दिल्ली-एनसीआर में एयरक्राफ्ट उड़ाकर कराई जाएगी क्लाउड सीडिंग, होगी झमाझम बारिश

Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और खराब AQI के बीच अब क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) का प्रयास किया जाएगा. सेसना एयरक्राफ्ट के जरिए 100 किमी तक प्रभावी इस तकनीक से अगले 72 घंटे में झमाझम बारिश हो सकती है. जानें क्लाउड सीडिंग की पूरी प्रक्रिया, तकनीक और संभावित असर.

Artificial Rain
प्रदूषण से बचाव के लिए कराई जाएगी कृत्रिम बारिश(प्रतीकात्मक तस्वीर)

सुशांत मेहरा

23 Oct 2025 (अपडेटेड: 23 Oct 2025, 04:32 PM)

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बीते कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता हुआ दिख रहा था. दीपावली के अगले दिन तो दिल्ली की हवा बेहद खराब हो गई थी और AQI 500 पार पहुंच गया था. लेकिन अब इस समस्या से निपटने की एक ठोस तैयारी कर ली गई है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में अब क्लाउड सीडिंग(कृत्रिम बारिश) कराया जाएगा. इस क्लाउड सीडिंग के लिए सेसना एयरक्राफ्ट कानपुर से मेरठ के लिए रवाना भी हो चुका है.

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अगले तीन दिन में कभी भी हो सकती हैं क्लाउड सीडिंग 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बादलों की स्थिति को देखते हुए अगले तीन दिन यानी 72 घंटे में कभी भी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है. हालांकि इस प्रक्रिया को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा और कृत्रिम बारिश हो जाने के बाद ही इसकी जानकारी साझा की जाएगी. इस प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से तैयारी की जा रही है. 

कैसे होगी क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश एक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसका उद्देश्य बादलों से वर्षा या बर्फबारी बढ़ाना है या आसान भाषा में बोले तो यह आसमान में बारिश पैदा करने की एक तकनीक है. इस बारिश को कराने के लिए पाइरोटेक्निक नाम के एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है.

सेसना एयरक्राफ्ट की दोनों विंडस के नीचे 8 से 10 पॉकेट पाइरोटेक्निक फ्लेयर्स रखी गई है जिसे क्लाउड सीडिंग को अंजाम दिया जाएगा. एयरक्राफ्ट में मौजूद बटन से इन पॉकेट में मौजूद केमिकल्स को बादलों के नीचे ब्लास्ट किया जाएगा जिससे कृत्रिम बारिश होगी.

100 किमी का होगा रेंज

इस तकनीक में, फ्लेयर्स छोड़ी जाती हैं जो ऊपर उठकर बादलों के साथ क्रिया करती हैं. यह क्रिया बादलों में पानी की बूंदों को बढ़ा देती है, जिससे संघनन (Condensation) तेज हो जाता है और बारिश होने लगती है. अनुमान है कि इस 'क्लाउड सीडिंग' का असर लगभग 100 किलोमीटर के इलाके में महसूस किया जा सकेगा, जिससे दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत मिल सकती है.

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