होली पर निभाई जाती है अनूठी परंपरा, हाथ लगाते ही चलने लगती है लोगों से भरी भारी-भरकम गाड़ी

Holi 2023 News: खरगोन जिले में होली के मौके पर अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. जिले के कसरावद नगर में होली के पर्व पर गाड़ा खींचने की परंपरा है. आश्चर्य तो तब होता है, जब नगर के बड़वे के हाथ लगाते ही लोगों से भरा भारी भरकम गाड़ा कई किलोमीटर दूर तक खिंच जाता […]

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उमेश रेवलिया

09 Mar 2023 (अपडेटेड: 09 Mar 2023, 04:31 AM)

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Holi 2023 News: खरगोन जिले में होली के मौके पर अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. जिले के कसरावद नगर में होली के पर्व पर गाड़ा खींचने की परंपरा है. आश्चर्य तो तब होता है, जब नगर के बड़वे के हाथ लगाते ही लोगों से भरा भारी भरकम गाड़ा कई किलोमीटर दूर तक खिंच जाता है. गाड़ा खिंचाई के अद्भुत नजारे को देखने के लिए कसरावद सहित आसपास के गांव के लोग भी हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं.

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खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर कसरावद नगर में होली के मौके पर अनूठी परंपरा निभाई जाती है. सात बैलगाड़ियों को बांधकर एक गाड़ा बनाया जाता है. होली के पर्व पर गाड़ा खिंचाई के लिए कई वजनी टन गाड़े को सजाया जाता है. होली पर्व पर पड़वा और दूज दो दिनों तक लगातार गाड़े खींचने की परम्परा निभाई जाती है. ये वर्षों पुरानी परंपरा है. इसे लोग चमत्कार मानते हैं. आदिवासियों की अनूठी परंपरा में लोगों की गहरी आस्था है और इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

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कई मीटर तक खिंच जाते हैं गाड़े
सैकड़ो महिलाएं हल्दी के छापे लगाकर पूजन करती हैं. इसके बाद यादव मोहल्ले के निवासी बड़वे (ओझा) श्रीराम यादव को हल्दी लगाने की रस्म निभाई जाती है. परंपरागत रस्में पूरी होने के बाद दो लोग बड़वे श्रीराम यादव को अपने कांधे पर बैठाकर खंडेराव जी के मंदिर में लाते हैं, जहां बड़वे श्रीराम यादव द्वारा लकड़ी से बनी कड़ी को घुमाया जाता है. अब खंडेराव की जयघोष के साथ गाड़ा खिंचाई का आयोजन शुरू होता है. इस दौरान बड़वे श्रीराम यादव द्वारा हाथ लगाते ही भारी भरकम गाड़े कई मीटर तक अपने आप खिंचते चले जाते हैं. इस दृश्य को देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग पहुंचते हैं.

फोटो: उमेश रेवलिया

अकेले खीचते हैं गाड़ा
कसरावद के प्राचीन भवानी माता मंदिर प्रांगण में हर साल गाड़े खिंचाई का आयोजन होता है. इस दौरान आधा दर्जन से अधिक वजनी गाड़ियों को जोड़कर एक बड़ा गाड़ा बनाया जाता है, जहां खांडेराव महाराज के बड़वे को कांधे पर बिठाकर गाड़े स्थल पर लाया जाता है. वे लकड़ी की सीढ़ी पर चढ़कर मकड़ी घुमाने के बाद गाड़े खिंचने के लिये निकल पड़ते हैं. बड़वे द्वारा अकेले ही अपने हाथों से गाड़ों को खींचा जाता है, भारी भरकम गाड़े अपने आप चल पड़ते हैं. इस दौरान वहां मौजू श्रद्धालु जोरों से खांडेराव महाराज के जयकारे लगाते हैं. सुरक्षा को देखते हुए भारी पुलिस फोर्स भी तैनात किया जाता है.

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