हरियाणा की आर्थिक राजधानी गुरुग्राम में भी फंस गई बीजेपी, बगावत की वजह से यहां त्रिकोणीय मुकाबला

Haryana Assembly Elections: हरियाणा की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली गुरुग्राम में बीजेपी का चुनाव फंस गया है. यहां बीजेपी के बागी नेता नवीन गोयल ने भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. मुकाबला बेहद टफ फाइट का यहां रहने वाला है.

Polling for the 90 assembly seats in Haryana will be held on October 5 and the votes will be counted on October 8. 
Polling for the 90 assembly seats in Haryana will be held on October 5 and the votes will be counted on October 8. 

अभिषेक शर्मा

• 01:03 PM • 02 Oct 2024

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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हरियाणा की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली गुरुग्राम में बीजेपी का चुनाव फंस गया है.

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यहां बीजेपी के बागी नेता नवीन गोयल ने भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं.

Haryana Assembly Elections: हरियाणा की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली गुरुग्राम में बीजेपी का चुनाव फंस गया है. यहां बीजेपी के बागी नेता नवीन गोयल ने भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. मुकाबला बेहद टफ फाइट का यहां रहने वाला है. नवीन गोयल लंबे समय से गुरुग्राम की सीट पर सक्रिय थे. टिकट के प्रबल दावेदार थे. लेकिन बीजेपी ने उनको टिकट न देते हुए इस बार एक ब्राह्मण चेहरा मुकेश शर्मा को टिकट दे दिया.

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बीजेपी पिछले कुछ चुनाव से इस सीट पर वैश्य वर्ग के उम्मीदवार दे रही थी, इससे ब्राह्मण वर्ग में नाराजगी थी. इसलिए इस नाराजगी को दूर करने बीजेपी ने इस बार ब्राह्मण चेहरा मुकेश शर्मा को टिकट दे दिया. लेकिन इससे बीजेपी के सीनियर नेता नवीन गोयल नाराज हो गए. उन्होंने बगावत कर दी और निर्दलीय ही चुनावी मैदान में कूद गए हैं.

कांग्रेस ने इस सीट पर पंजाबी समुदाय से आने वाले मोहित ग्रोवर को मौका दिया है. अब यह मुकाबला आखिर त्रिकोणीय क्यों हो गया है, इसे समझने के लिए पहले गुरुग्राम सीट पर मौजूद वोटरों का जातीय समीकरण समझना होगा. गुरुग्राम सीट पर 1 लाख पंजाबी वोटर्स हैं. इनमें सबसे अच्छी स्थिति कांग्रेस के मोहित ग्रोवर की है. पिछले चुनाव में मोहित निर्दलीय चुनाव लड़े थे तो लगभग 50 हजार वोट ले लिए थे. इसलिए कांग्रेस ने इस बार उनको टिकट देकर ही चुनाव लड़ाया. जिससे पंजाबी वोट एक मुश्त कांग्रेस को मिल सकें. यहां 40 हजार वोट जाटों के हैं जो कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा के समर्थक माने जाते हैं. उनका लाभ भी कांग्रेस को हो सकता है.

लेकिन वहीं 50-50 हजार वोटर ब्राह्मण और वैश्य समुदाय से हैं जो लंबे समय से बीजेपी को ही वोट देते आए हैं. बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरा मुकेश शर्मा को आगे किया है, इस वजह से माना जा रहा है कि ब्राह्मण वोटरों का लाभ बीजेपी को मिलेगा. लेकिन नवीन गोयल के निर्दलीय उतर जाने से वैश्य वोटरों में सेंध लगना तय है. कुछ बीजेपी के खाते में जाएंगे तो कुछ निर्दलीय नवीन गोयल को वोट कर सकते हैं. नवीन गोयल ने व्यक्तिगत स्तर पर गुरुग्राम सीट पर मतदाताओं के बीच अच्छी पकड़ बनाई हुई है. इस कारण गुरुग्राम की सीट अब त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी नजर आ रही है.

दूसरी पार्टियां भी लगा रहीं इस सीट पर जोर

बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के अलावा गुरुग्राम सीट पर आम आदमी पार्टी ने डॉ. निशांत आनंद को, जजपा और असपा के गठबंधन ने अशोक जांगड़ा को और इनेलो-बसपा के गठबंधन ने गौरव भाटी को चुनावी मैदान में उतारा है. इस प्रकार ये लोग भी कुछ प्रतिशत वोट तो हासिल करेंगे ही. ऐसे में लगभग साढ़े चार लाख मतदाताओं वाली गुरुग्राम सीट किसके खाते में जाती है, यह कहना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन इतना तय है कि यहां के चुनाव परिणाम बेहद चौंकाने वाले होंगे.

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