छत्तीसगढ़ में सरपंच पिता की मौत के बाद बेटे ने शव दफनाया तो भड़की हिंसा, अब वजह भी आई सामने

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के बड़ेतेवड़ा गांव में एक ग्रामीण के दफन को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसा में बदल गया, जिसमें प्रार्थना स्थल में तोड़फोड़ और पत्थरबाजी हुई. घटना में 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और फिलहाल गांव में भारी सुरक्षा के बीच हालात काबू में बताए जा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में हिंसा
छत्तीसगढ़ में हिंसा

न्यूज तक डेस्क

follow google news

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का छोटा सा गांव बड़ेतेवड़ा बीते कुछ दिनों से तनाव और डर के माहौल में जी रहा है. मामला एक ग्रामीण के अंतिम संस्कार से जुड़ा है जिसने देखते ही देखते दो समुदायों को आमने-सामने ला खड़ा किया और हालात हिंसा तक पहुंच गया.

Read more!

गुरुवार यानी 18 दिसंबर को गांव में उस वक्त हालात बिगड़ गए जब एक मृत व्यक्ति के दफन को लेकर विवाद बढ़ गया. आरोप है कि इसी दौरान नाराज गांववालों ने एक समुदाय के प्रार्थना स्थल में तोड़फोड़ कर दी और अंदर रखे सामान में आग लगा दी. स्थिति बिगड़ती देख पुलिस को मौके पर पहुंचकर हालात संभालने पड़े.

क्या है पूरा मामला 

दरअसल, 16 दिसंबर को बड़ेतेवड़ा गांव के सरपंच राजमन सलाम के पिता चमरा राम सलाम का बीमारी के चलते निधन हो गया था. इसके बाद सरपंच ने अपने पिता के शव को गांव में अपनी निजी जमीन पर दफना दिया. बताया गया कि सरपंच ने कुछ समय पहले ईसाई धर्म अपना लिया था.

यहीं से विवाद की चिंगारी भड़क उठी. गांव के कुछ लोगों ने इस दफन पर आपत्ति जताई और कहा कि अंतिम संस्कार स्थानीय परंपराओं के मुताबिक नहीं किया गया. कुछ ग्रामीणों ने तो मौत पर ही संदेह जताते हुए शव को बाहर निकालने की मांग कर दी.

शव निकालने के आदेश के बाद बिगड़े हालात

ग्रामीणों की शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आ गई. कार्यपालिक दंडाधिकारी ने कानूनी प्रक्रिया के तहत शव को बाहर निकालने का आदेश दिया ताकि पंचनामा और पोस्टमार्टम किया जा सके. 

इधर, सरपंच के बेटे ने धर्म परिवर्तन कर चुके अन्य लोगों से गांव पहुंचकर समर्थन देने की अपील की है, जिससे माहौल और ज्यादा संवेदनशील हो गया है. दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई और हालात हिंसा में बदल गया. पुलिस को स्थिति संभालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

सरपंच का बयान

17 दिसंबर को जारी एक वीडियो बयान में सरपंच राजमन सलाम ने कहा कि उनके पिता की मौत 15 दिसंबर की शाम कांकेर के एक अस्पताल में हुई थी. अगली सुबह शव गांव लाया गया. उन्होंने बताया कि उन्होंने ग्राम पंचायत सदस्यों और गांव के बुजुर्गों को पहले ही जानकारी दे दी थी कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया है, हालांकि उनके पिता चर्च नहीं जाते थे.

सलाम का कहना है कि उन्होंने अनुरोध किया था कि अंतिम संस्कार गांव की परंपराओं के अनुसार किया जाए और उन्हें उसमें शामिल होने दिया जाए, लेकिन एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, जो सरपंच चुनाव में उनसे हार गया था ने इसका विरोध किया.

राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप

सरपंच ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव में हारने वाले लोगों ने बाहर से लोगों को बुलाकर माहौल बिगाड़ा और शव को कब्र से निकालने की मांग को लेकर प्रदर्शन कराया. उनके मुताबिक, मजबूरी में उन्होंने अपने करीबी दोस्तों के साथ ईसाई रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार किया.

प्रशासन की नजर, गांव में सन्नाटा

फिलहाल बड़ेतेवड़ा गांव में शांति बनाए रखने की कोशिश जारी है. पुलिस और प्रशासन लगातार हालात पर नजर रखे हुए हैं. हालांकि, गांव की गलियों में अब भी तनाव की खामोशी पसरी हुई है और लोग डरे-सहमे हैं कि कहीं हालात फिर न बिगड़ जाएं.

ये भी पढ़ें: नक्सली इलाके के आदिवासी हिंसा के डर से घर छोड़कर भागे, अब SIR में नाम कटा तो साय सरकार से लगाई गुहार

    follow google news