MPPSC (मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग) 2024 के नतीजों में इंदौर की हर्षिता दवे ने महिला वर्ग में टॉप कर इतिहास रच दिया है. उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी जब उन्हें पता चला कि वो डिप्टी कलेक्टर बन गई हैं. घर में रोटी जल गई, हाथ कांपने लगे और खुशी के मारे आंखों से आंसू छलक पड़े.
ADVERTISEMENT
हर्षिता ने बताया, "जब रिजल्ट आया और मुझे पता चला कि मैं डिप्टी कलेक्टर बन गई हूं, तो मैंने जोर से चिल्लाकर मम्मी और दादी को बताया. यकीन नहीं हो रहा था कि एक पल में ज़िंदगी कैसे बदल जाती है."
पढ़ाई का सफर कठिन पर प्रेरणादायक
हर्षिता का सफर आसान नहीं था. उन्होंने 2023 में पहली बार MPPSC परीक्षा दी थी. तब प्रीलिम्स निकाल लिया लेकिन मेंस में चूक गईं. अपनी गलतियों से सीखते हुए उन्होंने इस बार जमकर तैयारी की और खुद को साबित किया.
वो रोज़ाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करती थीं. उनका मानना है कि पढ़ाई में समय से ज्यादा ज़रूरी है “क्वालिटी” और “एकाग्रता”. उन्होंने शॉर्ट नोट्स और टाइम टेबल को अपनी तैयारी का अहम हिस्सा बताया.
परिवार बना प्रेरणा
हर्षिता एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां शिक्षा और संस्कार दोनों की अहमियत है. उनकी मां एक सरकारी स्कूल में हिंदी की टीचर हैं, वहीं पिता साहित्यकार हैं. दादी और मम्मी ने बताया कि हर्षिता बचपन से ही पढ़ने में गंभीर थी और कभी पढ़ाई के लिए टोकने की जरूरत नहीं पड़ी.
मां बताती हैं, “मैं किचन में रोटी बनाते वक्त भी हर्षिता को पढ़ाती थी. दोनों बच्चे वहीं बैठकर पढ़ते थे. संस्कार अगर अच्छे हों तो बच्चा अपने आप सही राह पकड़ लेता है.”
दादी ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “हमने बहुत संघर्ष किए. आज जब हर्षिता इस मुकाम पर पहुंची है, तो लगता है हमारा सपना पूरा हुआ है.”
हिंदी और निबंध में रहा जबरदस्त प्रदर्शन
हर्षिता ने बताया कि उनकी हिंदी पर शुरू से पकड़ मजबूत रही है, जिसकी वजह से मेंस के हिंदी और निबंध वाले पेपर में उन्हें काफी फायदा मिला. उन्होंने 100 से ज्यादा डिबेट और भाषण प्रतियोगिताएं जीती हैं, जिससे उनकी लेखन और वक्तृत्व कला निखरी.
सोशल मीडिया को बनाया सहयोगी
जहां ज्यादातर युवा सोशल मीडिया में उलझे रहते हैं, वहीं हर्षिता ने इसका इस्तेमाल स्मार्ट तरीके से किया. उन्होंने बताया, “Instagram और टेलीग्राम पर कई बार कुछ ऐसा कंटेंट मिल जाता था जो मेंस की आंसर राइटिंग में काम आता था. सोशल मीडिया तलवार की तरह है, सही हाथों में हो तो सृजन करता है.”
महिलाओं के लिए बड़ा सपना
जब उनसे पूछा गया कि वो डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद महिलाओं के लिए क्या करना चाहेंगी, तो उन्होंने आत्मनिर्भरता और शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया.
“महिलाएं अगर शिक्षित होंगी तो आत्मनिर्भर बनेंगी. मेरी कोशिश होगी कि महिलाओं को शासन-प्रशासन में बराबरी का हक मिले और जो सरकारी योजनाएं हैं उनका लाभ सीधे जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंचे.”
संतुष्टि ही सबसे बड़ी सफलता
जहां कई लोग MPPSC के बाद UPSC की ओर बढ़ जाते हैं, वहीं हर्षिता फिलहाल अपनी सफलता से संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा, “लोग कहते हैं अब UPSC की तैयारी करो, लेकिन मेरे पापा ने सिखाया है कि संतुष्ट रहना बहुत जरूरी है. मेरा सपना डिप्टी कलेक्टर बनना था, और वो मैंने पा लिया.”
हर्षिता दवे की कहानी सिर्फ एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि मेहनत, धैर्य, संस्कार और आत्मविश्वास की मिसाल है. उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर लगन सच्ची हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों.
ये भी पढ़ें: PF खाताधारकों की बल्ले-बल्ले! अब ATM से भी निकाल सकेंगे पैसा, EPFO ला रहा है नया प्लेटफॉर्म
ADVERTISEMENT