MP Election Result 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों का परिणाम सभी के सामने आ चुका है. इस परिणाम ने सबको चौंका कर रख दिया है. कांग्रेस के कई किले बीजेपी की सुनामी में ढह गए. लेकिन सैलाना सीट पर न तो बीजेपी कुछ कर पाई और न ही कांग्रेस का कुछ खास असर रहा. इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी यानी बीएपी जिसे लोग बाप पार्टी के नाम से भी पुकारते हैं, उसकी जीत हुई है. ऐसे प्रत्याशी की जीत हुई जिसने चुनाव कर्ज लेकर लड़ा और मां मजदूरी करती हैं.
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कमलेश्वर डोडियार का कोई राजनीतिक बैक्राउंड नहीं है. लेकिन फिर भी उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गजों को पटखनी दे दी है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश समेत पूरे देश भर में उनकी चर्चा हो रही है. आपको बता दें डोडियार पिछले कई सालों से आदिवासियों के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं. कल जब चुनाव के नतीजे आ रहे थे तब भी उनकी मां मजदूरी के लिए गई हुई थी. एक मजदूर परिवार का बेटा रतलाम की सैलाना सीट से अब विधायक है. इसी बात की चर्चांए पूरे मध्य प्रदेश में हो रही हैं.
कर्ज लेकर लड़ा चुनाव
सैलाना से कमलेश्वर डोडियार को लेकर ऐसा कहा जा रहा है कि न तो उनके पास चुनाव लड़ने का पैसा था, न ही कोई बड़ी गाड़ी जिससे वे प्रचार कर सकें. इसके साथ ही उनके पास अभी तक कोई पक्का घर भी नहीं है. जिस वक्त चुनाव की मतगणना चल रही थी उस वक्त उनकी मां मजदूरी कर रही थी, उन्हें भी विश्वास नहीं था कि वे शाम को एक विधायक की मां बन जाएंगी. 33 वर्षीय कमलेश्वर डोडियार ने भारत आदिवासी पार्टी के टिकट से सैलाना सीट पर जीत दर्ज की है. कमलेश्वर डोडियार ने सैलाना निर्वाचन क्षेत्र में निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत को 4,618 मतों के अंतर से हरा दिया है.
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सबसे ज्यादा हुआ था सैलाना में मतदान
जानकारी के मुताबिक कमलेश्वर डोडियार ने ये चुनाव लड़ने के लिए करीब 10 रूपये का कर्जा लिया है. जिसके दम पर ही वे चुनाव प्रचार कर पाए हैं. कमलेश्वर डोडियार ने कांग्रेस प्रत्याशी हर्ष विजय गहलोत को 4618 वोटों से शिकस्त दी. कमलेश्वर को 71,219 वोट मिले, जबकि हर्ष को 66,601 वोट मिले. वहीं बीजेपी की संगीता चारेल तीसरे नंबर पर रहीं. आपको बता दें कि सैलाना सीट पर प्रदेश का सबसे अधिक मतदान हुआ. यहां पर 90.08 प्रतिशत वोटिंग हुई.
कौन हैं कमलेश्वर डोडियार
कमलेश्वर डोडियार का जन्म एक मजदूर परिवार में हुआ और वह मजदूरी के बीच पले-बढ़े हैं. कमलेश्वर अपने 6 भाई और 3 बहनों में सबसे छोटे हैं. पढ़ाई में रुचि होने के कारण उन्होंने ग्रेजुएशन किया, लेकिन इसके बाद वह कोटा चले गए थे. जहां उन्होंने मकान के निर्माण कार्य में मजदूरी का काम किया. बचपन से लेकर अब तक उन्होंने गरीबी को नजदीक से देखा और जाना है. कोटा से वापस अपने घर लोटने पर उन्होंने लगातार आदिवासियों के मुद्दों को उठाया जिसकी वजह से वे अपने क्षेत्र में चर्चित हो गए. यही कारण है कि वे चुनाव बीजेपी की आंधी में भी जीत गए.
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