एशिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी क्यों बना महाराष्ट्र का चुनावी मुद्दा, अडाणी का नाम लेकर क्यों अटैकिंग हैं राहुल गांधी? जानें

धारावी जहां 10 लाख लोग रहते हैं, धारावी जिसे मुंबई का दिल कहा जाता है, धारावी जहां छोटे-छोटे कमरों में कंपनिया चलती हैं और करोड़ों में कारोबार होता है, धारावी जहां गली-गली में फैक्ट्री चल रही है और इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है.

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तस्वीर: इंडिया टुडे.

बृजेश उपाध्याय

19 Nov 2024 (अपडेटेड: 19 Nov 2024, 01:27 PM)

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धारावी के रि-डवलपमेंट का विरोध क्यों कर रही कांग्रेस समर्थित महाविकास अघाड़ी.

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धारावी का क्या है हाल? मुंबई का दिल कैसे बना धारावी, इतनी चर्चा में क्यों रहा है ये स्लम.

मुंबई में एशिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी इस बार का बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. वजह है इसका रि-डवलपमेंट प्लान. बीजेपी समर्थित महायुति इसे  रि-डवलप करना चाहती है, वहीं कांग्रेस समर्थित महाविकास अघाड़ी रि-डवलपमेंट में अडाणी ग्रुप की एंट्री पर कई सवाल उठा रही है. यही नहीं एमवीए ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ये साफ कर दिया है कि यदि यदि उनकी सरकार बनी तो इस प्रोजेक्ट को रद्द किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से मुंबई पर बुरा असर पड़ेगा. 

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धारावी जहां 10 लाख लोग रहते हैं, धारावी जिसे मुंबई का दिल कहा जाता है, धारावी जहां छोटे-छोटे कमरों में कंपनिया चलती हैं और करोड़ों में कारोबार होता है, धारावी जहां गली-गली में फैक्ट्रियां चल रही हैं और इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है, धारावी जहां 70 से 100 वर्गफीट की झुग्गियों में कई परिवार रहते हैं. अब इस धारावी का कायाकल्प हुआ तो क्या इन लोगों के हाथों में रोजगार होगा. 

धारावी में गली-गली में चल रहे छोटे धंधे बंद तो नहीं हो जाएंगे? गली-गली में चल रहे कई प्रोडक्शन के काम खत्म होने से लोग बेरोजगार तो नहीं हो जाएंगे? क्या वाकई में घर मिलेंगे या घर के नाम पर उन्हें जमीन से बेदखल कर दिया जाएगा? खुले आसमान में अपने परिवार-बच्चों के साथ वे कहां जाएंगे? ऐसे कई सवाल धारावी की जनता को परेशान कर रहे हैं. 

धारावी को रि-डवलप करने का ये प्लन कोई नया नहीं

धारावी को रि-डावलप करने का ये प्लान कोई नया नहीं है. 1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार पहली बार धारावी के फिर डवलप करने प्रपोजल लेकर आई थी. 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को इंटीग्रेटेड प्लांड टाउनशिप की तरह डवलप करने के प्रोजेक्ट मंजूरी भी दे दी. जब 2011 में कांग्रेस की सरकार आई तो उसने सभी टेंडर निरस्त कर दिया. कांग्रेस सरकार ने एक मास्टर प्लान तैयार किया. इस प्रोजेक्ट पर बोली लगी जिसे वर्ष 2019 में उद्धव ठाकरे की सरकार ने रद्द कर दिया. उस वक्त कांग्रेस भी उद्धव सरकार का हिस्सा थी. इधर उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी और बीजेपी समर्थित महायुति सत्ता में आई. सीएम बने एकनाथ शिंदे. शिंदे सरकार ने  2022 में नए टेंडर जारी कर दिए. ये प्रोजेक्ट अडाणी ग्रुप के अडाणी प्रॉपर्टीज को मिला. 

अडाणी ग्रुप ने 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगाकर टेंडर जीता था. धारावी के रि-डेवलपमेंट पर 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होने होने का अनुमान है. इसके 17 साल में पूरा होने की उम्मीद है. यहां रहने वाले लोगों को 7 साल में पक्के घरों में बसाने का टारगेट है. इस पूरे प्रोजेक्ट में 1 करोड़ वर्ग फीट से ज्यादा की जमीन आएगी. इसमें अडाणी ग्रुप शुरुआत में 5,069 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेगी. 

प्रोजेक्ट में क्या है?

प्रोजेक्ट के तहत 68 हजार से ज्यादा परिवारों को फ्री में घर देने का वादा किया गया है. दो कटेगरी बनाई गई है पात्र और अपात्र. पात्र लोगों को धारावी में 350 वर्ग फीट के फ्लैट मिलेंगे. अपात्र लोगों को धारावी के बाहर 300 वर्ग फीट के घर दिए जाएंगे. ये फ्लैट प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धारावी के बाहर दिया जाएगा जिसके लिए ढाई लाख रुपये देने होंगे.  धारावी में फ्लैट के अलावा कम्युनिटी हॉल, पार्क, हॉस्पिटल, बच्चों के लिए डे केयर और इंडस्ट्रीयल बिजनेस जोन बनेगा. 

कौन हैं पात्र, कौन अपात्र?

अब सवाल ये है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कौन पात्र हैं. 1 जनवरी 2000 से 1 जनवरी 2011 के बीच जिन लोगों ने जमीन पर अपना मकान बनाया है वे पात्र मानें जा रहे हैं. उन्हें धारावी में फ्री में फ्लैट मिलेगा. वहीं, जिन भी लोगों का मकान ऊपरी मंजिल पर होगा या जो 1 जनवरी 2022 के बाद यहां आकर बसे हैं, उन्हें अपात्र मानते हुए धारावी के बाहर फ्लैट दिया जाएगा जिसकी कीमत अदा करनी होगी. 

क्या है चुनावी मुद्दा

18 नवंबर को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अडाणी को मिले इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए. राहुल ने कहा कि धारावी का भविष्य सेफ नहीं है. इस प्रोजेक्ट से धारावी की जनता को नुकसान होगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी के चुनावी नारे 'एक हैं, तो सेफ हैं' पर बीजेपी को घेरा. राहुल ने एक पोस्टर निकाला, जिसमें धारावी का नक्शा बना था. इसे दिखाते हुए राहुल ने कहा कि अरबपति (अडाणी) चाहते हैं कि मुंबई की जमीन उनके हाथ में चली जाए. चुनाव प्रचार में विपक्षी पार्टियों ने धारावी रि-डेवपलमेंट प्रोजेक्ट को बड़ा मुद्दा बनाया. 

क्या है चुनावी समीकरण?

मुंबई की धारावी सीट साल 1978 में बनी थी. तब से यहां 10 बार चुनाव हो चुके हैं. इसमें 8 बार कांग्रेस एक-एक बार सीपीआई और शिवसेना को यहां जीतने का मौका मिला है. 2004 से 2019 तक यहां वर्षा गायकवाड़ विधायक बन रही हैं. इस बार उनकी बहन ज्योति यहां से चुनाव लड़ रही हैं. धारावी में कांग्रेस की ज्योति गायकवाड़ और शिवसेना (शिंदे गुट) के राजेश खंडारे का मुकाबला है.

इस सीट पर गायकवाड़ परिवार का दबदबा रहा है. वर्षा से पहले 3 बार इनके पिता एकनाथ गायकवाड़ चुनाव जीते थे. धारावी में करीब 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. यहां कांग्रेस दलित-मुस्लिम वोटों को साधते आ रही है. अब बीजेपी सालों से झुग्गियों में रह रहे धारावी की जनता को उनका अपना पक्का मकान देने का वादा कर रही है. वहीं कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) समर्थित एमवीए का तर्क है कि धारावी माइक्रो इंडस्ट्री का गढ़ है. इन इंडस्ट्रीज से लाखों लोग रोजगार से जुड़े हैं. इसलिए धारावी को धारावी ही रहने दिया जाए. 

धारावी को अंग्रेजों ने बसाया था

धारावी की नींव अंग्रेजों ने वर्ष 1882 में रखा था. अग्रेजों ने यहां मजदूरों को बसाया था. यहां कई लोगों का बचपन बीता, बूढ़े हुए और आज उनका भरा-पूरा परिवार है. एक अनुमान के मुताबिक 550 एकड़ में फैले धारावी में 6 से 10 लाख और 58 हजार परिवार रहते हैं. जहां करीब 12 हजार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं. धारावी की जमीन तो सरकारी है, लेकिन यहां लोगों ने अपने खर्चे से झुग्गी-बस्ती बनाई है. यहां इतनी झुग्गी-बस्तियां हैं कि दूर से देखने पर जमीन दिखाई ही नहीं पड़ती.

80 फीसदी लोगों के पास अपना टॉयलेट नहीं

यहां 80 फीसदी लोगों के पास अपना टॉयलेट नहीं है. ये पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं. बस्ती में चमड़े की चीजें, गहने और मिट्टी के सजावटी बर्तन तैयार किए जाते हैं. इस बस्ती में बनी चीजें फिर देश-विदेशों में बिकने जाती हैं. एक अनुमान के मुताबिक, धारावी में हर साल 1 अरब डॉलर यानी लगभग 80 अरब रुपये का कारोबार होता है.

ऑस्कर विनिंग फिल्म स्लम डॉग मिलियनियर यहीं शूट हुई

2008 में आई फिल्म स्लमडॉग मिलियनियर की शूटिंग धारावी में ही हुई थी. फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे इस झुग्गी-बस्ती में रहने वाला एक लड़का करोड़पति बन जाता है. उसी के बाद से ये बस्ती खूब फैमस हुई थी. इसके अलावा गली बॉयज फिल्म की शूटिंग भी यहीं पर हुई. 

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