मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से एक बेहद शर्मनाक और दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है. ये मामला पिछले साल अप्रैल 2024 का है, लेकिन अब इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वीडियो के वायरल होते ही इलाके में हड़कंप मच गया और मामला थाने तक पहुंच गया.
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पूरा मामला खकनार के उप स्वास्थ्य केंद्र का है जहां एक महिला की मौत के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए रखा गया था. इसी दौरान सीसीटीवी में साफ देखा गया कि एक व्यक्ति वहां आता है, स्ट्रेचर पर रखे शव को उठाता है और उसे अपने साथ ले जाता है. कुछ देर बाद वह व्यक्ति फिर लौटता है और शव को वहीं स्ट्रेचर के पास फेंक कर चला जाता है.
जैसे ही यह वीडियो सामने आया, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की जा रही है.
क्या है नेक्रोफिलिया?
जानकारों के मुताबिक, शव के साथ इस तरह की हरकत को ‘नेक्रोफिलिया’ कहा जाता है. यह एक मानसिक बीमारी मानी जाती है जिसमें किसी व्यक्ति को मरे हुए इंसान के साथ यौन संबंध बनाने की विकृत इच्छा होती है. हालांकि, भारत में इसको लेकर कोई सख्त कानून नहीं है.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 और 376 सिर्फ जीवित पीड़ितों पर लागू होती है, इसलिए ऐसे मामलों में आमतौर पर IPC की धारा 297 (कब्र या शव के अपमान) या नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 301 के तहत कार्रवाई होती है.
कर्नाटक हाईकोर्ट की टिप्पणी
कुछ समय पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी एक ऐसे ही मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि नेक्रोफिलिया एक गंभीर सामाजिक और मानसिक समस्या है और इसे अपराध घोषित करने के लिए संसद को कानून बनाना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने उस केस में आरोपी को रेप का दोषी नहीं माना था क्योंकि पीड़ित जीवित नहीं थी.
खंडवा में भी हुआ था ऐसा मामला
इससे पहले खंडवा जिले में भी ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया था, जहां कब्र से एक महिला का शव निकालकर उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी. वह घटना भी सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई थी और पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था.
क्या कहना है पुलिस का?
एएसपी अंतर सिंह कनेश ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और आरोपी से पूछताछ की जा रही है. पुलिस का कहना है कि कानून के तहत जो भी सख्त कार्रवाई संभव होगी, वो की जाएगी.
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारी समाजिक सोच और व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है. सवाल यह है कि ऐसे मानसिक रूप से बीमार लोगों को कैसे रोका जाए? और क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि भारत में नेक्रोफिलिया जैसे अमानवीय कृत्य को लेकर कड़े कानून बनाए जाएं?
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