नूंह में एक जगह इकट्ठा क्यों हो रहे 15 लाख मुस्लिम? कार्यक्रम में सिर्फ वेज बिरयानी बेचने की अनुमति

Tablighi Jamaat Nuh: हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका कस्बे में आज 19 अप्रैल से तब्लीगी जमात का तीन दिवसीय विशाल इस्लामिक जलसा शुरू हो गया है.

Tablighi Jamaat Ijtema 2025

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न्यूज तक

19 Apr 2025 (अपडेटेड: 19 Apr 2025, 09:50 AM)

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Tablighi Jamaat Nuh: हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका कस्बे में आज 19 अप्रैल से तब्लीगी जमात का तीन दिवसीय विशाल इस्लामिक जलसा शुरू हो गया है. इस कार्यक्रम में देशभर से करीब 15 लाख लोग शामिल हो सकते हैं. जलसे की तैयारियां पिछले चार महीनों से चल रही थीं और अब आयोजन स्थल पूरी तरह तैयार है.

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21 एकड़ में पंडाल, 100 एकड़ में बैठने की जगह

जलसे के लिए 21 एकड़ क्षेत्र में बड़ा पंडाल तैयार किया गया है, जबकि 100 एकड़ जमीन पर लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा 20-20 एकड़ की चार दिशाओं में पार्किंग की भी सुविधा रखी गई है, ताकि ट्रैफिक का दबाव कम हो. आयोजन स्थल के पास वाहनों की आवाजाही पर रोक रहेगी, सिर्फ पैदल आवाजाही की अनुमति है.

मौलाना साद की अगुवाई में पहुंचेगी जमात

हजरत निजामुद्दीन से मौलाना साद इस कार्यक्रम में पहुंचेंगे. उनके साथ कई अन्य मौलाना भी होंगे. जलसे का उद्देश्य इस्लाम के संदेश को फैलाना और भाईचारे को बढ़ावा देना है. आयोजन स्थल पर वुजू खाना, बैतुल खला, कयामगाह और अस्थायी मस्जिद जैसी बुनियादी सुविधाएं भी बनाई गई हैं.

स्थानीय सहयोग और प्रशासन की निगरानी

जलसा कमेटी लगातार प्रशासन के संपर्क में है. ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर भीड़ नियंत्रण तक की सभी व्यवस्थाएं एक्सपर्ट की देखरेख में की जा रही हैं. आसपास के राज्यों जैसे राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं.

खास निर्देश: सिर्फ वेज या चिकन बिरयानी की अनुमति

जलसा कमेटी ने खाद्य विक्रेताओं से अपील की है कि वे केवल वेज या चिकन बिरयानी बेचें. बड़े जानवर के मांस से बनी बिरयानी पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. नियमों के उल्लंघन पर पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी.

अलग अंदाज, लेकिन उद्देश्य एक – अमन और इबादत

इस बार का जलसा कुछ मामलों में अलग है. पहली बार ऐसे दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जो न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देते हैं. खास बात यह है कि जिस जगह पर यह आयोजन हो रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा हिंदू समुदाय की जमीन पर स्थित है.


तब्लीगी जमात क्या है?

तब्लीगी जमात की शुरुआत 1926 में दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई थी. इसे मुहम्मद इलियास अल कंधलावी ने शुरू किया था. इसका मकसद था – मुसलमानों को इस्लाम की मूल बातों पर चलने और धार्मिक नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना.

विवाद और आरोप

तब्लीगी जमात पर कई बार कट्टरता के आरोप लगे हैं. उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देशों ने इस पर बैन लगाया है. अमेरिका ने भी 9/11 हमले के बाद इस पर सख्त नजर रखी थी. सऊदी अरब ने भी इसपर प्रतिबंध लगा रखा है. कुछ आतंकी घटनाओं से जुड़े लोगों के जमात से रिश्ते बताए गए हैं, 2011 में ट्विन टावर आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने तब्लीगी जमात पर कड़ी निगरानी रखी गई थी. इसके अलावा भारत में कोरोना महामारी (2020) के दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात का एक प्रोग्राम हुआ था. लॉकडाउन के नियमों के बीच हुए इस जलसे में देशभर से लोग आए थे, जिसके बाद कोविड फैलने का आरोप लगा.

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