संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकार संविधान में 131वां संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इस संशोधन से चंडीगढ़ को पंजाब के राज्यपाल के दायरे से पूरी तरह बाहर निकालकर अलग प्रशासक (लेफ्टिनेंट गवर्नर) नियुक्त किया जा सकेगा. अभी तक पंजाब का गवर्नर ही चंडीगढ़ का प्रशासक होता है.
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नया प्रशासनिक मॉडल, एलजी नियुक्त करने की तैयारी
नए प्रस्ताव के बाद चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत लाया जाएगा. इससे राष्ट्रपति को सीधे चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने का अधिकार मिल जाएगा. यह व्यवस्था अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की तरह होगी, जहां विधानसभा नहीं होती.
प्रस्ताव सामने आते ही पंजाब की राजनीति में हड़कंप
इस खबर के सामने आते ही पंजाब की सियासत में भूचाल आ गया है. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने एक स्वर में इसका विरोध शुरू कर दिया है.
'चंडीगढ़ हमारा अधिकार'- CM भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के साथ धोखा और साजिश बताया है. उन्होंने कहा, चंडीगढ़ पंजाब के गांवों को उजाड़कर बनाया गया था. यह हमारी राजधानी है और रहेगी.
'केंद्र पंजाब की पहचान मिटाना चाहता है'- केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा, केंद्र सरकार पंजाब की पहचान मिटाना चाहती है. यह सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं, पंजाब की आत्मा पर चोट है. पंजाबियों ने कभी झुकना नहीं सीखा, आज भी नहीं झुकेंगे.
सुखबीर बादल ने बुलाई इमरजेंसी बैठक
अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को पार्टी की कोर कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है. उन्होंने कहा, चंडीगढ़ पर पंजाब का हक अडिग है. इस बिल को हर कीमत पर रोकेंगे. यह संघीय ढांचे पर सीधा हमला है.
आखिर क्या है आर्टिकल 240? समझिए पूरा प्रावधान
आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियम और रेगुलेशन बनाने की शक्ति देता है. यह अधिकार अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और पुदुचेरी जैसे क्षेत्रों में लागू होता है.
हालांकि, यदि किसी यूटी में आर्टिकल 239A के तहत विधानसभा बन चुकी हो तो विधानसभा की पहली बैठक के बाद राष्ट्रपति वहां नया रेगुलेशन नहीं ला सकते.
राष्ट्रपति द्वारा बनाया गया कोई भी रेगुलेशन संसद के कानून जितना ही प्रभावी माना जाता है और वह पहले से लागू कानूनों को बदल या खत्म भी कर सकता है.
इस बिल के आने से पंजाब को क्या नुकसान?
वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ के प्रशासक होते हैं. यह व्यवस्था एक तरह से चंडीगढ़ पर पंजाब के सांकेतिक और प्रशासनिक अधिकार को बनाए रखती है. नए संशोधन के बाद, इस पद पर एक अलग लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) की नियुक्ति होगी, जो सीधे केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह होगा. इससे चंडीगढ़ के प्रशासन में पंजाब का सीधा दखल और प्रभाव खत्म हो जाएगा.
चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के तहत लाने पर भारत के राष्ट्रपति को सीधे इस केंद्र शासित प्रदेश के लिए कानून और नियम बनाने का अधिकार मिल जाएगा. इसका मतलब है कि चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की शक्ति संसद या केंद्र सरकार के पास चली जाएगी, जैसा कि बिना विधानसभा वाले UTs में होता है.
पंजाब की सरकार, उसकी विधानसभा और उसके हितों को चंडीगढ़ से जुड़े महत्वपूर्ण फैसलों (जैसे- कर्मचारियों की सेवा शर्तें, भूमि उपयोग, संपत्ति के अधिकार, या इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट) में शामिल नहीं किया जाएगा. पंजाब का मानना है कि चंडीगढ़ पंजाब के गांवों को उजाड़कर बसाया गया था, इसलिए उसके हितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
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