साल 2025 को अगर कोई एक धातु परिभाषित कर रही है, तो वो है चांदी. जहां सोना हमेशा से निवेशकों का फेवरेट रहा है, वहीं इस साल चांदी ने सोने की चमक को भी पीछे छोड़ दिया है. और अब इस तेजी पर बड़ी बात कही है देश के जाने-माने उद्योगपति और अनिल अग्रवाल, जो वेदांता ग्रुप के चेयरमैन हैं. अनिल अग्रवाल ने चांदी पर बड़ी भविष्यवाणी की है. सोना-चांदी के इस एपिसोड में आज जानेंगे अनिल अग्रवाल का क्या कहना है, चांदी में और तेजी आएगी या गिरावट और 2026 में चांदी की कीमत क्या रहने वाली.
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2025 में चांदी ने सोने से दिया दोगुनी रिटर्न
अनिल अग्रवाल के मुताबिक, साल 2025 में चांदी ने खुद को सोने की छाया से बाहर निकालकर एक अलग पहचान बना ली है. अगर डॉलर के हिसाब से देखें, तो इस साल चांदी ने करीब 125% का रिटर्न दिया है. वहीं, सोना जिसका साल भी शानदार रहा लगभग 63% ही बढ़ा. यानी साफ है कि रिटर्न के मामले में चांदी, सोने से करीब दोगुनी तेजी से आगे निकली है.
अनिल अग्रवाल ने क्या कहा?
अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि, चांदी की कहानी अभी बस शुरू ही हुई है. उनका कहना है कि चांदी सिर्फ एक निवेश वाली धातु नहीं है, बल्कि इसमें दोहरी ताकत है. जैसे निवेश मूल्य, मजबूत औद्योगिक मांग की वजह से आने वाले समय में चांदी को भविष्य का मेटल माना जा रहा है.
क्यों बढ़ रही है चांदी की मांग?
आज की नई टेक्नोलॉजी में चांदी की भूमिका बेहद अहम होती जा रही है. सोलर पैनल और सोलर सेल में चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल, डिफेंस और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी की जरूरत, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बढ़ता इस्तेमाल इसकी मांग को लगातार बढ़ा रही है.
अनिल अग्रवाल के मुताबिक, जैसे-जैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी और हाई-टेक इंडस्ट्री की ओर बढ़ेगी, वैसे-वैसे चांदी की मांग और मजबूत होती जाएगी. अनिल अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल, वेदांता ग्रुप देश की करीब 30% चांदी की मांग पूरी करता है. उनका साफ कहना है कि, कीमतों में उतार-चढ़ाव आता रहेगा, लेकिन चांदी की चमक लंबे समय तक बनी रहने वाली है.
चांदी कारोबार का विस्तार कर रहा वेदांता ग्रुप
चांदी कारोबार के विस्तार की बड़ी योजना वेदांता ग्रुप अब चांदी उत्पादन पर और ज्यादा फोकस कर रहा है.
- मौजूदा उत्पादन: करीब 800 टन प्रति वर्ष
- लक्ष्य: अगले 3 वर्षों में 2,500 टन प्रति वर्ष
इसका मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि पूरी घरेलू मांग को पूरा करना, देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करना और भारत को चांदी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है. अनिल अग्रवाल का मानना है कि वेदांता का डिमर्जर और चांदी पर बढ़ता फोकस, बिजनेस पर साफ फोकस जिससे मजबूत बैलेंस शीट और शेयरधारकों के लिए लॉन्ग-टर्म वैल्यू अनलॉक करेगा.
तो कुल मिलाकर, साल 2025 सिर्फ सोने का नहीं, बल्कि चांदी का सुपरहिट साल बन चुका है. और अगर वेदांता चेयरमैन की मानें, तो चांदी की यह रफ्तार अभी थमने वाली नहीं है.
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