छत्तीसगढ़: आजादी के बाद पहली बार इस गांव में होगी वोटिंग, जानें क्यों लग गया इतना वक्त

First ever Voting in Chhattisgarh’s Chandameta Village- भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन आज भी देश में कई गांव ऐसे हैं जहां…

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धर्मेन्द्र महापात्र

04 Aug 2023 (अपडेटेड: 04 Aug 2023, 06:24 AM)

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First ever Voting in Chhattisgarh’s Chandameta Village- भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन आज भी देश में कई गांव ऐसे हैं जहां कई कारणों से मतदाता केन्द्र नहीं बन पाए. ऐसा ही एक गांव छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के बस्तर (Bastar) में स्थित है. छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा के अंतिम गांव के लोग पहली बार अपने गांव में ईवीएम देखेंगें और उन्हें पहली बार यहां इसे इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा.

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चांदामेटा (Chandameta) बस्तर जिले का अंतिम गांव है.तुलसी डोंगरी के नीचे बसे इस गांव को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था.नक्सलियों ने इस गांव ट्रेनिंग सेंटर बना रखा था.इसलिए गांव में आज तक किसी भी चुनाव में वोटिंग नहीं हुई है.इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में गांव  की तस्वीर अलग ही दिखेगी,देश की आजादी के  बाद इस साल पहला मौका होगा कि गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के 337 मतदाता बेखौफ होकर वोट डालेंगे और पहली ईवीएम से निकलने वाली व्हिप  की आवाज सुनी जाएगी.

कहां है यह गांव?

दरअसल, बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से 60-65 किमी की दूरी पर चांदामेटा गांव बसा है.जगदलपुर से कोलेंग और चिंगुर होते हुए चांदामेटा जाया जाता है.गांव घने जंगल और पहाड़ी से घिरा हुआ है.इस गांव में कुल 5 पारा है.

क्यों कहा जाता है नक्सलियों का किला?

मकोलेंग को नक्सलियों की राजधानी और चांदामेटा को नक्सलियों का किला भी कहा जाता था.पास ही तुलसी डोंगरी की पहाड़ी है जो दो राज्य ओड़िसा और छत्तीसगढ़ की सीमा को जोडती है.नक्सली यहीं अपने कैडरों को हथियार चलाना मुठभेड़ के सारे गुण सिखाते है.इस पूरे इलाके में दरभा डिवीजन के नक्सलियों की हुकूमत चलती थी.खूंखार नक्सली सोनाधर इस इलाके का लीडरों उसके एनकाउंटर के बाद से नक्सल दहशत कम हुई है.लेकिन अब भी दरभा डिवीजन के 10 – 12 इनामी नक्सलियों की मौजूदगी उस इलाके देखी गई है पर वे भी दुसरे इलाके चले गयें है करीब एक साल पहले नक्सलियों के इस गढ़ में फोर्स ने कैंप स्थापित किया है तब से इलाके की तस्वीर बदल रही हैं.

ग्रामीणों की मांग पर बनाया जा रहा पोलिंग बूथ

बस्तर के कलेक्टर विजय दयाराम के ने बताया कि चांदामेटा में सुरक्षाबलों का कैंप खुलने के बाद विकास का काम भी हो रहा हैं.स्कूल,स्वास्थ्य केंद्र भी खुली है.पहुच मार्ग भी बना दिया गया है.कुछ माह पर प्रशासन की टीम गाँव  गई थी ग्रामीणों ने वोटिंग की व्यवस्था उसी गांव में करने की मांग की थी. सलिए सुरक्षा व्यवस्था के बीच चांदामेटा गांव में वोटिंग कराने का निर्णय लिया गया है.

गांव के प्रत्येक परिवार के सदस्य पर नक्सल होने का मामला दर्ज

चांदामेटा के हर घर से एक व्यक्ति पर नक्सल केस दर्ज है.कुछ साल पहले तक नक्सलियों ने गांव के हर घर से एक व्यक्ति को अपने संगठन में शामिल किया था.कइयों की गिरफ्तारी भी हुई.गांव में हर घर से एक व्यक्ति नक्सल केस में जेल जा चुका है.पटेलपारा के कई घर ऐसे हैं जहां एक ही परिवार के 2-2 सदस्य नक्सल मामले में जेल काट कर लौटे हैं.अबऐसे हालात नही है.फ़ोर्स के मूवमेंट के बाद बड़े नक्सली लीडर इलाके को छोड़ कर भाग चुकें है तब से यहाँ शांति है.जो ग्रामीण जेल गये थे सब के सब बरी हो चुकें है और सरकार के साथ मिलकर इलाकें का विकास चहाते हैं.ग्रामीणों का कहना है की नक्सलियों का समर्थन करना मजबूरी थी.अब मुलभुत सुविधायें जरूरी हैं.चांदामेटा में केम्प स्थापित का ही नतीजा है की पिछले वर्ष 2022  को पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया था.इससे पहले यहाँ केवल काले झंडे लहराये जाते थे.

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