी जुड़ा है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद खलीलुर रहमान 'नूर बीड़ी वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड' के मालिक हैं. उनकी कंपनी रोजाना लगभग 1 करोड़ बीड़ियां बनाती है. इसी तरह BJP के पूर्व सांसद श्याम चरण गुप्ता, श्याम बीड़ी के मालिक रहे हैं. उनकी कंपनी का सालाना कारोबार 200 से 225 करोड़ रुपये है और यह 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है.
क्यों है बीड़ी ज्यादा खतरनाक
बीड़ी को बनाने के लिए तेंदु पत्ते का इस्तेमाल होता है, जिसमें तंबाकू लपेटा जाता है. जबकि सिगरेट में तंबाकू कागज की परत में लपेटा जाता है. बीड़ी में फिल्टर नहीं होता, जिससे उसका धुआं सीधे शरीर में जाता है और ज्यादा जहरीले तत्व फेफड़ों में पहुंचते हैं.
बीड़ी जलाने के लिए ज्यादा गहरे और बार-बार कश लेने पड़ते हैं, जिससे ज्यादा मात्रा में निकोटीन, टार और चमड़ी को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व शरीर में जाते हैं.
रिसर्च के अनुसार 1 बीड़ी, 2 सिगरेट के बराबर नुकसानदायक मानी जाती है. बीड़ी के धुएं में सिगरेट के मुकाबले 3-5 गुना ज्यादा निकोटीन, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड होता है.
वैज्ञानिक विश्लेषणों के अनुसार 1 बीड़ी से औसतन 4.1-4.7 मिलीग्राम निकोटीन मिलता है, कुछ ब्रांड्स में यह मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति बीड़ी तक भी पाई गई है.
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