Stock Market Crash: एक झटके में ₹4.53 लाख करोड़ खत्म! 3 फैक्टर जो ले डूबे शेयर बाजार

प्रवीण शर्मा

17 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 17 2024 1:14 PM)

Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को हाहाकार मच गया. शेयर बाजार इतनी बुरी तरह से टूटे कि किसी को कुछ समझ नहीं…

Stock Market Crash: एक झटके में ₹4.53 लाख करोड़ खत्म, 3 फैक्टर जो ले डूबे बाजार!

Stock Market Crash: एक झटके में ₹4.53 लाख करोड़ खत्म, 3 फैक्टर जो ले डूबे बाजार!

follow google news

Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को हाहाकार मच गया. शेयर बाजार इतनी बुरी तरह से टूटे कि किसी को कुछ समझ नहीं आया. इन्वेस्टर्स में ऐसी भगदड़ हाल-फिलहाल के दौर में कभी दिखाई नहीं दी होगी. शेयर बाजार ने 18 महीने की सबसे बड़ी गिरावट बुधवार को देखी. शेयरों में भारी बिकवाली और मारकाट से बाजार बेहाल हो गया.

यह भी पढ़ें...

18 महीने की सबसे बड़ी गिरावट

HDFC Bank के खराब तिमाही नतीजों से बाजार बुरी तरह टूट गया. कारोबार खत्म होने पर सेंसेक्स 1,628 अंक या 2.23% गिरकर 71,500 पर बंद हुआ, दूसरी ओर, निफ्टी 460 अंक या 2% गिरा और 21,572 पर आ गया. ये बाजार में जून 2022 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है.  BSE पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप भी 4.53 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गिर गया. यानी एक झटके में इन्वेस्टर्स के साढ़े चार लाख करोड़ से ज्यादा बाजार में डूब गए. BSE पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप घटकर ₹370.42 लाख करोड़ पर आ गया.

HDFC Bank में डूबे ₹1 लाख करोड़

निफ्टी पर HDFC Bank 8.2% गिरकर ₹1,542 पर बंद हुआ. HDFC Bank में एक दिन में ही इन्वेस्टर्स को 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया. मार्च 2020 के बाद HDFC Bank के शेयरों में ये सबसे बड़ी गिरावट रही है. इसके चलते बैंक निफ्टी के सभी 12 स्टॉक्स गिरकर बंद हुए.  टाटा स्टील, कोटक बैंक, एक्सिस बैंक, हिंडाल्को सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयर रहे.

बाजार में इस अचानक आई सुनामी को लेकर सभी के मन में एक ही सवाल उठ रहा है. बाजार में आखिर ये रक्तपात हुआ क्यों? तो चलिए फटाफट आपको बताते हैं कि बुधवार को बाजार में अफरातफरी क्यों मची.

फैक्टर 1: HDFC Bank के खराब नतीजे

बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह रही HDFC Bank के खराब नतीजे. दिसंबर तिमाही में देश के सबसे बड़े बैंक को सालाना आधार पर ज्यादा प्रोविजनिंग करनी पड़ी है. नेट प्रॉफिट में 34% इजाफे के बावजूद इन्वेस्टर्स बैंक की लोन बुक और नेट इंटरेस्ट मार्जिन के आउटलुक को लेकर निराश नजर आए. CLSA, Morgan Stanley जैसे ब्रोकरेज हाउसेज ने लोन ग्रोथ और कम लिक्विडिटी कवरेज रेशियो LCR के मोर्चे पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. इससे बैंक के शेयरों में भारी गिरावट नजर आई और इसने बाजार को नीचे धकेल दिया.

फैक्टर 2: डॉलर की तेजी, FED का बयान

बाजार में गिरावट की दूसरी वजह डॉलर का एक महीने की ऊंचाई पर पहुंचना रहा है. डॉलर इंडेक्स बढ़ने से क्रूड ऑयल और दूसरी कमोडिटीज आयात करना महंगा हो जाता है. इससे इंपोर्ट बिल बढ़ता है और हमारे करंट अकाउंट डेफिसिट में इजाफा होता है.

इसके अलावा बाजार के लिए अमेरिका से एक बुरी खबर भी आई है. फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर के बयान से मार्च में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल पड़ गईं. उन्होंने कह दिया कि भले ही अमेरिका 2% के महंगाई के गोल की तरफ आगे बढ़ रहा है, लेकिन फेड को ब्याज दरों में कटौती करने को लेकर हड़बड़ी नहीं दिखानी चाहिए. इस टिप्पणी से अमेरिका में 10 साल की ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड 4% के ऊपर निकल गई. डॉलर इंडेक्स 1 महीने के हाई पर पहुंच गया.

फैक्टर 3: चीन का चक्कर

बाजार की गिरावट में तीसरा फैक्टर एशियाई मार्केट्स में गिरावट रही. बुधवार को चाइनीज स्टॉक्स की अगुवाई में एशियाई बाजार नीचे लुढ़क गए. चौथी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था 5.2% की रफ्तार से बढ़ी है. ये आंकड़े आते ही चीन में शेयर बुरी तरह से टूट गए. चीन की ग्रोथ के आंकड़े एनालिस्ट्स की उम्मीदों से कमतर रहे हैं.

शेयर बाजारों में बीते कुछ वक्त से लगातार तेजी का दौर बना हुआ है. शेयर बाजार हर दिन तेजी का नया रिकॉर्ड बना रहे थे और सेंसेक्स 73 हजार के पार पहुंच गया था. दूसरी तरफ निफ्टी भी 22,000 के बड़े आंकड़े को पार कर चुका था. ऐसे में कई जानकार बाजार में एक करेक्शन की आशंका जता रहे थे. हालांकि, कैपिटल गुड्स और आईटी सेक्टर में इतनी ज्यादा गिरावट नजर नहीं आई. बाजारों में मिड और स्मॉल कैप शेयरों में भी बीते वक्त में रही बड़ी तेजी के बाद इनकी महंगी वैल्यूएशन को लेकर फिक्र जाहिर की जा रही थी. देखना ये होगा कि क्या बाजार में आने वाले दिनों में भी तेज करेक्शन दिखाई देगा या निचले लेवल्स पर गिरावट का इस्तेमाल इन्वेस्टर्स खरीदारी के लिए करेंगे.

    follow google newsfollow whatsapp