पुणे हिट एंड रन मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने किया बड़ा दावा, स्वीकार किया कि पुलिस को भी आरोपी की जमानत मंजूर नहीं

pune hit and run case: कोर्ट से आरोपी को जमानत मिलने के बाद जब हर जगह पुणे पुलिस की ढिलाई को लेकर आलोचना होने लगी तो अब पुणे के पुलिस कमिश्नर ने पुलिस का पक्ष सामने रखा है.

Pune Hit and Run Case, Maharashtra Police
Pune Hit and Run Case, Maharashtra Police

एमपी तक

21 May 2024 (अपडेटेड: 21 May 2024, 02:40 PM)

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pune hit and run case: महाराष्ट्र के पुणे में हुए बहुचर्चित हिट एंड रन केस मामले में मध्य प्रदेश के जबलपुर के ही रहने वाले युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोष्टा की दर्दनाक मौत हो गई थी. कोर्ट से आरोपी को जमानत मिलने के बाद जब हर जगह पुणे पुलिस की ढिलाई को लेकर आलोचना होने लगी तो अब पुणे के पुलिस कमिश्नर ने पुलिस का पक्ष सामने रखा है.

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पुणे पुलिस कमिश्नर के अनुसार उन्होंने रविवार को कोर्ट में एक याचिका लगाई थी और कोर्ट को बताया था कि यह बेहद गंभीर अपराध है और नाबालिग आरोपी को बालिग आरोपी की तरह ही ट्रीट किया जाए और उसके खिलाफ कानूनी प्रकरण चलना चाहिए. लेकिन लोअर कोर्ट ने पुलिस की याचिका को खारिज कर दिया था. उसके विरुद्ध हम लोग अपील में भी गए हैं और उम्मीद है कि अपील में पुलिस को कोर्ट से इस मामले में सही दिशा-निर्देश मिलेंगे.

पुणे पुलिस कमिश्नर का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती है. ये जरूर है कि लोअर कोर्ट में पुलिस की याचिका को खारिज किया गया, जिसके बाद आरोपी को जमानत मिल गई जो जनता को, प्रेस को और पुलिस को भी मान्य नहीं है. इसलिए लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुलिस विभाग अपील में भी गया है. जिला न्यायालय में अब अपील की सुनवाई होगी. यदि इस पूरे मामले में किसी पुलिस अधिकारी की कोई लापरवाही सामने आती है या ये सामने आता है कि उसने आरोपी को किसी तरह की मदद पहुंचाने की कोशिश की है तो उसके खिलाफ विभाग सख्त एक्शन लेगा.

आपको बता दें कि इस पूरे मामले में अब पुणे पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को मंगलवार सुबह संभाजीनगर से हिरासत में ले लिया है. बता दें कि पुणे में 19 मई की सुबह एक रियल स्टेट डेवलपर के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार युवक-युवती को कुचल दिया था, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी. पूरी घटना के बाद मृतकों के घरों पर मातम पसरा हुआ है. कोई बेटा-बेटी को तो कोई बहन को याद कर रोए जा रहा है.

मृतक अनीस के चाचा ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल

मृतक अनीस के चाचा ने बातचीत के दौरान कहा, "यह केस वास्तव में 304 A का है. पुलिस ने गलत विवेचना की है. बेल की जो कंडीशन है", ये हास्यापद है. नए एक्ट के मुताबिक 7 साल की सजा है. महाराष्ट्र में पुलिस बिक चुकी है. 304 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हत्या की है. जुबेनाइल बोलकर छोड़ दिया गया.

इनपुट- पुणे से ओमकार बाबूराव वाबले- Omkar Baburao Wable

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