MP News: महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा गरमाया, तीसरी बार बदलेंगी मूर्तियां? जीतू पटवारी ने लगाए गंभीर आरोप

महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने इसे लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. पटवारी ने पीएम मोदी से इस मामले की जांच की मांग की है. 

महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा गरमाया
महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा गरमाया

एमपी तक

• 08:06 AM • 05 Apr 2024

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Scam in Mahakal Lok: महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने इसे लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि महाकाल लोक (Mahakal Lok) में सप्त ऋषियों की मूर्तियां तीसरी बार बदली जा रही हैं.  उन्होंने हमला करते हुए लिखा कि तीसरी बार फिर से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है, तो क्या मान लिया जाए की पुरानी गलतियों पर स्थाई रूप से पर्दा डाल दिया गया है? पटवारी ने पीएम मोदी से इस मामले की जांच की मांग की है. 

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जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उज्जैन के महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियों को 11 महीने में दूसरी बार बदलने की तैयारी की जा रही है! इस बार 2.50 करोड़ की लागत से पत्थरों की मूर्तियां लगाई जाएंगी!"

• जीतू पटवारी ने लिखा, "ओडिशा के कलाकारों ने मूर्तियां तराशनी शुरू कर दी हैं! पहले फेज में सप्तऋषि की मूर्तियां बनाई जाएंगी, इसके बाद बाकी मूर्तियों को भी बदला जाएगा! इसके लिए नया एस्टीमेट भी तैयार किया जा रहा है!

• पिछले साल 29 मई को सप्तऋषि की 7 में से 6 मूर्तियां आंधी-तूफान की वजह से धराशायी हो गई थीं! क्योंकि, 66 लाख रुपए में फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनी ये मूर्तियां भीतर से खोखली थीं!

• अगस्त 2023 में एक बार फिर नई मूर्तियां लगाई गईं. बीजेपी राज में शिवराज सरकार बदलते ही मोहन यादव सरकार ने फिर यहां पत्थर की मूर्तियां लगाने का आदेश दे दिया!

• कहानी में बड़ा मोड़ तब आया, जब जानकारी मिली कि लोकायुक्त जांच में टेक्निकल टीम को पता चला कि मूर्तियों की न तो ड्राइंग बनी थी, न ही डिजाइन! ऐसे अनेक सबूत मिलने के बाद ही लोकायुक्त ने इस घोटाले का संज्ञान लिया था!

• टेंडर एग्रीमेंट में जिम्मेदार अफसरों के दस्तखत भी नहीं थे न ही मूर्तियों का स्पेसिफिकेशन तय किया था! तब लोकायुक्त को ऐसा लगा था कि मूर्तियों का निर्माण ठेकेदार की मर्जी से हुआ है!

• अब जबकि तीसरी बार फिर से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है, तो क्या मान लिया जाए की पुरानी गलतियों पर स्थाई रूप से पर्दा डाल दिया गया है? नई सरकार, पुरानी सरकार के घोटाले की जांच करना ही नहीं चाहती?

• बीजेपी यह भूल रही है कि महाकाल परिसर श्रद्धा, आस्था और विश्वास का प्रतीक है! मध्यप्रदेश ही नहीं, देश-दुनिया के करोड़ों भक्तों के साथ किया गया विश्वासघात किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता!

• मैं  नरेंद्र मोदी जी से मांग करता हूं कि पुराने घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को दंडित किया जाए, ताकि दुनियाभर में खराब हुई उज्जैन और मध्यप्रदेश की छवि को ठीक किया जा सके!"

 

आंधी में टूट गईं थीं सप्त ऋषि की मूर्तियां

गौरतलब है कि महाकाल लोक निर्माण में घोटाले का मुद्दा तब जोर से गरमाया था, जब बारिश के कारण करोड़ों की लागत से बने महाकाल लोक में स्थित सप्त ऋषियों की मूर्तियां खंडित हो गई थीं. इसके बाद तत्कालीन शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. तब सप्त ऋषियों की मूर्तियां दोबारा बदली गईं थीं. मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन भी किया गया था. 
 

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