तीसरे साल भी घटी घरेलू बचत: कर्ज पर टिके 'अच्छे दिन', CareEdge की रिपोर्ट ने खोली पोल

CareEdge रिपोर्ट के मुताबिक भारत में घरेलू बचत 3 साल से गिर रही है, लोग कर्ज लेकर गुजारा कर रहे हैं. जानें आर्थिक संकट के पीछे की सच्चाई.

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तस्वीर: AI

रूपक प्रियदर्शी

19 Jun 2025 (अपडेटेड: 19 Jun 2025, 01:10 PM)

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"घी के दीये जल रहे हैं, लेकिन कर्ज लेकर..." ये लाइन अब सिर्फ कहावत नहीं रही, बल्कि आज की हकीकत बन चुकी है. CareEdge Ratings की ताजा रिपोर्ट ने चौंकाने वाला आर्थिक सच सामने रखा है- भारत के मिडिल क्लास परिवार लगातार तीसरे साल बचत नहीं कर पा रहे, उल्टा कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है.

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2014-15 में जहां घरेलू बचत GDP का 32.2% थी, वह 2023-24 में घटकर 30.7% हो गई. केवल यही नहीं, पिछले एक दशक में भारत में पर्सनल लोन दोगुना हो चुका है. मौजूदा स्थिति में घरेलू बचत GDP के मुकाबले घटकर 18.1% रह गई है, जबकि लोग जीडीपी का 6.2% हिस्सा लोन के रूप में ले रहे हैं.

घरों में खर्च और दिखावे के लिए लिए जा रहे हैं लोन, EMI और क्रेडिट कार्ड के सहारे चल रही है लाइफस्टाइल. यह रिपोर्ट शहरी मिडिल और लोअर मिडिल क्लास की सच्चाई बयान करती है, जो EMI की जुगाड़ में फंसी जिंदगी जी रही है.

राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज 

कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को सरकार के 'अच्छे दिन' के वादे के खिलाफ हथियार बना लिया है. जयराम रमेश ने ट्वीट में कहा कि मोदी सरकार के राज में आय घटी, महंगाई बढ़ी, बचत घटी और कर्ज बढ़ा.

गांवों में कुछ राहत 

रिपोर्ट में ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति थोड़ी बेहतर बताई गई है. गांवों में पुरुष मजदूरी में 6% से ज्यादा की ग्रोथ दर्ज की गई है, जिससे कुछ सकारात्मक संकेत मिलते हैं. वहीं शहरी आबादी की सेविंग कम हुई और लोन पर डिपेंडेंसी बढ़ गई. गांवों के लोग इसलिए मजे में हैं क्योंकि न ज्यादा आशावादी हैं, न निराशा में डूबे हैं. शहरों के लोगों का भरोसा डगमगाया हुआ, नेगेटिव है.

महंगाई की स्थिति मिली-जुली

महंगाई आंकड़े के सरकारी मीटर कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI में एक अच्छा ट्रेंड देखने को मिला है. 2019 के बाद ये सबसे लोअर लेवल 3.2 परसेंट पर आ चुका है. फूड इन्फ्लेशन में सबसे ज्यादा परेशानी इसलिए आ रही है खाने के तेल में 17 और फलों में करीब 14 परसेंट की महंगाई है. 
 
 

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