Personal Finance: महंगाई दर 8 सालों में सबसे कम फिर भी रोजमर्रा की चीजें सस्ती होने का नाम नहीं ले रहीं, जानिए क्यों

पिछले 8 सालों में खुदरा महंगाई दर 1.55% पर आ गई है, लेकिन रोजमर्रा की चीजें अब भी महंगी क्यों हैं? जानिए कैसे मापी जाती है महंगाई दर और आम लोगों की जेब पर इसका क्या असर पड़ता है.

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तस्वीर: न्यूज तक.

बृजेश उपाध्याय

• 10:41 AM • 18 Aug 2025

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पिछले 8 सालों में खुदरा महंगाई दर सबसे निचले स्तर पर है. यानी 1.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो जून- 2017 के बाद सबसे कम है. आम आदमी का सवाल ये है कि महंगाई दर कम हो रही पर रोजमर्रा की चीजें सस्ती नहीं हो रहीं. यही सवाल प्रतिभा का भी है. प्रतिभा एक गृहिणी हैं. उनका कहना है कि चीजें सस्ती होने की बजाय महंगी होती जा रही हैं. फिर ये महंगाई दर कम होने का क्या मतलब है. 

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Personal Finance की इस सीरीज में प्रतिभा जैसे कई लोगों का सवाल हम बेहद सरल अंदाज में दे रहे हैं. महंगाई दर कम, लेकिन चीजें महंगी क्यों हो रहीं इसका भी कारण आपको बताएंगे. 

महंगाई दर क्या है और कैसे मापा जाता है?

महंगाई दर (Inflation Rate) को मुख्य रूप से कीमतों की टोकरी (Basket of Goods & Services) के आधार पर मापा जाता है. पहला CPI (Consumer Price Index) और दूसरा WPI (Wholesale Price Index). 

CPI: आम लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली चीजों (खाना, कपड़ा, दवा, शिक्षा, बिजली आदि) की कीमतों में बदलाव को मापा जाता है. यही आंकड़ा  भारत सरकार और RBI दोनों इस्तेमाल करते हैं. 
WPI: वस्तुओं की थोक कीमतों (प्रोडक्शन/फैक्टरी स्तर) पर मापा जाता है. इसमें कृषि, ईंधन और निर्मित वस्तुएं शामिल होती हैं. 

भारत में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि ये लोगों को सीधा प्रभावित करती हैं. CPI तैयार करने के लिए, कंज्यूमर एक्सपेंडीचर सर्वे (CES) द्वारा उपभोक्ता खर्च डेटा इस्तेमाल किया जाता है. 

महंगाई दर कम होने का क्या मतलब है? 

अब हम असली मुद्दे पर आते हैं. महंगाई दर कम हुई पर वस्तुएं सस्ती होने की बजाय महंगी ही हो रही हैं. दरअसल महंगाई दर कम होने का मतलब है कि वस्तुएं अब उतनी तेजी से महंगी नहीं होंगी. आइए इसे उदाहरण से समझाते हैं. 

माना कि महंगाई दर 6 फीसदी है. ऐसे में कोई सामान जो 100 रुपए का है वो साल के अंत तक महंगा होकर 106 रुपए का हो जाएगा. वहीं यदि महंगाई दर 2 फीसदी है तब भी वो महंगा होगा पर 2 फीसदी से ज्यादा नहीं. यानी  100 रुपए का सामान 102 रुपए तक ही महंगा होगा. यदि महंगाई दर 0 हो गई तो कीमतें स्थिर हो जाती हैं. हालांकि महंगाई दर 0 होने से कई बड़े नुकसान भी हैं. 

महंगाई दर जीरो या माइनस में होने के नुकसान 

  • महंगाईदर 0 का मतलब साल के अंत तक वस्तुओं का रेट वहीं का वहीं रहा. 
  • इससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में गिरावट आने लगती है. 
  • निवेश और मांग दोनों ठप हो सकती हैं.
  • कीमतें गिरने पर लोग और सस्ता होने का इंतजार करते हैं और खरीदारी टालने लगते हैं. 
  • ऐसे में मुद्रास्फीति में गिरावट आने लगती है. 
  • लोगों को लगता है कि चीजें सस्ती हो रही हैं पर कंपनियां घाटा होने पर प्रोडक्शन घटा देती हैं.
  • कॉस्ट कटिंग करने लगती हैं जिससे रोजगार सिमटने लगता है. 
  • ऐसी स्थित में लोन और कर्ज महंगा होने लगता है. 

कर्ज महंगा होने का क्या मतलब है?

कर्ज महंगा होने का मतलब है कि यदि आपने 8 फीसदी ब्याज दर से कोई कार लोन पर  ले रखी है. अचानक बाजार में महंगाई दर काफी नीचे चली गई.  ऐसे में ब्याज दर बढ़ जाएगी जिससे आपको कर्ज चुकाना महंगा हो जाएगा. महंगाई दर काफी कम होने से पैसे की वैल्यू बढ़ने लगती है. आप 100 रुपए लेकर बाजार जाते थे और एक सामान खरीदकर लाते थे वहीं अब उतने में ही आपको दो सामान मिल जाएगा. ऐसे में आपने जो लोन लिया है उस पैसे की भी कीमत बढ़ने से ब्याज आपको ज्यादा चुकाना पड़ सकता है. 

इससे कैसे निपटें 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया चाहता है कि महंगाई दर 2 फीसदी से 6 फीसदी के बीच बना रहे. यानी आइडियल 4 फीसदी के आसपास रहे. महंगाई दर कम या ज्यादा होने पर RBI ब्याज दरों में कटौती करता है. 

  • महंगाई दर काफी कम होने या काफी बढ़ने...यानी दोनों ही हालात में वस्तुओं की मांग बाजार में कम होने लगती है. 
  • इससे उत्पादन और रोजगार घटने लगता है. 
  • नौकरियों के जाने का खतरा बढ़ जाता है. 
  • RBI रेपो रेट कम करता है जिससे ब्याज दर कम हो जाता है. 
  • इससे निवेशकों को सस्ते में लोन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
  • इससे बाजार में नए प्रोजेक्श शुरू हों...प्रोडक्शन बढ़े और अर्थव्यवस्था में सुधार हो. 

कुल मिलाकर महंगाई दर बढ़ने या कम होने का संबंध प्रोडक्ट के महंगा और कम महंगा होने से जुड़ा हुआ है. महंगाई दर 0 होना प्रॉडक्ट के दाम स्थिर होने की तरफ इशारा करता है. यदि महंगाई दर माइनस में चली जाएगी तब प्रॉडक्ट के दाम गिरने लगेंगे. 

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