छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने केंद्र सरकार से एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20 फ्यूल) को सस्ता करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को एक डिटेल लेटर लिखते हुए बताया कि टैक्स ढांचे में सुधार कर पेट्रोल की कीमतों में सीधे 5 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की जा सकती है.
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सिंहदेव ने क्या सुझाव दिया?
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने इस पत्र में बताया कि E20 फ्यूल पर फिलहाल दोहरी टैक्स प्रणाली लागू है. पहले एथेनॉल पर 5% GST लगाया जाता है और उसके बाद इसे पेट्रोल में मिलाया जाता है, तो पूरे मिश्रण पर एक्साइज ड्यूटी, सेस और राज्य सरकार का वैट भी लगता है.
उन्होंने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री से निवेदन किया है कि आग्रह किया कि एथेनॉल के हिस्से को इन अतिरिक्त टैक्सों से छूट दी जाए, जिससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिल सके.
छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए उठाया मुद्दा
उन्होंने छत्तीसगढ़ का हवाला देते हुए कहा कि यहां E20 फ्यूल की लागत लगभग ₹94.95 प्रति लीटर है, लेकिन पेट्रोल पंप पर इसकी कीमत 99.44 रुपये से लेकर 100.55 प्रति लीटर तक है. यानी करों की वजह से उपभोक्ताओं को लगभग 5 रुपये प्रति लीटर ज्यादा चुकाना पड़ रहा है.
तकनीकी दिक्कतों पर भी जताई चिंता
पूर्व डिप्टी सीएम ने E20 फ्यूल से गाड़ियों को होने वाली तकनीकी समस्याओं का भी जिक्र किया.
- 2010 से पहले बनी गाड़ियों में माइलेज में लगभग 7% की गिरावट देखी गई है.
- 2010 से 2023 के बीच बनी गाड़ियों में माइलेज करीब 4% तक घट रही है.
इसके साथ ही उनका ये भी कहना है कि E20 फ्यूल से गाड़ियों में जंग लगने, इंजन डैमेज और मेंटेनेंस की लागत बढ़ने जैसे खतरे भी सामने आ रहे हैं. खास बात ये है कि इंश्योरेंस कंपनियां इन नुकसानों को कवर नहीं कर रहीं.
"ग्रीन एनर्जी" या क्रोनी कैपिटलिज्म?
सिंहदेव ने इस बात की चेतावनी दी है कि अगर टैक्स और तकनीकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो E20 फ्यूल एक पर्यावरण हितैषी पहल बनने की बजाय 'क्रोनी कैपिटलिज्म' का उदाहरण बन जाएगा. जहां चंद बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया जाएगा, जबकि आम जनता और वाहन मालिक नुकसान उठाएंगे.
सिंहदेव की यह चिट्ठी न सिर्फ केंद्र सरकार को एक व्यावहारिक समाधान की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ते कदमों को सफल बनाने के लिए आर्थिक और तकनीकी दोनों पक्षों पर गंभीरता से काम करना जरूरी है. अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है.
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