क्या है 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज', जिसे ईरान ने बंद कर दिया तो वर्ल्ड में मच जाएगी खलबली! इंडिया-US में भी होगा संकट  

What is the Strait of Hormuz: ईरान और इजरायल के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है, और अब इसमें अमेरिका भी कूद गया है. अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर हवाई हमले किए हैं, जिससे दुनिया भर में चिंता और बढ़ गई है.

Strait of Hormuz
Strait of Hormuz

ललित यादव

• 12:56 PM • 22 Jun 2025

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What is the Strait of Hormuz: ईरान और इजरायल के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है, और अब इसमें अमेरिका भी कूद गया है. अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर हवाई हमले किए हैं, जिससे दुनिया भर में चिंता और बढ़ गई है.

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इसके साथ ही, इस बात का खतरा भी बढ़ गया है कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (Strait Of Hormuz) को बंद कर सकता है. यह दुनिया के सबसे अहम तेल मार्गों में से एक है, और अगर यह बंद होता है, तो दुनिया को एक बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं स्ट्रेट ऑफ होर्मुज क्यों ज़रूरी है और इसके बंद होने पर क्या होगा असर?

अमेरिकी हवाई हमलों से बढ़ी चिंता

सबसे पहले बात करते हैं ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका के शामिल होने से बिगड़े हालात की. अब अमेरिका खुलकर ईरान के खिलाफ दिख रहा है और उसने ईरान की तीन बड़ी परमाणु साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस बारे में बयान दिया है.

ट्रंप ने इसे अमेरिकी सेना की ताकत बताया है और कहा है कि अब शांति का समय है. हालांकि, यह युद्ध अब थमने वाला नहीं लगता और इससे दुनिया की चिंताएं बढ़ गई हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिकी सैन्य कार्रवाई पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि यह पहले से तनावपूर्ण माहौल में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है.

'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' से 26% तेल व्यापार

इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के बीच ईरान पहले से ही होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की धमकी दे रहा है. हालांकि, विशेषज्ञ इस कदम को आसान नहीं मानते थे, लेकिन अब इजरायल के साथ-साथ अमेरिका के हमलों के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि ईरान होर्मुज को बंद कर सकता है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समुद्री तेल मार्ग है जिस पर ईरान का कंट्रोल है. खाड़ी देशों से तेल की सप्लाई का यह इकलौता रास्ता है.

रिपोर्टों के अनुसार, इस रास्ते से दुनिया का लगभग 26 फीसदी कच्चा तेल व्यापार होता है. अगर इसमें कोई रुकावट आती है या इसे बंद कर दिया जाता है, तो इसका सीधा असर अमेरिका, यूरोपीय देशों और भारत पर भी पड़ेगा.

तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की चिंताएं

होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक कच्चे तेल व्यापार के एक बड़े हिस्से के लिए बहुत अहम है, जिससे यह दुनिया के सबसे रणनीतिक समुद्री तेल मार्गों में से एक बन जाता है. इस रास्ते में कोई भी रुकावट वैश्विक तेल बाजारों में उथल-पुथल मचा सकती है और कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. कुछ समय पहले, एक ईरानी सांसद अली याज्दिखाह ने साफ शब्दों में कहा था कि अगर अमेरिका इजरायल के समर्थन में ईरान के साथ युद्ध में शामिल होता है, तो दबाव बनाने के लिए ईरान कच्चे तेल के व्यापार को रोकने के लिए होर्मुज को बंद कर सकता है.

होर्मुज कैसे डालेगा असर?

अब बात करते हैं कि होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) कैसे वैश्विक संकट का कारण बन सकता है. दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग मार्गों में से एक, यह तेल मार्ग करीब 96 मील लंबा है और अपने सबसे संकरे हिस्से में 21 मील चौड़ा है. इसमें दोनों दिशाओं में दो मील चौड़ी दो शिपिंग लेन हैं, जिन पर ईरान रोक लगा सकता है. यह होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. अगर ईरान यह कदम उठाता है, तो कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आएगा, क्योंकि जहाजरानी कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी.

ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इस मार्ग के बंद होने से जहाजों को अपना रास्ता बदलना होगा, जो कि लंबा और महंगा होगा. इससे माल ढुलाई की लागत से लेकर डिलीवरी के समय तक में वृद्धि होगी. पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट में जूलियस बेयर के अर्थशास्त्री और रिसर्च हेड नॉर्बर्ट रूकर ने भी कहा था कि भू-राजनीतिक तनाव फिर से बढ़ गया है और कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल आया है. इस बीच, तेल आपूर्ति की चिंताएं निश्चित रूप से बढ़ रही हैं.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री इस बात से सहमत नहीं हैं कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का कदम उठा सकता है. हालांकि, अमेरिकी हमले के बाद इन आशंकाओं को बल जरूर मिला है. अगर कच्चे तेल की कीमतों को देखें, तो ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil Price) 77 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया है, जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड (WTI Crude Price) लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है. कुछ दिनों पहले जेपी मॉर्गन ने कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने का अनुमान लगाया था, तो वहीं अब युद्ध गहराने के बाद कई प्रमुख बैंकों और विश्लेषकों, जिनमें सिटी और ड्यूश बैंक भी शामिल हैं, ने इसके 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की आशंका जताई है.

भारत में महंगाई का जोखिम

रिपोर्टों के अनुसार, भारत में हर दिन लगभग 37 लाख बैरल कच्चे तेल की खपत होती है और देश अपनी ज़रूरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से 40% केवल खाड़ी देशों से आता है. ऐसे में, अगर कच्चे तेल की सप्लाई में किसी भी तरह की रुकावट आती है, तो यह अन्य देशों के साथ-साथ भारत के लिए भी एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Rate) कच्चे तेल की कीमत, माल ढुलाई शुल्क और रिफाइनरी लागत के आधार पर तय करती हैं.

इसके अलावा, आम ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन भी जुड़ता है. कच्चा तेल महंगा होने से अगर पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते हैं, तो इससे ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ेगी और इसके चलते ज़रूरी सामानों की कीमतों में भी इज़ाफा होगा, जिससे आम जनता के लिए महंगाई का जोखिम (Inflation Risk) बढ़ सकता है.

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