केंद्र सरकार ने मैसेजिंग ऐप्स को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब व्हाटसएप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट, अराटाई और जोश जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म उसी मोबाइल में चल पाएंगे, जिसमें यूजर की सक्रिय (Active) सिम लगी होगी. सरकार का कहना है कि इससे साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने में आसानी होगी.
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क्या है नया नियम?
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी मैसेजिंग ऐप तभी चालू होगा जब मोबाइल में वही SIM लगी हो, जिससे ऐप रजिस्टर्ड किया गया है. अगर फोन से SIM निकाल दी जाती है या नंबर बंद हो जाता है तो ऐप अपने-आप बंद हो जाएगा. इस सिस्टम को SIM Binding नाम दिया गया है.
वेब लॉगिन पर भी कड़ा नियम
लैपटॉप या डेस्कटॉप पर व्हाटएप वेब जैसे फीचर अब पहले की तरह 24 घंटे नहीं चल पाएंगे. नए नियम के अनुसार-
- हर 6 घंटे बाद यूजर को फिर से QR कोड स्कैन कर लॉगिन करना होगा.
- ऐप तभी चलता रहेगा, जब मोबाइल में रजिस्टर्ड SIM चालू और मौजूद हो.
फोन से SIM हटते ही मोबाइल और कंप्यूटर दोनों जगह ऐप तुरंत काम करना बंद कर देगा.
पहले ऐप कैसे चलते थे?
फिलहाल ऐप्स केवल शुरुआत में मोबाइल नंबर से एक बार OTP वेरिफिकेशन करते हैं. इसके बाद SIM निकल जाए या नंबर बंद हो जाए, फिर भी ऐप चलता रहता है. बस इंटरनेट होना चाहिए. वहीं नए नियम के बाद ऐसा नहीं होगा.
यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा?
- ऐप इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल नंबर हमेशा एक्टिव रखना होगा.
- SIM बंद हुई तो WhatsApp- Telegram जैसे ऐप भी बंद हो जाएंगे.
- दोबारा नंबर चालू कराने या नया नंबर लेने पर ऐप फिर से रजिस्टर करना होगा.
नियम की जरूरत क्यों पड़ी?
सरकार का कहना है कि अभी कई साइबर फ्रॉड विदेशी नंबरों और वर्चुअल SIM का उपयोग करके किए जाते हैं. SIM Binding लागू होने से, फर्जी कॉल, स्पैम, ऑनलाइन ठगी जैसी समस्याओं पर काफी हद तक रोक लगाने की उम्मीद है.
कौन-कौन से ऐप्स पर पड़ेगा असर?
सिर्फ WhatsApp, Telegram या Snapchat ही नहीं, बल्कि हर वह ऐप प्रभावित होगा जो OTP या मोबाइल नंबर से वेरिफाइ होता है. इनमें शामिल हैं,
- सिग्नल
- आईमैसेज
- ट्रूकॉलर
- फेसबुक/इंस्टाग्राम के OTP आधारित लॉगिन
- Google/Apple ID की मोबाइल नंबर रिकवरी
- UPI एप्स
यानी नंबर-आधारित लॉगिन वाले लगभग सभी प्लेटफॉर्म पर इसका असर होगा.
कब से लागू होगा यह नियम?
सरकार ने आदेश तुरंत लागू कर दिया है लेकिन कंपनियों को इसे पूरा तरह अपनाने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है.
नियम नहीं माना तो क्या होगा?
कंपनियों को 120 दिनों के भीतर नियमों का पालन करने की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी. अगर कोई कंपनी आदेश नहीं मानती, तो टेलीकॉम एक्ट 2023 और साइबर सिक्योरिटी नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
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