रायपुर: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बच्चों की कथित अदला-बदली का मामला, चार हफ्तों बाद फिर होगी सुनवाई

रायपुर में आईवीएफ से जन्मे बच्चों की कथित अदला-बदली के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चार हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है.

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न्यूज तक

• 08:24 PM • 05 Sep 2025

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आईवीएफ तकनीक से जन्मे नवजात शिशुओं की कथित अदला-बदली का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस गंभीर मुद्दे पर SC ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है. 

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कोर्ट का कहना है कि इस मामले में विस्तृत विचार की जरूरत है और इसे चार सप्ताह बाद दोबारा सूचीबद्ध किया जाएगा.

क्या है मामला?

दरअसल ये मामला एक प्राइवेट अस्पताल से जुड़ा है, जहां एक महिला ने आईवीएफ तकनीक के जरिए एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया था. याचिकाकर्ताओं के वकील जे.के. शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि महिला ने होश में आने के बाद दोनों बच्चों को देखा भी था. हालांकि जब बच्चों को नर्सरी से वापस लाया गया, तो लड़का और लड़की की जगह दो लड़कियां दी गईं. इस पर परिवारवालों ने अस्पताल प्रशासन और पुलिस से शिकायत की.

डीएनए रिपोर्ट से हुआ खुलासा

परिजनों ने शंका हुई तो इस आधार पर दोनों बच्चियों का डीएनए टेस्ट करवाया गया. रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ एक बच्ची का डीएनए माता-पिता से मेल खाता है, जबकि दूसरी का कोई जैविक संबंध नहीं पाया गया. इससे अंदेशा गहराया कि यह बच्चों की अदला-बदली का मामला हो सकता है.

हाईकोर्ट ने नहीं मानी एफआईआर की मांग

इस मामले में याचिकाकर्ता ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने याचिका को यह कहते याचिका खारिज कर दिया कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर अब सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है.

गहरी साजिश की आशंका

याचिका करने वालों का आरोप है कि यह मात्र एक गलती नहीं, बल्कि अस्पताल की मिलीभगत से हुआ एक संगठित रैकेट हो सकता है. उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए गंभीरता से विचार करने की बात कही है और अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद निर्धारित की है.

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