Hisaab Kitab: हिसाब किताब के नियमित पाठकों को याद होगा कि पिछले महीने हमने मंदी से निपटने का एक उपाय बताया था इनकम टैक्स कटोती. सोशल मीडिया पर Trolling भी हुई कि हर बार माहौल बनाते हैं, कुछ होता नहीं है. इस बार बजट में इनकम टैक्स में कटौती हो गई.
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अब कितना इनकम टैक्स?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की है कि ₹12 लाख तक आमदनी वालों को इनकम टैक्स नहीं देना होगा. अगर आप सैलरी वाले हैं तो ₹75 हज़ार का Standard Deduction और जुड़ जाएगा. मतलब ₹12.75 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके लिए शर्त है कि आप New Tax Regime हो. वैसे 100 में से 73 टैक्स देने वाले New Regime में आ गए हैं. इससे ऊपर वाली आमदनी वाली पर टैक्स की बचत ₹1 लाख के आसपास बैठती है. वित्त मंत्री ने कहा कि एक करोड़ लोगों को अब इनकम टैक्स नहीं देना होगा.
इससे क्या फ़ायदा होगा?
हमारी अर्थव्यवस्था दुश्चक्र में फंसी हैं. एक तरफ़ महंगाई काबू में नहीं आ रही है और दूसरी तरफ ग्रोथ कम हो रही है. इकनॉमिक सर्वे के अनुसार अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ 6.3-6.8% रह सकती है. कम जीडीपी ग्रोथ का नतीजा यह हुआ है कि लोगों की आमदनी नहीं बढ़ रही है. इकनॉमिक सर्वे को आधार मानें तो पांच साल में सेलरी 5% CAGR (Compounded Annual Growth Rate) से बढ़ी है. महंगाई भी 5% से बढ़ी है. किसी की सेलरी ₹25 हज़ार थी तो अब ₹32 हज़ार हैं.
दिक़्क़त यह है कि महंगाई के कारण जो सामान या सर्विस ₹25 हज़ार में मिलती थी उसके लिए अब ₹32 हज़ार या उससे थोड़ा ज़्यादा खर्च करना पड़ता है. मतलब पाँच साल में जहां के तहाँ. लोग इसके चलते हाथ खोल कर खर्च नहीं कर रहे हैं . FMCG ( Fast Moving Consumer Goods) कंपनियों का माल शहरों में बिक नहीं रहा था. लोग साबुन, शैम्पू, बिस्किट जैसी रोज़मर्रा की चीजों को ख़रीदने से कतरा रहे हैं. टैक्स में कटौती से उम्मीद है कि लोगों के हाथ खुलेंगे.
अब रिज़र्व बैंक की बारी
ग्रोथ कम होने के लिए सरकार के साथ साथ रिज़र्व बैंक भी ज़िम्मेदार है. रिज़र्व बैंक ने महंगाई को क़ाबू करने के लिए ब्याज दर बढ़ा रखी है. महंगाई अब तक क़ाबू में आयी नहीं है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी से लोगों के लिए लोन लेकर घर या कोई सामान ख़रीदना महंगा हो गया है .कंपनियों के लिए भी लोन लेकर नया प्रोजेक्ट लगाना महंगा पड़ता है. रिज़र्व बैंक की बैठक इस हफ़्ते होने वाली है.
रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक़ बाज़ार को 0.25% कटौती की उम्मीद है. रिज़र्व बैंक कटौती शुरू करता है तो यह सोने पर सुहागा होगा. मिडिल क्लास को राहत देने का जो काम वित्त मंत्री ने शुरू किया है वो आगे बढ़ेगा. खपत बढ़ेगी. शेयर बाज़ार में भी तेज़ी आएगी. अब देखना है कि रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा इस मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती करते हैं या फिर अप्रैल की मीटिंग में.
इनपुट: मिलिंद खांडेकर
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