इंदौर हाईकोर्ट ने लहसुन को लेकर एक बड़ा और अनोखा और अहम फैसला सुनाया है. इसके साथ ही बीते 9 साल से चल रही कानूनी लड़ाई थम गई है. असल में, कोर्ट में केस करने वाले दोनों पक्ष यह तय करना चाहते थे कि लहसुन सब्जी है या मसाला. अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए लहसुन को सब्जी बताया है. हालांकि, आदेश में ये भी कहा कि लहसुन को मसालों के बाजार में भी बेचा जा सकेगा.
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लहसुन सभी की रसोई का अहम हिस्सा होती है, इसका उपयोग सब्जियां बनाने में जरूर किया जाता है. पर लहसुन है क्या? क्या सब्जी है या फिर मसाला? यह सवाल इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इसे लेकर अहम फैसला सुनाया है. इसके साथ ही अब यह तय हो गया है कि लहसुन सब्जी है मसाला नहीं.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 9 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इसे सब्जी भी माना जाए. किसानों को यह राहत दी है कि वे अब लहसुन को कृषि उपज मंडी के साथ सब्जी मंडी और मसाला मंडी में बेच सकते हैं.
अब तक चटनी मसाला कैटेगरी में
दरअसल, मंडी अधिनियम के तहत लहसुन को केवल चटनी मसाला कैटेगरी में रखा जाता है. इस फैसले के बाद अनाज के साथ सब्जी मंडी दोनों श्रेणी में इसे रख सकेंगे. दरअसल, किसानों के एक संगठन के अनुरोध पर मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने 2015 में लहसुन को सब्जी की श्रेणी में शामिल कर लिया था. हालांकि, इसके तुरंत बाद कृषि विभाग ने उस आदेश को रद्द कर दिया और कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम (1972) का हवाला देते हुए उसे मसाले की श्रेणी में डाल दिया.
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कोर्ट ने लहसुन को लेकर क्या कहा...
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसानों ने कहा था कि लहसुन को (सब्जी) के रूप में एजेंटों के माध्यम से बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए, जबकि राज्य सरकार ने इसे मसाले के रूप में बेचने की सिफारिश की है. इस पर मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के संयुक्त निदेशक चंद्रशेखर ने कहा कि कोर्ट के आदेश से सब्जी मंडियों में कमीशन एजेंटेस को लहसुन की बोली लगाने की अनुमति मिल जाएगी.
7 साल पुराने कोर्ट केस को बरकरार रखा
अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लहसुन को फिर सब्जी की श्रेणी में डाल दिया है. जस्टिस एसए धर्माधिकारी और डी वेंकटरमन की खंडपीठ ने 2017 के आदेश के उस को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया है कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला है और इसलिए यह एक सब्जी है. अदालत ने फैसले में यह भी कहा कि लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों बाजारों में बेचा जा सकता है. इससे व्यापार पर लगे प्रतिबंध खत्म हो जाएंगे और किसानों और विक्रेताओं दोनों को फायदा होगा. कोर्ट के इस फैसले का असर मध्य प्रदेश के हजारों कमीशन एजेंटों पर भी पड़ेगा.
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किसानों को नहीं बल्कि कमीशन एजेंटों को होगा फायदा!
लहसुन को लेकर आया ये मामला 9 सालों से हाईकोर्ट में चल रहा था. सबसे पहले आलू-प्याज-लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन 2016 में प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ इंदौर बेंच पहुंची थी. इसके बाद फरवरी 2017 में सिंगल जज ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन इस फैसले से व्यापारियों में खलबली मच गई. उन्होंने तर्क दिया कि इस फैसले से किसानों को नहीं बल्कि कमीशन एजेंटों को फायदा होगा.
मुकेश सोमानी ने डाली पुनर्विचार याचिका
कोर्ट के फैसले के बाद जुलाई 2017 में याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी ने पुनर्विचार याचिका दायर की. यह याचिका हाई कोर्ट की डबल जज की बेंच के पास गई. इस बेंच ने लहसुन को जनवरी 2024 में दोबारा मसाला शेल्फ में भेज दिया. फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पिछले फैसले से केवल व्यापारियों को लाभ होगा, किसानों को नहीं. इसके बाद लहसुन व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने इस साल मार्च में उस आदेश की समीक्षा की मांग की थी. यह मामला जस्टिस धर्माधिकारी और वेंकटरमन की बेंच में आया था.
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