Archana Tiwari Missing Case Update: मध्य प्रदेश की अर्चना तिवारी मिसिंग केस ने पूरे प्रदेश में खूब सुर्खियां बटोरी थीं. इंदौर के हॉस्टल में रह रही अर्चना तिवारी रक्षाबंधन के दो दिन पहले अपने घर कटनी के लिए निकलती है और नेपाल में मिलती है. इस पूरी कहानी में एक नाम लगातार सामने आता है और वह कांस्टेबल राम सिंह तोमर का,
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राम तोमर, ग्वालियर में जीआरपी में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं, जांच से पता चला कि उसने अर्चना की गुमशुदगी वाले दिन ही अर्चना का इंदौर से ग्वालियर का ट्रेन टिकट बुक कराया था.
हालांकि, पुलिस ने अर्चना के मिलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया कि राम तोमर का अर्चना की गुमशुदगी से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता.
क्या कहा अर्चना ने?
अर्चना ने जब पुलिस को बयान दिया तो इस बात का साफ जिक्र किया गया कि राम तोमर उसे बार-बार कॉल और मैसेज करके परेशान करता था.
अर्चना और कांस्टेबल के बीच बातचीत की शुरुआत कुछ कोर्ट केस से जुड़े मामलों को लेकर हुई थी, लेकिन उसके बाद कांस्टेबल साहब उसे बार-बार फोन करने लगे थे, और यहां तक कि बिना पूछे कई बार टिकट तक बुक कर दिया करते थे.
अर्चना के अनुसार राम तोमर अर्चना से कभी मिले तो नहीं थे, लेकिन उससे मिलने के लिए लगातार ग्वालियर बुलाने की कोशिश कर रहे थे. उनका कहना था कि "ग्वालियर आ जाओ, यहीं प्रैक्टिस करो. "
अर्चना ने ये भी बताया कि उसने तो राम तोमर का चेहरा तक कभी नहीं देखा था, फिर भी वो उसे बार-बार फोन करके कांस्टेबल उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहा था.
तो क्या कांस्टेबल पर होगी कार्रवाई
जब एक सुरक्षा देने वाला पुलिसकर्मी ही किसी लड़की को परेशान करने लगे, तो ये सवाल उठने लगता है कि क्या ऐसे में पुलिस अपने ही आदमी पर कार्रवाई करेगी?
पुलिस का कहना है कि क्योंकि राम तोमर गुमशुदगी के मामले में शामिल नहीं हैं, इसलिए उस एंगल से कोई केस नहीं बनता. हालांकि अर्चना की तरफ से उसे परेशान किए जाने का आरोप बेहद गंभीर हैं. जीआरपी को इस बारे में सूचित कर दिया गया है और अब देखना ये है कि क्या पुलिस विभाग खुद संज्ञान लेकर कोई एक्शन लेता है या नहीं.
क्या पुलिस अपने ही पर एक्शन लेगी?
इस मामले में कांस्टेबल पर अब कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से अर्चना ने बयान दिया है और बार-बार परेशान करने की बात सामने आई है, उससे साफ है कि मामला सिर्फ एकतरफा कॉल का नहीं, बल्कि सीरियस मिसबिहेवियर का है.
अब जनता, मीडिया और महिला सुरक्षा से जुड़ी संस्थाएं ये जानना चाहती हैं कि क्या वर्दीधारी पर भी उतना ही सख्त कानून चलेगा जितना आम लोगों पर चलता है.
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