2025 में सोने की दौड़ ने सबको चौंका दिया, लेकिन अब सबके मन में यही सवाल है कि 2026 क्या लेकर आने वाला है? दरअसल 2025 में सोने ने 50% से ज्यादा की रैली दिखाई, अब कहा जा रहा है कि 2026 में ये और 30% तक चढ़ सकता है. कुछ एक्सपर्ट्स 2026 में गोल्ड को नई ऊंचाइयों पर देख रहे हैं तो कुछ मानते हैं कि यही चमक 20% तक फीकी भी पड़ सकती है. तो क्या ये नया गोल्ड सुपर-साइकल है, या फिर अगले साल Yellow Metal से चमक छिन भी सकती है? आइए विस्तार से समझते है.
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WGC के ताजा अनुमान में क्या-कुछ आया सामने?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल यानी WGC का ताजा अनुमान कहता है कि अगर माहौल सकारात्मक रहा, तो 2026 में सोना अभी से 15% से 30% तक और बढ़ सकता है. यानी जिस सोने ने 2025 में ही करीब 53% की तेज बढ़त दी, वही सोना अगले साल भी निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे सकता है. 2025 में दुनिया भर में अनिश्चितता, US टैरिफ, युद्ध जैसे हालात और सुरक्षित जगह ढूंढते निवेशकों ने गोल्ड की कीमतों को ऊपर पहुंचाया.
सेंट्रल बैंकों की भारी खरीद और ब्याज दरों से जुड़ी नीतियां भी गोल्ड की तेजी का बड़ा कारण रहीं. WGC के अनुसार अगर यील्ड घटती हैं, तनाव बना रहता है और सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ती है, तो 2026 में सोने में बड़ी तेजी आ सकती है. ETF यानी गोल्ड फंड्स की खरीद इस रैली को और ताकत दे सकती है.
'CY25 में अब तक गोल्ड ETFs में करीब 77 बिलियन डॉलर आए हैं और लगभग 700 टन गोल्ड इनके पास जुड़ चुका है. 2024 से देखें तो ये बढ़त करीब 850 टन की है, जो पिछले बुल रन के मुकाबले अभी भी आधी है. यानी आगे तेजी की गुंजाइश मौजूद है. लेकिन दूसरी तरफ जोखिम भी है. WGC का कहना है कि अगर ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेज हो जाती है, महंगाई बढ़ती है और फेड ब्याज दरें घटाने के बजाय बढ़ा देता है, तो सोने की कीमत गिर भी सकती है. ऐसी स्थिति में डॉलर मजबूत होगा, यील्ड बढ़ेंगी, और निवेशक सोने से पैसा निकालकर शेयरों जैसे जोखिम वाले निवेश में जा सकते हैं. तब WGC के मुताबिक 2026 में सोना 5% से 20% तक गिर भी सकता है. ETFs से पैसे निकलने की संभावना भी रहेगी, हालांकि उपभोक्ताओं और लंबे समय के निवेशकों की खरीद बाजार को थोड़ा संभाल सकती है.'
डॉयचे बैंक का अंदाजा बिल्कुल अलग
वहीं डॉयचे बैंक का अंदाजा इससे उलट बहुत अलग है. बैंक ने 2026 के लिए गोल्ड का अनुमान बढ़ाकर 4,450 डॉलर प्रति औंस कर दिया है. उनका मानना है कि निवेश से आने वाली मांग सप्लाई से ज्यादा तेज है. 2025 में गोल्ड ने 1980 के बाद सबसे बड़ा मूल्य उतार-चढ़ाव दिखाया और वह पुराने पैटर्न से अलग व्यवहार कर रहा है.
बैंक का दावा है कि 2026 में सेंट्रल बैंक गोल्ड खरीद बढ़ाकर 1,053 टन तक कर सकते हैं, जो 2025 के 853 टन से कहीं ज्यादा है. चीन इस खरीद का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. रूस पर पाबंदियों के बाद कई देशों ने डॉलर पर निर्भरता कम करने और रिज़र्व में गोल्ड का हिस्सा बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इससे बाजार में सोने की उपलब्धता और कम हो रही है.
सप्लाई की बात करें तो माइनिंग आउटपुट सीमित है, और पुराने सोने की रीसायक्लिंग भी पहले की तुलना में कम है. इसी वजह से डॉयचे बैंक को लगता है कि कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं और 2026 निवेशकों के लिए फिर से मजबूत साल साबित हो सकता है.
चांदी की क्या रहेगी स्थिति?
गोल्ड के साथ बैंक सिल्वर यानी चांदी पर भी पॉजिटिव नजर आया है. उनका अनुमान है कि 2026 में चांदी की औसत कीमत 55.1 डॉलर रह सकती है. सोलर पैनल, ईवी और इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती मांग के मुकाबले उत्पादन कम है. गोदामों में रखी चांदी भी लगातार घट रही है और लीज रेट 2002 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर हैं. अगर ETFs में खरीद बढ़ी, तो चांदी सोने से भी तेजी से उछल सकती है.
मतलब यह कि 2026 गोल्ड और सिल्वर के लिए या तो नया हाई ला सकता है या फिर तेज करेक्शन भी दे सकता है. सब कुछ दुनिया के हालात, निवेशकों की सोच और सेंट्रल बैंकों की खरीद पर निर्भर करेगा. सोना ऊपर जाए या फिसले- एक बात तय है, 2026 में हर नजर इसी पीली धातु पर टिकी रहेगी.
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