छत्तीसगढ़ के माहरा और महरा समुदाय को अनुसूचित जाति सूची (एससी) में शामिल करने के लिए अब रास्ता साफ होता जा रहा है. केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में महार समुदाय के लिए राज्य की अनुसूचित जाति सूची में दो पर्यायवाची शब्द जोड़ने के लिए लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया.
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सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार द्वारा पेश किया गया विधेयक, “माहरा” और “महरा” को महार समुदाय के पर्यायवाची के रूप में जोड़ता है, जिससे राज्य में अनुसूचित जाति के लिए सरकारी योजनाओं और लाभों का विस्तार करीब 2 लाख से ज्यादा लोगों तक होगा. छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में अगला विधानसभा चुनाव होने वाला है.
विधेयक में सरकार ने कहा कि इन दोनों पर्यायवाची शब्दों को शामिल करने का प्रस्ताव सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा दिया गया था. इसके बाद, भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इसके लिए अपनी मंजूरी दे दी थी, जिससे इस विधेयक को लाने की इजाजत मिल गई थी.
बिल के वित्तीय ज्ञापन में कहा गया है, “यह [विधेयक] अनुसूचित जातियों के विकास के लिए बनाई गई योजनाओं के लाभों के कारण कुछ अतिरिक्त आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय को शामिल करेगा, जिसके लिए इस विधेयक के परिणामस्वरूप नए जोड़े गए समुदायों के लोग हकदार होंगे.” हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि इस समय संभावित व्यय का अनुमान लगाना संभव नहीं है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ की 12% से ज्यादा आबादी को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इस विधेयक के संसद में पारित होने और राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद इसमें करीब दो लाख लोगों के जुड़ने की उम्मीद है.
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