देश को नक्सल मुक्त बानाने को लेकर सरकार और अर्धसैनिक बलों का अभियान जारी है. सरकार ने इसके लिए 31 मार्च 2026 तक नक्सल की समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. अर्धसैनिक बलों के ऑपरेशन में कई नक्सलियों के साथ ही उनके कमांडर मारे जा चुके हैं. इस बीच अब नक्सल समूहों ने सरकार के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है. दरअसल,सुरक्षाबलों की कार्रवाई से घबराए नक्सलियों ने हथियार छोड़ने और केंद्र सरकार से बातचीत की पेशकश करते हुए एक महीने के युद्धविराम की घोषण की थी और ये युद्धविराम आज खत्म हो रहा है.
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नक्सलियों का एक महीने का युद्धविराम प्रस्ताव
हालांकि, नक्सलियों के द्वारा किए गए एक महीने के लिए युद्धविराम की घोषणा के दौरान भी केंद्रीय बलों का नक्सल विरोधी अभियान जारी रहेगा. बाता दें कि नक्सलियों की तरफ से ये घोषणा 15 अगस्त को एक पत्र के जरिए की गई थी. ये पत्र 16 सितंबर को सामने आया था. इस पत्र में नक्सल संगठन ने सरकार से शांति वार्ता शुरू करने की अपील करते हुए एक महीने के लिए सशस्त्र संघर्ष को रोकने का प्रस्ताव रखा था.
नक्सल संगठन के महासचिव के अभय ने एक पत्र जारी कर नक्सलियों ने मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने केंद्र सरकार से एक महीने के लिए संघर्ष विराम की घोषणा करने का अपील की थी. इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा था कि इस समय में वो अपने सभी कैडर के साथ शांतिपूर्ण समाधान पर चर्चा कर सकेंगे.
15 अगस्त को जारी पत्र अब आया सामने
बता दें कि नक्सलियों ने 15 अगस्त को पत्र जारी किया था जो कि 16 सितंबर को सामने आया था. ऐसे में अब इसकी इसकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है. हालांकि, एक महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य रहा है.
31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य
वहीं, नक्सलवाद की समस्या को लेकर गृह मंत्री अमित शाह पहले ही संसद में ये कह चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा. इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सुरक्षाबलों ने जनवरी 2024 से नक्सल विरोधी अभियानों को और तेज कर दिया है. इन अभियानों के दौरान केंद्रीय बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ें कई बड़े नक्सल कमांडर मारे गए हैं.
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