Delhi Congestion Tax: दिल्ली के जाम में फंसे तो देना होगा टैक्स! जानिए इसकी पूरी डिटेल

Congestion Tax: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, AAP सरकार राजधानी दिल्ली में कंजेशन टैक्स वसूलने की प्लानिंग कर रही है. ये टैक्स गाड़ी से दिल्ली आने वाले दूसरे शहर के लोगों से वसूला जाएगा.

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सौरभ दीक्षित

23 Oct 2024 (अपडेटेड: 23 Oct 2024, 07:49 PM)

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Congestion Tax: आम आदमी महंगाई के साथ टैक्स के बोझ से भी परेशान है. देश में कई तरह के टैक्स आम आदमी को देने पड़ते हैं. अब लोगों पर एक नए तरह के टैक्स की मार भी पड़ने जा रही है. ये टैक्स है कंजेशन टैक्स. ये टैक्स भीड़ को कम करने के लिए लगाया जाएगा. असल में भारी भीड़ भाड़ के चलते ट्रैफिक जाम लग जाता है. इस जाम को कम करने के लिए ये कंजेशन टैक्स लगाने की तैयारी है. तो क्या है ये पूरा मामला आइए जानते हैं.

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किसे देना होगा कंजेशन टैक्स?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, AAP सरकार राजधानी दिल्ली में कंजेशन टैक्स वसूलने की प्लानिंग कर रही है. ये टैक्स गाड़ी से दिल्ली आने वाले दूसरे शहर के लोगों से वसूला जाएगा. दिल्ली सरकार ने शहर में एंट्री करने वाले टोल पर बढ़ते ट्रैफिक की समस्या को ध्यान में रखकर कंजेशन टैक्स वसूलने की योजना बना रही है. दिल्ली सरकार ये टैक्स फास्टैग की मदद से वसूल सकती है.

दिल्ली से बाहर की गाड़ियां जैसे ही टोल प्लाजा से दिल्ली में एंट्री करेंगी उनके फास्टैग अकाउंट से कंजेशन टैक्स काट लिया जाएगा. जिससे टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लंबी लाइन न लगे. ये टैक्स दिल्ली के 13 अलग-अलग बॉर्डर पर वसूला जाएगा. इसके लिए सरकार ने 2 टाइम स्लॉट भी डिसाइड किए हैं. सुबह 8 से 10 बजे तक और शाम को साढ़े 5 बजे से साढ़े 7 बजे के बीच दिल्ली में एंट्री करने वाली गाड़ियों को कंजेशन टैक्स चुकाना होगा.

किसपर पड़ेगा असर?

AAP सरकार दिल्ली में बाहर ने आने वाली गाड़ियों पर लगाम लगाना चाहती है. सरकार के इस फैसले का विरोध भी होना शुरू हो गया है. इस टैकस की सबसे ज्यादा मार उन लोगों पर पड़ेगी जो दूसरे शहरों में रहते हैं और दिल्ली में नौकरी करते हैं. नौकरी करने वाले लोगों को हफ्ते में 5 से 6 दिन दिल्ली आना होगा और हर बार उन्हें कंजेशन टैक्स देना पड़ेगा. जो लोग बिजनस करे के लिए दूसरे शहरों से दिल्ली आते हैं उन लोगों पर भी इस फैसले की मार पड़ेगी. 

विदेश में भी वसूला जाता है ये टैक्स

कंजेशन टैक्स लंदन, सिंगापुर और स्टॉकहोम जैसे शहरों में लोगों को देना पड़ रहा है. लंदन में इस टैक्स को साल 2003 में शुरू किया गया था. लंदन के सेंट्रल एरिया में एंट्री करने वाले वाहनों को ये टैक्स देना पड़ता है. स्टॉकहोम में ये टैक्स साल 2007 में शुरू किया गया था. सिंगापुर में इसे इलेक्ट्रॉनिक रोड प्राइसिंग यानी ERP कहा जाता है.

इन शहरों में इस टैक्स की वजह से ट्रैफिक को कंट्रोल करने में काफी मदद मिली है. लेकिन दिल्ली में सरकार की इस पहल से ये सवाल उठता है कि क्या मुंबई और बेंगलुरू जैसे बड़ी भीड़भाड़ वाले शहरों में भी सरकारें इस तरह के उपाय अपनाने पर विचार कर सकती हैं. कुल मिलाकर अगर दिल्ली में ये कंजेशन टैक्स लगाया जाता है तो आम आदमी पर एक बड़ी मार पड़ेगी.

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