Delhi Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुए बिना पार्टियों ने पूरी तैयारियां कर ली है. आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने भी कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी. बीजेपी ने अभी कोई प्रत्याशी नहीं घोषित किया है. इसी बीच दिल्ली में आप पार्टी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त खींचतान देखने को मिल रही है. एक दिन पहले सीएम आतिशी और सांसद संजय सिंह ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करवाने तक की बात कह डाली. आखिर कौनसी वो वजहें हो सकती हैं जिसकी वजह से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी AAP क्यों उस पर हमलावर है.
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दरअसल, आम आदमी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस नेता उन्हें सार्वजनिक मंचों से आलोचना कर रहे हैं और अरविंद केजरीवाल को देशद्रोही तक कह रहे हैं. आम आदमी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस जो उम्मीदवार घोषित कर रही है उसमें बीजेपी के साथ मिलीभगत है. तो आइए आज समझते हैं कौनसी ऐसी सीटें हैं जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर हमलावर है.
नई दिल्ली सीट (केजरीवाल बनाम कांग्रेस के संदीप दीक्षित)
नई दिल्ली विधानसभा सीट, जो कभी शीला दीक्षित की परंपरागत सीट थी, 2013 में अरविंद केजरीवाल ने जीतकर शीला दीक्षित की सियासत को खत्म कर दिया था. 2015 और 2020 में कांग्रेस के किरण वालिया और रोमेश सब्बरवाल केजरीवाल के सामने कमजोर साबित हुए. लेकिन, इस बार कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा है, जो शीला दीक्षित के बेटे हैं और पूर्वी दिल्ली से पूर्व सांसद भी रह चुके हैं. इससे संदेश साफ है कि कांग्रेस केजरीवाल के लिए मुश्किलें बढ़ाना चाहती है.
जंगपुरा सीट (मनीष सिसोदिया बनाम कांग्रेस के फरहाद सूरी)
मनीष सिसोदिया ने अपनी पुरानी सीट पटपड़गंज छोड़कर जंगपुरा को चुना है. यह सीट लाजपत नगर से दरियागंज तक फैली है. फरहाद सूरी, जो 15 साल पहले दिल्ली के मेयर रह चुके हैं और जिनकी मां ताजदार बाबर एक प्रतिष्ठित नेता थीं, सिसोदिया के लिए चुनौती बन सकते हैं. फरहाद का जंगपुरा में, खासकर निजामुद्दीन में, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है, अच्छी पकड़ है.
बाबरपुर सीट (गोपाल राय बनाम कांग्रेस के हाजी इशराक):
बाबरपुर में मुस्लिम आबादी 40% है, इसलिए कांग्रेस ने हाजी इशराक को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले AAP में थे. 2013 में गोपाल राय यहां हारे थे, जब कांग्रेस के ज़ाकिर खान ने 25% वोट हासिल किए थे. अब अगर कांग्रेस मुस्लिम वोटों में सेंध लगा लेती है तो गोपाल राय के लिए चुनौती बढ़ सकती है.
बल्लीमारान सीट (AAP के मंत्री इमरान हुसैन बनाम कांग्रेस के हारून यूसुफ)
बल्लीमारान में मुस्लिम आबादी 50% है. 2013 में हारून यूसुफ यहां से विधायक बने थे, लेकिन 2015 और 2020 में इमरान हुसैन ने उन्हें हराया. अगर मुस्लिम वोटों में कोई बदलाव होता है, तो यह सीट कांग्रेस की तरफ जा सकती है.
सुल्तानपुर माजरा (मुकेश अहलावत बनाम कांग्रेस के जय किशन)
इस सीट पर दलित वोटर 41% हैं और यह SC आरक्षित सीट है. 2013 में जय किशन यहां से जीते थे, लेकिन बाद में AAP के मुकेश अहलावत ने जीत दर्ज की. जय किशन की स्थानीय पकड़ के कारण मुकेश अहलावत को कड़ी चुनौती मिल सकती है.
इनके अलावा, कांग्रेस मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ अल्का लांबा जैसे ताकतवर चेहरे को उतारने पर विचार कर रही है और मालवीय नगर से सोमनाथ भारती के खिलाफ जितेंद्र कोचर को चुना है. ओखला में भी कांग्रेस अमानतुल्ला खान के खिलाफ बड़ा चेहरा उतारने की तैयारी कर रही है. यानी, कांग्रेस की रणनीति AAP के नेताओं को उनके गढ़ में घेरने की है.
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