गजब का जज्बा: ममता के हाथ-पैर नहीं, फिर भी लिख डाला हिंदी का पेपर, भावुक कर देगी ये कहानी

Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन में एक 15 वर्षीय छात्रा ने दोनों हाथ-पैर नहीं होने के बावजूद परीक्षा दे रही है. असल में छात्रा ममता को कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून है. बस इसी के दम पर वह कोहनी से पेन पकड़कर 10वीं हिंदी पहला पेपर देने पहुंची. लाइलाज बीमारी ने ममता […]

Amazing Mamta did not have both arms and legs yet wrote a Hindi paper by holding a pen from the elbow story will make you emotional
Amazing Mamta did not have both arms and legs yet wrote a Hindi paper by holding a pen from the elbow story will make you emotional

उमेश रेवलिया

03 Mar 2023 (अपडेटेड: 03 Mar 2023, 04:51 AM)

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Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन में एक 15 वर्षीय छात्रा ने दोनों हाथ-पैर नहीं होने के बावजूद परीक्षा दे रही है. असल में छात्रा ममता को कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून है. बस इसी के दम पर वह कोहनी से पेन पकड़कर 10वीं हिंदी पहला पेपर देने पहुंची. लाइलाज बीमारी ने ममता के दोनों हाथ-पैर महज 6 माह की उम्र में ही छीन लिए थे. लेकिन उसने संघर्ष किया, पर कभी हार नहीं मानी. स्कूल की प्राचार्य मेरी जोजू ने बताया 2012 में नवीन एडमिशन के लिए स्कूल के शिक्षक वणी गांव गए थे, तब ममता तथा उसके परिजनों से मिले थे. उसका हौसला देखकर संस्था ने उसे निशुल्क शिक्षा देने की बात कही. उसके बाद से ममता स्कूल में शिक्षा ले रही है. वो कार्यक्रमों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है और पुरस्कार भी जीतती है.

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खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर करही टप्पा के वणी गांव के कैलाश टटवारे की एक लोती बेटी ममता के हाथ और पैर 6 माह की उम्र में किसी बीमारी के कारण गल गए. परिजनों ने उसे करही, महेश्वर, बड़वाह, धामनोद, इंदौर सहित अनेक स्थानों के डॉक्टर्स, हकीमो, वैद्य से काफी इलाज करवाया. पर कहीं से भी ममता बीमारी ठीक नहीं हो पाई.

हाथ-पैर ने जब साथ छोड़ दिया तो ममता के माता पिता ने उसकी हिम्मत बढ़ाई. दूसरे बच्चों की तरह पढ़ने की इच्छा रखने वाली ममता का एडमिशन गांव की ही शासकीय प्राथमिक शाला में हुआ. यहां ममता ने अपनी प्रारंभिक पढाई की शुरुआत की शाला के शिक्षकों ने भी ममता का हौसला कम नहीं होने दिया. दोनों कोहनियों से चाक या पेंसिल पकड़कर वो कॉपी या स्लेट पर आसानी से खूबसूरत हैंडराइटिंग में लिख लेती थी. ममता वर्तमान में 10वीं की छात्रा है. उसका सपना डाॅक्टर या फिर शिक्षक बनकर अपनी तरह लोगों की निस्वार्थ सेवा करना है. ममता के माता पिता दोनों ही मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं.

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करही के निजी स्कूल में पढ़ती है ममता
करही के निजी में निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रही ममता को वणी अपने घर से आने जाने के लिए स्कूल द्वारा वाहन सुविधा के साथ ही पाठ्य पुस्तकें, यूनिफार्म आदि चीजें नि:शुल्क दी जा रही है. कक्षा यूकेजी से पढ़ाई शुरू करने वाली ममता अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा दे रही है.

मां के साथ परीक्षा देने पहुंची ममता
10 वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू हो गई है. ममता भी शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अपनी मां के साथ पहुंची. ममता को देखकर वहां उपस्थित केंद्राध्यक्ष विष्णु पाटीदार,भारती जोशी, प्राचार्य राजेश खेडेकर और शिक्षको ने देखकर उसके हौसले को सराहना की. ममता ने बिना किसी की मदद के दोनो कोहनियों के बीच पेन को पकड़कर हिंदी का पहला पेपर हल किया.

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लाखों में एक को होती है ये लाइलाज बीमारी
करही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सेवानिवृत्त मेडिकल आफिसर डा.श्रेणिक छाजेड़ ने बताया ममता को टेट्रा एमिलिया नाम की बीमारी है. ये बीमारी लाखो में से किसी एक में पाई जाती है. इस बीमारी में रक्त प्रवाह सही नहीं होता हाथ पैर गल जाते हैं. हालांकि एक ख़ास अवस्था के बाद हाथ पैर गलने की प्रक्रिया बंद हो हाती है. साधारण लोग जल्दी हौसला हार जाते हैं, लेकिन ममता की हिम्मत काबिले तारीफ़ है. उसके हाथ पैर और ज्यादा नहीं गलेंगे, लेकिन उसे ठीक नहीं किया जा सकता.

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