क्या क्षेत्रीय दल BJP और कांग्रेस का बिगाड़ देंगे गणित, जानें कितनी सीटों पर है असर?

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल कुछ सीटों पर अपनी ताकत दिखा रहे हैं, जहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. मध्य प्रदेश में सपा, बीएसपी, आप और एआईएमआईएम समेत कई दल चुनाव लड़ रहे हैं.

MP Elections 2023 Regional parties BJP and Congress seats are impacted MP Elections 2023
MP Elections 2023 Regional parties BJP and Congress seats are impacted MP Elections 2023

एमपी तक

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Madhya Pradesh 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल कुछ सीटों पर अपनी ताकत दिखा रहे हैं, जहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. मध्य प्रदेश में सपा, बीएसपी, आप और एआईएमआईएम समेत कई दल चुनाव लड़ रहे हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी के कारण बीजेपी और कांग्रेस के बीच 30 सीटों पर कांटे की टक्कर हुई थी. इसमें 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी की मौजूदगी से बीजेपी को फायदा हुआ था. इन सीटों पर उम्मीदवारों की हार-जीत सिर्फ 3000 वोटों या उससे कम से हुई थी. इन 30 में से 15 सीटें कांग्रेस और 14 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. एक सीट बीएसपी के खाते में गई थी.

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CSDS से जुड़े चुनाव विश्लेषक संजय कुमार के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी की मौजूदगी से बीजेपी को काफी फायदा हुआ था. 11 ऐसी सीटें थीं जहां समाजवादी पार्टी को जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले, जिनमें से 11 सीटों में से 8 बीजेपी, 2 कांग्रेस ने और 1 बीएसपी ने जीती थीं. मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान 56 विधानसभा सीटें ऐसी थीं जहां बसपा को जीत के अंतर से अधिक वोट मिले थे. इनमें से 28 सीटें बीजेपी ने, 27 सीटें कांग्रेस ने और वारासिवनी सीट एक निर्दलीय ने जीती थी.

बता दें कि मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी 71 सीटों पर बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रही है, वहीं, बसपा ने 178 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 52 सीटें दी हैं. ऐसे में बसपा कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है.

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छोटी पार्टियां बड़ी चुनौती

बात करें 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत की तो उस साल भी 33 ऐसी सीटें थीं, जहां 3000 से कम वोटों से बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत हुई थी. 33 में 18 बीजेपी, 12 कांग्रेस, दो बीएसपी और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी. इससे साफ जाहिर होता है कि इस बार भी विधानसभा चुनाव में छोटी पार्टियां बड़ी चुनौती हैं. इसमें बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) है. बसपा ने एमपी चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया है. साथ ही समाजवादी पार्टी इंडी गठबंधन से अलग होकर अलग चुनाव लड़ रही हैं.

ये हैं वो सीटें, जहां क्षेत्रीय दलों ने फंसाया पेंच

इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में टिमरनी, देवतलाब, राजपुर, विजयपुर, ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर दक्षिण, बीना और मैहर विधानसभा सीटें हैं, जहां पर क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाएंगे.

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2018 में क्या हुआ था…

बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं, जबकि 2013 में 165 थी. वहीं, कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गई थीं. कांग्रेस को 2018 में 114 थी जबकि 2013 में 28 सीटें थीं. कांग्रेस बहुमत से सिर्फ दो सीट पीछे रह गई थी. 230 सीटों वाले एमपी में विधानसभा सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में कांग्रेस की सरकार चार निर्दलीय, एक एसपी और दो बीएसपी विधायकों के समर्थन से बनी थी.
2013 में जहां 33 सीटों पर जीत और हार का अंतर बहुत कम था. 2018 के चुनाव में इनमें से 26 सीटों का समीकरण बदल गया था.

15 महीने बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी, जिससे कमलनाथ सरकार गिर गई. इसके बाद मध्य प्रदेश में उपचुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को 18 और कांग्रेस को सात सीटों पर जीत मिली. एक पर निर्दलीय की जीत हुई थी.

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