इंदौर के सरकारी टीचर ने राष्ट्रपति से मांगी मौत की इजाजत, कहा- अब नहीं सह सकती ये दर्द

व्हीलचेयर पर बैठकर सालों से बच्चों को पढ़ा रही दिव्यांग टीचर चंद्रकांता जेठवानी ने शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पीड़ा से टूटकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

Indore Government Teacher and President of india
Indore Government Teacher and President of india

न्यूज तक

27 Jul 2025 (अपडेटेड: 27 Jul 2025, 06:01 PM)

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मध्यप्रदेश के इंदौर से एक बेहद भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल सरकारी स्कूल की शिक्षिका चंद्रकांता जेठवानी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इच्छा मृत्यु की मांग की है. चंद्रकांता दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर पर बैठकर पिछले कई सालों से बच्चों को पढ़ा रही हैं. 

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सिस्टम से टूट चुकी है उम्मीद

सरकारी टीचर के तौर पर काम कर रहीं चंद्रकांता जेठवानी ने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित कर दिया. यहां तक की उन्होंने अपनी संपत्ति तक सरकारी स्कूल के बच्चों के नाम कर दिया है और एमजीएम मेडिकल कॉलेज को अंगदान और देहदान भी कर चुकी हैं. बावजूद इसके, सिस्टम से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. 

उनका कहना है कि उन्हें एक बार डॉक्टर ने गलत दवा दे दी थी जिसकी वजह से उनकी हालत और बिगड़ गई. वह बताती हैं कि फरवरी 2020 में एक डॉक्टर ने बिना उनकी बीमारी का ध्यान रखे उन्हें ऐसी दवा दी, जिससे उनका पूरा शरीर झटका खा गया और एक हाथ टूट गया. उस समय वे कई घंटों तक बेहोश रहीं और बाद में उन्हें ICU में भर्ती किया गया.

अस्पताल और आश्रम में भी नहीं मिला सहारा

इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन कमजोर हड्डियों के चलते डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया. इसके बाद उन्हें एक आश्रम में भेजा गया, जहां न तो सम्मान मिला और न ही देखभाल. उल्टा उन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें वहां से भी निकाल दिया गया.

जॉब करते हुए सहनी पड़ रही पीड़ा

हालांकि उनकी हालत बेहद खराब है, फिर भी चंद्रकांता हर दिन स्कूल जाती हैं. वे व्हीलचेयर पर बैठकर 7-8 घंटे पढ़ाती हैं और डायपर पहनकर दर्द सहती हैं. उन्होने कहा कि अब उनकी सहनशक्ति जवाब दे चुकी है. उनका कहना है कि न्यू पेंशन स्कीम में उन्हें केवल ₹4000 मिलते हैं और अब वो जॉब के बिना नहीं रह सकतीं, लेकिन जॉब करना अब उनके लिए बेहद तकलीफदेह हो गया है.

राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अपील

चंद्रकांता कहती हैं कि अब वो इस बीमारी और उपेक्षा के साथ और नहीं जी सकतीं. उन्होंने कहा, “मेरी आंखें और शरीर दान हो चुके हैं.अब बस राष्ट्रपति से गुजारिश है कि मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए.”

उनका कहना है कि कर्नाटक जैसे राज्यों में डेथ विद डिग्निटी की व्यवस्था है और ऐसी ही व्यवस्था मध्य प्रदेश में भी होनी चाहिए. उन्होंने इसे रेस्ट ऑफ रेयर केस बताते हुए राष्ट्रपति से मदद की अपील की है.

समाज और सिस्टम के लिए बड़ा सवाल

चंद्रकांता की यह अपील केवल एक व्यथा नहीं, बल्कि पूरे समाज और सिस्टम के लिए एक बड़ा सवाल है. क्या एक समर्पित शिक्षिका, जिसने सब कुछ समाज के नाम कर दिया, उसे इस हाल में जीने को मजबूर होना चाहिए?

अब देखना यह है कि देश की सबसे बड़ी संवैधानिक कुर्सी इस अपील पर क्या रुख अपनाती है. लेकिन इतना तय है कि चंद्रकांता की यह कहानी हर किसी के दिल को झकझोर देने वाली है.

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