जामिया विश्वविद्यालय में हिंसा पर सख्त कार्रवाई: 7 छात्र निष्कासित, 20 से अधिक को कारण बताओ नोटिस

Delhi News: दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने पिछले महीने कैंपस में हुई हिंसक झड़प के मामले में कड़ा रुख अपनाया है. विश्वविद्यालय ने इस घटना में शामिल सात छात्रों को निष्कासित कर दिया है.

 Jamia Millia Islamia University delhi

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न्यूज तक

23 May 2025 (अपडेटेड: 23 May 2025, 02:42 PM)

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Jamia University: दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने पिछले महीने कैंपस में हुई हिंसक झड़प के मामले में कड़ा रुख अपनाया है. विश्वविद्यालय ने इस घटना में शामिल सात छात्रों को निष्कासित कर दिया है, जबकि 20 से अधिक छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. इस हिंसा के कारण विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हुईं और कई छात्र घायल भी हुए थे. इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने अपने चीफ प्रॉक्टर को भी बदल दिया है.

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निष्कासित छात्रों पर कार्रवाई

विश्वविद्यालय द्वारा निष्कासित किए गए छात्रों में से तीन को तीन-तीन साल के लिए और चार को एक-एक साल के लिए निष्कासित किया गया है. फिलहाल, इस मामले पर जामिया प्रशासन की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

क्या हुआ था 25 अप्रैल को?

यह हिंसक झड़प 25 अप्रैल को दीन दयाल उपाध्याय कौशल सेंटर के पास विश्वविद्यालय के गेट नंबर 8 के अंदर हुई थी. बताया जाता है कि छात्रों के दो समूहों के बीच मामूली कहासुनी एक बड़े संघर्ष में बदल गई. कथित तौर पर यह झड़प दक्षिण परिसर से गेट नंबर 7 के माध्यम से उत्तर परिसर तक फैल गई थी. विश्वविद्यालय के अनुसार, इस घटना में कई छात्रों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की गई, और पुस्तकालय सहित विश्वविद्यालय की संपत्ति को भी निशाना बनाया गया.

'दंगाइयों के पास थे हथियार'

विश्वविद्यालय द्वारा जारी अनुशासनात्मक नोटिस के अनुसार, "छात्रों के दो समूहों के बीच झगड़ा हुआ जो जल्द ही एक बड़े पैमाने पर दंगे और भीड़ हिंसा में बदल गया." यह हिंसा कैंपस के लोकप्रिय स्थान 'हाइजेनिक पॉइंट' कैफे के पास भड़की थी. नोटिस में कहा गया है कि "दंगाई समूहों ने एक-दूसरे पर पत्थर और ईंटें फेंकी. इसमें शामिल छात्रों और बाहरी लोगों के पास लाठियां, बांस के डंडे, पत्थर और अन्य खतरनाक हथियार भी थे."

भीड़ ने कथित तौर पर अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया और अन्य छात्रों, कर्मचारियों और आगंतुकों को डराने की कोशिश की. सुरक्षा कर्मचारियों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने जब हस्तक्षेप किया, तो उन्हें विरोध और कथित तौर पर हमले का सामना करना पड़ा. एक नोटिस में यह भी कहा गया है कि "भीड़ ने गालियां दीं, असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया और ड्यूटी पर तैनात कुछ सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला किया." कई घंटों तक चली इस हिंसा में दोनों समूहों के छात्रों ने एक-दूसरे और छात्र समुदाय, कर्मचारियों, संकाय सदस्यों को निशाना बनाने के लिए लाठी, पत्थरों और ईंटों का इस्तेमाल किया.

विश्वविद्यालय की छवि हुई धूमिल

विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक माहौल में आई बाधा पर जोर देते हुए कहा कि हिंसा के कारण प्रैक्टिकल परीक्षाएं रुक गईं, लाइब्रेरी का काम प्रभावित हुआ और कक्षा शिक्षण में बाधा उत्पन्न हुई. नोटिस में आगे कहा गया कि इस घटना के कारण "बड़े पैमाने पर मीडिया रिपोर्टिंग हुई, जिससे जनता की नजरों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई."

CCTV फुटेज के आधार पर हुई कार्रवाई

विश्वविद्यालय ने बताया कि यह अनुशासनात्मक कार्रवाई सीसीटीवी फुटेज, ग्राउंड स्टाफ के प्रत्यक्षदर्शी बयानों और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के आधार पर की गई है. कुछ मामलों में छात्रों की पिछली अनुशासनहीनता को भी कार्रवाई का आधार बनाया गया. नोटिस में कहा गया है कि "आप पहले भी अनुशासनहीनता के कारणों में शामिल रहे हैं, जिनके लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे और जुर्माना भी लगाया गया था."

विश्वविद्यालय ने इसमें शामिल छात्रों से औपचारिक रूप से जवाब मांगा है. नोटिस में चेतावनी दी गई है कि "अपराध की गंभीरता और कैंपस में आपके द्वारा की गई अनुशासनहीनता को ध्यान में रखते हुए, सक्षम प्राधिकारी ने आपको यह बताने का निर्देश दिया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के नियमों और विनियमों के अनुसार आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए."

चीफ प्रॉक्टर भी बदले गए

इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने अपने चीफ प्रॉक्टर को भी बदल दिया है. अधिसूचना में कहा गया है कि प्रोफेसर मोहम्मद असद मलिक, विधि संकाय, जेएमआई ने 07.05.2025 (पूर्वाह्न) को चीफ प्रॉक्टर, जेएमआई का पदभार ग्रहण कर लिया है.

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