Jabalpur News: मध्य-प्रदेश के खरगोन में सांप्रदायिक सद्भाव और एकता की मिसाल देखने को मिली है. मोहर्रम को मन्नत वाले ताजिए पर सांप्रदायिक एकता देखने को मिली है. मन्नत वाले ताजिए के सामने हिंदू-मुस्लिम श्रद्धालुओं द्वारा बच्चो की मन्नत उतारी गई. तलाई मार्ग पर करीब 100 वर्षो से मन्नत वाला ताजिया बनाया जा रहा है.
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हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम पर्व को खरगोन में पूरी शिद्दत के साथ मनाया जा रहा है. शुक्रवार को मोहर्रम की 9 तारीख को खरगोन के तलाई मार्ग स्थित प्रसिद्ध मन्नत वाले ताजिए पर मुस्लिम समाज के साथ साथ हिंदू समाज के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. मन्नत वाला ये ताजिया हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक भी माना जाता है.
कई जिलों से पहुंचते हैं लोग
यहां पर हिंदू मुस्लिम समाज के श्रद्धालु ताजिए पर मन्नते मांगते हैं और जिन श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं. वे अपने बच्चों का यहां पर तुला दान करते हैं. इस दौरान खरगोन सहित मप्र के हरदा और अन्य जिलों से भी श्रद्धालु अपने बच्चो की मन्नत उतारने के लिए पहुंचते हैं.
कई वर्षों से चली आ रही परंपरा
मध्यप्रदेश के हरदा जिले से शिवानी नाम की महिला भी अपनी छोटी बिटिया माही की मन्नत उतारने के लिए पहुंची थी. इसी तरह से बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज की महिला भी अपने बच्चो की मन्नत उतारते देखी गई. खरगोन के तलाई वाला ये मन्नत का ताजिया करीब सौ वर्षो से बनाया जाता है. जहां साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ सभी समाज के लोग ताजिये के सामने नतमस्तक होकर अपने बच्चो और परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली की दुआएं मांगते है. मन्नत वाले तजिए पर सूखे नारियल चढ़ाने की परंपरा भी कई वर्षो से चली आ रही है.
मन्नत पूरी होने पर किया जाता है तुलादान
पार्षद वारिस चौबे का कहना है मन्नत का ताजिया पिछले 100 सालों से बनाया जा रहा है. यहां हिंदू मुस्लिम सभी वर्ग के लोग श्रद्धा के साथ मन्नत का धागा बांधने आते हैं, और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो मोहर्रम कि 9 तारीख को बच्चों का तुलादान करके मन्नत पूरी करते हैं. ये हिंदू मुस्लिम एकता की पहचान है.
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