अब सिर्फ आम आदमी ही नहीं, बल्कि दिल्ली की सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री, मंत्री और बड़े अधिकारी भी सरकारी खर्चे पर महंगे मोबाइल फोन का फायदा उठा सकेंगे. हाल ही में दिल्ली सरकार के प्रशासनिक विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत मुख्यमंत्री ₹1.5 लाख तक और मंत्री ₹1.25 लाख तक के मोबाइल फोन खरीद सकेंगे और उनका पूरा बिल सरकार वहन करेगी.
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यह सुविधा हर दो साल में एक बार मिलेगी. अगर फोन में कोई खराबी आती है, तो 50% से ज्यादा के रिपेयरिंग का खर्च भी सरकार ही उठाएगी.
पहले क्या था नियम, अब क्या बदला?
दिल्ली में यह नियम साल 2013 से लागू है, लेकिन पहले मुख्यमंत्री को सिर्फ ₹8,000 और मंत्रियों को ₹4,500 तक के फोन की इजाजत थी. अब इस लिमिट को सीधे 15 गुना ज्यादा यानी लाखों में कर दिया गया है
अफसरशाही को भी मिलेगा फायदा
यह सुविधा केवल नेताओं तक ही सीमित नहीं है. दिल्ली सरकार के मुताबिक, नौकरशाह भी इसका फायदा उठा पाएंगे:
- मुख्य सचिव: ₹1 लाख तक का फोन
- प्रमुख सचिव: ₹80,000 तक का फोन
- सचिव: ₹75,000 तक का फोन
- विशेष सचिव: ₹60,000 तक का फोन
- मंत्रियों के निजी सचिव: ₹40,000 तक का फोन
हर महीने का बिल भी सरकार देगी
सबसे बड़ी बात यह है कि इन सभी लोगों के मोबाइल फोन का हर महीने का बिल, डेटा, ब्रॉडबैंड और टैक्स का हजारों रुपए का खर्चा भी सरकार ही उठाएगी.
- मुख्य सचिव: ₹6,500 + टैक्स
- प्रमुख सचिव: ₹6,000 + टैक्स
- सचिव: ₹5,500 + टैक्स
- निजी सचिव: ₹5,000 + टैक्स
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह आदेश नियमों के मुताबिक ही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब जनता को फ्री इंटरनेट, फ्री राशन या पेंशन के लिए बजट में कटौती का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में सत्ता में बैठे लोगों का ₹1.5 लाख के फोन और हजारों रुपए का मासिक बिल सरकारी पैसे से भरना कितना वाजिब है?
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