NTPC की इस पहल ने बदल दिया गांव की बेटियों का जीवन, जानें महारत्न कंपनी ने ऐसा क्या किया?

NTPC की इस पहल ने बदल दिया गांव की बेटियों की जीवन

NTPC's initiative changed Girls life, Khargone positive Story
NTPC's initiative changed Girls life, Khargone positive Story

उमेश रेवलिया

22 May 2023 (अपडेटेड: 22 May 2023, 05:51 AM)

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Positive News: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नेशनल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट ने ‘बालिका सशक्तिकरण मिशन’ के तहत गांव की 4 निर्धन बेटियों को गोद लिया है और उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी उठा रही है. एनटीपीसी की इस पहल को बेहद सराहनीय बताया जा रहा है. गांव के स्कूल में पढ़ने वाली जिन बच्चियों को पहले हिंदी पढ़ना भी ठीक से नहीं आता था, वे अब इंगलिश में पढ़ाई कर रही हैं. एनटीपीसी इन बच्चियों का भविष्य बदलने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.

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खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बड़वाह विकासखंड के सेल्दा नेशनल थर्मल पावर प्रोजेक्ट ने एनटीपीसी के कमांड एरिया में आने वाले गांव की गरीब बेटियों को गोद लेने की पहल की है. एनटीपीसी पांचवीं में पढ़ने वाली छात्राओं को अपने अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में सिर्फ निशुल्क प्रवेश ही नहीं दे रहा है, बल्कि पेन, पेंसिल से लेकर यूनिफॉर्म तक सभी पढ़ाई से संबंधित वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. बेटियों की शिक्षा के लिए कई और प्रयास भी किए जा रहे हैं.

हर क्षेत्र में बेहतर बन रहीं बेटियां
एनटीपीसी की इस पहल से बेटियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है. बेटियों को हिंदी, गणित, ईवीएस विषय के साथ ही इंगलिश बोलना और कंप्यूटर चलाना भी सिखाया जा रहा है. स्वास्थ्य चेकअप की व्यवस्था, स्वच्छता, सैनिटेशन, बातचीत का तरीका सहानुभूति, गुड टच-बैड टच, लैंगिक समानता, साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों के बारे में भी शिक्षित किया जा रहा है. इतना ही नहीं गांव की इन बेटियों को आर्ट एंड क्राफ्ट, डांस, ड्रामा, ड्राइंग पेंटिंग स्पोर्ट्स और योगा की क्लासेस भी दी जा रही हैं, ताकि ये बेटियां हर क्षेत्र में बेहतर बन सकें.

पढ़ाई से जीवन में आया बदलाव
पढ़ने वाली छात्रा वैष्णवी का कहना है “हम पहले सरकारी स्कूल में पढ़ते थे अभी यहां आकर ऐसा लग रहा है प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं. हम बहुत खुश हैं कि यहां पर हमें पढ़ाई करने का मौका मिल रहा है. यहां पर अंग्रेजी सिखाते हैं मैथ्स पढ़ाते हैं. सरकारी स्कूल में केवल हिंदी पढ़ाते थे.”
ग्रामीण महिला अनिता सोलंकी का कहना है “बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिल रही है, अच्छा खाना मिलता है. खेलने को मिलता है, गांव में इतनी अच्छी पढ़ाई नहीं थी, यहां पर सब सीख रहे हैं. उससे हमें खुशी हो रही है. पहले तो वो ठीक से बोल भी नहीं पाते थे, लेकिन अब अच्छे से बोलते हैं और पढ़ते हैं.”

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