पोता तड़पता रहा, ड्रिप पकड़कर खड़ी रही दादी, सतना जिले के अस्पताल की ऐसी हालत मरीज भगवान भरोसे

सतना जिला अस्पताल में एक बुजुर्ग दादी घायल पोते के लिए घंटों तक हाथ में ड्रिप पकड़े खड़ी रही, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. यह घटना मध्य प्रदेश की "वर्ल्ड क्लास" बताई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर करती है.

MP Hospital
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न्यूज तक

• 01:21 PM • 18 Aug 2025

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मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को हमेशा ही "वर्ल्ड क्लास" बताया जाता है, लेकिन यहां के अस्पताल की जमीनी हकीकत कुछ देख आप भी हैरान रह जाएंगे. इसका एक भावुक कर देने वाला उदाहरण सतना जिला अस्पताल से सामने आया है. यहां एक बुजुर्ग दादी अपने घायल पोते के इलाज के पहुंचती हैं और घंटों तक ड्रिप पकड़ कर खड़ी रहती हैं, बावजूद इसके अस्पताल का स्टाफ तमाशबीन बना रहा.

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पोते के लिए हाथ में ड्रिप लेकर खड़ी रही दादी

दरअसल तस्वीर में नजर आ रही इस दादी का पोता मेहर इलाके में हुए एक सड़क हादसे में घायल हो गया था. इलाज के लिए अपने बच्चे को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, वहां से उसे सतना जिला अस्पताल ट्रांसफर कर दिया गया.  

घायल युवक के साथ उसकी बुजुर्ग दादी थी, जो काफी उम्रदराज और कमज़ोर नजर आ रही थीं. बावजूद इसके जब तक अस्पताल की भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई, तब तक उन्हें ड्रिप की बोतल पकड़कर खड़ा रहना पड़ा. 

बुजुर्ग महिला ने बताया कि वह इस ड्रिप को पकड़कर मेहर से आ रही हैं.  एंबुलेंस में भी उन्हें ही ड्रिप पकड़ना पड़ा था. यहां अस्पताल पहुंचने के बाद भी उन्हें आधे घंटे तक ऐसे ही खड़ा रखा गया. उन्होंने बताया कि उन्हें आते जाते स्टाफ देख तो रहे थे लेकिन कोई भी मदद करने नहीं आया 

सिविल सर्जन का गैरजिम्मेदाराना रवैया

इस मामले पर जब हमारे सहयोगी एमपी तक की टीम ने सतना जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला से बात की तो उन्होंने इस घटना को बेहद मामूली बताया. सिविल सर्जन का कहना था जब ये मरीज रेफर होकर आया था, और वक्त इस वीडियो को बनाया गया होगा. उन्होंने बताया कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है शायद इसलिए परिजन ने खुद ही बोतल पकड़नी पड़ी होगी. 

कोई नई बात नहीं है ये बदहाली

हालांकि ये पहली बार नहीं है डब सतना जिला अस्पताल में इस तरह की लापरवाही की तस्वीर सामने आई है. इससे पहले भी यहां की व्यवस्थाओं पर कई बार सवाल उठए जा चुके हैं. यहां के मरीजों को वक्त रहते इलाज ना मिलना, स्टाफ की कमी और बुनियादी सुविधाओं की कमी, ये सब यहां आम बात हो चुकी हैं.

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