हिसाब-किताब: इनवेस्टर्स को क्यों सता रहा ब्लैक मंडे का डर, क्या है शेयर मार्केट से इसका कनेक्शन? जानिए

सोशल मीडिया पर पोस्ट की बाढ़ सी आ गई है कि सोमवार को शेयर बाज़ार में क्या होगा? ब्लैक मंडे की आशंका जताई जा रही है. इसकी जड़ में है अमेरिका में मंदी की आशंका. मंदी की आशंका का कारण है बेरोज़गारी और इससे जुड़ा है Sahm Rule. 

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News Tak Desk

• 01:32 PM • 04 Aug 2024

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Hisab Kitaab by Milind Khandekar: सोशल मीडिया पर पोस्ट की बाढ़ सी आ गई है कि सोमवार को शेयर बाज़ार में क्या होगा? ब्लैक मंडे की आशंका जताई जा रही है. इसकी जड़ में है अमेरिका में मंदी की आशंका. मंदी की आशंका का कारण है बेरोज़गारी और इससे जुड़ा है Sahm Rule. इसके हिसाब से तीन महीने की बेरोज़गारी दर पिछले 12 महीने की न्यूनतम दर से 0.5% ज़्यादा है तो मंदी आती है. 1970 से यह फॉर्मूला सही साबित हुआ है. यह Rule बनाने वाली Claudia Sahm का कहना है कि अकेले इस आंकड़े के आधार पर मंदी की आशंका गलत है. फिर भी बाजार का डर बना हुआ है.

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सितंबर में होगी ब्याज दर में कटौती?

अमेरिका के शेयर बाजार में पिछले हफ्ते गिरावट आयी है. टेक्नॉलजी शेयरों का पैमाना नापने वाले Nasdaq करीब 4% गिर चुका है. पिछले बुधवार को फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती का फैसला नहीं किया. अब उम्मीद है कि सितंबर में कटौती हो सकती है क्योंकि बेरोजगारी बढ़ रही है. कोरोना वायरस के बाद महंगाई को काबू में करने के लिए दुनिया भर में सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों को बढ़ाया ताकि लोगों के हाथ से पैसा खींच लिया जाए. पैसा कम होगा तो खर्च कम करेंगे. खर्च कम करेंगे तो महंगाई कम होगी. इसके चलते मंदी का डर भी बना रहता है. सवाल सिर्फ इतना होता है कि खराब मौसम में फंसे इकनॉमिक विमान की लैंडिंग हार्ड होगी या सॉफ्ट. हार्ड मतलब मंदी का दौर, बेरोजगारी, आमदनी ना बढ़ना और सॉफ्ट का मतलब बिना मंदी में फंसे बच निकलना.

बढ़ रहा बेरोजगारी दर

अब ब्याज दर बढ़ाकर दो साल हो चुके हैं. महंगाई की दर काबू में आ रही है. फिर भी ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला नहीं हो रहा है. इसका एक बड़ा कारण रहा है GDP में बढ़ोतरी हो रही है. ब्याज दर ज़्यादा होने के बाद भी आर्थिक गतिविधि कम नहीं हो रही है. अब अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने के कारण आर्थिक गतिविधि कम होने का संकेत मिल रहा है. अमेरिका में पिछले महीने 1.14 लाख नौकरी आयी जबकि जरूरत दो लाख की है. बेरोजगारी की दर 4.3% हो गई है जबकि पिछले साल न्यूनतम 3.6% थी. Sahm Rule के हिसाब से अगर बेरोजगारी दर का तीन महीने का औसत पिछले 12 महीने के न्यूनतम से 0.5% ज़्यादा हो तो मंदी आ सकती है. ऐसा होता है तो इकनॉमिक जहाज की हार्ड लैंडिंग होगी.

ब्लैक मंडे का डर क्यों?

Sahm Rule को बनाने वाली फेड रिजर्व की पूर्व इकोनॉमिस्ट Claudia Sahm का कहना है कि कोरोना वायरस के बाद हालात बदल गए हैं . पहले लोगों की किल्लत थी और अब ज़्यादा लोग काम खोज रहे हैं. इस कारण बेरोजगारी दर बढ़ी है. अकेले यह आंकड़ा मंदी का कारण नहीं हो सकता है. फेड रिजर्व की भी यही राय है .चेयरमैन जेरॉम पॉवेल ने कहा कि लेबर मार्केट नॉर्मल हो रहा है. वो हालात पर नजर बनाए हुए हैं.

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने पिछले हफ़्ते ब्याज दरों में कटौती का फ़ैसला किया है. अब देखना है कि बाकी दुनिया कब फ़ैसला करती है. भारत में रिजर्व बैंक के गवर्नर कह चुके हैं कि अभी साल भर तक इंतज़ार करना पड़ सकता है , लेकिन अमेरिका में हालात बदलते हैं तो भारत में भी जल्द कदम उठाने पड़ेंगे. फ़िलहाल नज़र सोमवार को बाज़ार के रिएक्शन पर है. इस उम्मीद के साथ कि ब्लैक मंडे नहीं होगा.

वैधानिक चेतावनी : यह लेख सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है. इसके आधार पर निवेश का फैसला नहीं करें. शेयर बाजार में निवेश के लिए SEBI  से मान्यता प्राप्त सलाहकारों से बात करना चाहिए.

रिपोर्ट- मिलिंद खांडेकर

 

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