Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक हैरान कर देने वाला घोटाला सामने आया है, जहां प्राकृतिक आपदा राहत राशि के नाम पर 11 करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया गया है. जांच में खुलासा हुआ है कि एक महिला को 29 बार सांप काटने से मृत दिखाकर और एक पुरुष को 28 बार मृत दिखाकर लाखों रुपये की राहत राशि निकाल ली गई.
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क्या है पूरा मामला?
कोष एवं लेखा विभाग के जांच अधिकारी रोहित सिंह कौशल ने बताया कि सिवनी के केवलारी तहसील में प्राकृतिक आपदा से हुई मौत पर (जैसे सांप काटने या पानी में डूबने से) सरकार 4 लाख रुपये की सहायता राशि देती है. जांच के दौरान, उन्हें पता चला कि द्वारका बाई नाम की एक महिला के नाम पर 29 बार सांप काटने से मौत दिखाकर कुल 1 करोड़ 16 लाख रुपये का मुआवज़ा निकाला गया. इसी तरह, श्रीराम नाम के एक व्यक्ति को 28 बार सांप काटने से मृत दिखाकर उसके नाम पर भी राहत राशि ली गई. कुल मिलाकर, 47 फर्जी नामों पर 280 बार मौतें दिखाकर सरकार के 11 करोड़ 26 लाख रुपये का गबन किया गया.
जांच अधिकारी ने क्या बताया?
रोहित सिंह कौशल ने जानकारी दी कि यह घोटाला 47 लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफर करके किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों के लॉगिन पासवर्ड का इस्तेमाल करके यह गबन हुआ है, उनके नाम भी कार्रवाई के लिए प्रस्तावित किए गए हैं. जब जांच में पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट मांगे गए, तो वे उपलब्ध नहीं कराए गए, जिससे यह भी पता नहीं चल सका कि ये लोग वास्तव में जीवित हैं या मृत. जांच प्रतिवेदन (रिपोर्ट) सरकार और सिवनी कलेक्टर को सौंप दिया गया है.
कैसे हुआ ये 11 करोड़ का घोटाला?
यह पूरा मामला साल 2019 से 2022 के बीच का है. नवंबर 2022 में राजस्व विभाग के ऑडिट में इसका खुलासा हुआ. केवलारी तहसील ऑफिस के क्लर्क सचिन दहायत ने 279 लोगों को सांप काटने, पानी में डूबने और आकाशीय बिजली से मौत दिखाकर हर एक के नाम पर 4-4 लाख रुपये की राहत राशि स्वीकृत कराई. उसने ये पैसे अपने रिश्तेदारों और जान-पहचान के लोगों के बैंक खातों में डलवा दिए. राजस्व विभाग के पोर्टल पर अपलोड किए गए आदेश पत्र में लेटर पैड से लेकर सील और साइन तक सब कुछ फर्जी पाया गया. केवलारी पुलिस ने इस मामले में 37 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था, जिसमें मुख्य आरोपी क्लर्क सचिन दहायत सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
कलेक्टर सिवनी ने की पुष्टि
सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया, "साल 2019 से 2022 के बीच केवलारी तहसील में एक बाबू सचिन दहायत ने काफी सारे RBC 64 के प्रकरणों में राशि अन्यत्र खातों में ट्रांसफर की थी. ये 11 करोड़ 26 लाख का घोटाला बताया गया था, जिसकी विधिवत जांच कराई गई थी. अभी वित्त विभाग द्वारा एक जांच रिपोर्ट सबमिट की गई है. सचिन दहायत को विभागीय जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया था. उस वक्त 37 आरोपी बनाए गए थे जिसमें से 21 पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. वित्त विभाग के जांच प्रतिवेदन पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है."
कांग्रेस ने घेरा सरकार को
वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस भी प्रदेश सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, "प्रदेशवासियों, मप्र के केवल एक जिले में सर्पदंश पीड़ितों को 11 करोड़ रुपयों का कागजी मुआवजा दिया गया! सोचिए, बाकी 54 जिलों में सरकारी भ्रष्टाचार की क्या स्थिति होगी?"
अधिकारियों पर कार्रवाई का सवाल
इस मामले में आरोपी क्लर्क को तो बर्खास्त कर दिया गया और उन लोगों पर भी एफआईआर हुई जिनके खातों में पैसे आए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी जिनके लॉगिन पासवर्ड का इस्तेमाल करते हुए एक बाबू ने इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया.
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