Betul News: एक दिन पहले ही नीट का रिजल्ट घोषित किया गया है. इस परीक्षा में मध्यप्रदेश से एक नहीं बल्कि एक साथ 40 बच्चों ने सफलता हासिल की है. ये बच्चे सरकारी स्कूल में अपनी पढ़ाई किया करते थे. न तो इनको अलग से किसी बड़े संस्थान में कोचिंग मिली न कुछ और, बस इनको जिले के कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस का मार्गदर्शन मिला और उन्होंने ही इनके लिए एक कोचिंग की व्यवस्था की थी, जिसके बाद इन सब बच्चों का नीट में चयन हुआ है. सफलता के बाद सभी चयनित बच्चों से कलेक्टर ने संवाद किया और उनका सम्मान भी किया है.
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जानकारी के मुताबिक बैतूल में नीट परीक्षा 2023 के रिजल्ट में सरकारी स्कूलों के 40 बच्चों का चयन हुआ है. इन बच्चों में 28 छात्राएं है और 12 छात्र हैं. चयनित बच्चों में 26 बच्चे स्कूल शिक्षा विभाग के हैं और 14 बच्चे आदिवासी विकास विभाग के स्कूलों के हैं. सरकारी स्कूलों के बच्चों का नीट में चयन होने पर कलेक्टर ने इन बच्चों से संवाद किया और उनका सम्मान किया.
सरकारी स्कूलो के हालात सुधर रहे
दरअसल सरकारी स्कूलों का शिक्षा स्तर ऊपर उठाने के लिए कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने कुछ ऐसे प्रयास किए कि अब उनके प्रयास रंग ला रहे हैं. पहले जहां जेईई में बच्चों का चयन हुआ अब वहीं नीट में सरकारी स्कूलों के बच्चों का चयन होने से लग रहा है, कि सरकारी स्कूल स्कूलों का शिक्षा स्तर सुधारने लगा है.
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कलेक्टर की मेहनत रंग लाई
12वीं बोर्ड की परीक्षा के दौरान कलेक्टर ने शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग के साथ कार्य योजना बनाई, और परीक्षा के तत्काल बाद बच्चों को निशुल्क आवासीय कोचिंग उपलब्ध कराई इस कोचिंग के बाद बच्चों का नीट में चयन हुआ. नीट परीक्षा दिलाने के लिए इच्छुक बच्चों के आवेदन लिए गए और फिर उनका स्क्रीनिंग टेस्ट कराया गया, और इसमें लगभग 100 बच्चे चयनित हुए थे. उनको निशुल्क आवासी कोचिंग दिलाई गई और इन बच्चों में से 40 बच्चों का नीट में चयन हो गया.
चयनित बच्चों की स्पेशल काउंसलिंग कराएंगे कलेक्टर
चयनित छात्र-छात्राओं से कलेक्टर ने संवाद किया और कोचिंग के अनुभव की जानकारी ली बच्चों से उनकी समस्याएं भी पूछी. इसके बाद उन्होंने बच्चों से कहा कि जिन बच्चों का नीट में चयन हुआ है. उन बच्चों की काउंसलिंग में विशेष सहायता की जाएगी. ऐसे बच्चे जिनको सीट मिल जाती है. उनको शासन की विभिन्न योजनाओं से जोड़कर यथासंभव किफायती दरों पर या निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था करवाई जाएगी. आमतौर पर माना जाता था कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पिछड़ जाते हैं. अब इस बात को बैतूल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने झूठा साबित कर दिया है. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि पढ़ाई करने वाले बच्चों को अच्छा मार्गदर्शन मिले तो उनकी मंजिल मुश्किल नही है.
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